देश – पटपड़गंज छोड़ जंगपुरा से लड़ेंगे सिसोदिया, AAP के लिए कितनी मुफीद रहेगी सीट?- #INA

मनीष स‍िसोद‍िया के लिए क‍ितनी मुफीद रहेगी जंगपुरा सीट

दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी ने अब तक 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा मनीष सिसोदिया की सीट को लेकर हो रही है. मनीष जिस सीट पर 3 बार विधायक चुने गए, अब पार्टी ने उनकी सीट बदलते हुए पटपड़गंज के बजाय जंगपुरा सीट से मैदान में उतारा है. इसके पीछे की वजह पिछले चुनाव परिणामों को माना जा रहा है.

आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बाद सबसे मजबूत चेहरा मनीष सिसोदिया को माना जाता हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदल दी गई है. आम आदमी पार्टी ने सिसोदिया को पटपड़गंज सीट के बजाय जंगपुरा सीट से प्रत्याशी बनाया है. पटपड़गंज विधानसभा सीट से अवध ओझा को उम्मीदवार बनाया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि पटपड़गंज सीट से लगातार तीन बार विधायक रहे मनीष सिसोदिया के लिए जंगपुरा विधानसभा सीट क्या 2025 के चुनाव में मुफीद साबित होगी?

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पिछले चुनाव नतीजों के कारण लिया सीट बदलने का फैसला

मनीष सिसोदिया अपनी सियासी पारी का आगाज पटपड़गंज सीट से किया था. 2013, 2015 और 2020 में इसी सीट से जीतकर विधायक बने. 2013 से भी ज्यादा वोटों से 2015 में जीते, लेकिन 2020 में उनके जीत का मार्जिन पटपड़गंज सीट पर काफी कम हो गया. सिसोदिया को अपनी जीत के लिए पिछले चुनाव में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी ने इस बार सिसोदिया की सीट बदल दी है और अब जंगपुरा से किस्मत आजमाएंगे.

जंगपुरा सीट से सिसोदिया लड़ेंगे चुनाव

अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया को जंगपुरा सीट से ऐसे ही प्रत्याशी नहीं बनाया बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत उतारा है. 2020 में मनीष सिसोदिया को अपनी जीत जीतने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा था. 11 राउंड की काउंटिंग तक बीजेपी उम्मीदवार से पीछे चल रहे थे और 12वें राउंड के बाद बढ़त मिली थी, तब कहीं जाकर 3,207 वोटों से जीत मिली थी. ऐसे में पार्टी इस बार उन्हें लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. वैसे भी यह चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीट माने जाने वाली जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया को टिकट दिया गया है.

सिसोदिया के लिए मुफीद जंगपुरा सीट

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के लिए सुरक्षित सीटों में से एक जंगपुरा सीट है. ऐसे में जंगपुरा विधानसभा सीट मनीष सिसोदिया के लिए अनुकूल मानी जा रही है, क्योंकि यहां के सियासी समीकरण उसके पक्ष में है. निजामुद्दीन बस्ती और दरियागंज जैसे मुस्लिम बहुल इलाके हैं तो भोगल और महारानी बाग जैसे सिख बहुल क्षेत्र हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में सराय काले खां और किलोकरी जैसे गांव भी हैं. इस रह की मिक्स्ड आबादी में मनीष सिसोदिया के लिए जंगपुरा सीट सुरक्षित मानी जा रही है.

आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से जंगपुरा सीट पर उसका कब्जा है. 2013, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की. जंगपुरा सीट पर 2013 में आम आदमी पार्टी के महिंदर सिंह धीर जीते जबकि 2015 में पार्टी ने अपना उम्मीवार बदल दिया. प्रवीन कुमार 2015 और 2020 में विधायक चुने गए. पिछले चुनाव में प्रवीन कुमार ने 50 फीसदी से भी ज्यादा वोट हासिल किए थे और 16,063 मतों से जीते थे. बीजेपी के प्रत्याशी इंप्रीत सिंह को 29,070 वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी इतना वोट कभी नहीं पा सकी. यही वजह है कि मनीष सिसोदिया के लिए सेफ सीट मानी जा रही है.

बीजेपी जंगपुरा नहीं खिला सकी कमल

दिल्ली में बीजेपी के लिए सबसे मुश्किलों सीटों में से एक जंगपुरा विधानसभा सीट है. जब से दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तक से आज तक बीजेपी जंगपुरा सीट पर कभी जीत नहीं सकी. जंगपुरा सीट पर 1993 के चुनावों में कांग्रेस के जग परवेश चंद्र जीते. 1998, 2003 और 2008 के चुनावों में कांग्रेस के तरविंदर सिंह मारवाह लगातार तीन बार चुनाव जीतते रहे. दिल्ली में जंगपुरा विधानसभा क्षेत्र उन सीटों में शुमार रहा है, जहां कांग्रेस ने लगातार चार बार जीत हासिल की. इसके बाद से आम आदमी पार्टी का कब्जा है. इस तरह जंगपुरा सीट को आम आदमी पार्टी के सबसे मजबूत किला माना जा रहा है.

जंगपुरा विधानसभा सीट के सियासी समीकरण के चलते ही बीजेपी अभी तक यहां पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी है. मुस्लिम और सिख-पंजाबी वोटर जंगपुरा में जीत और हार तय करते हैं. कांग्रेस मुस्लिम-सिख समीकरण के चलते अपना दबदबा कायम रखा तो आम आदमी पार्टी भी इसी समीकरण के बदौलत 2013 में चुनाव जीता, लेकिन 2015 और 2020 में अपने कैडर के नेता प्रवीन कुमार के जरिए वर्चस्व कायम रखा.

प्रवीन कुमार सामान्य परिवार से आते हैं और आम आदमी पार्टी से पहले उनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा. इसके बावजूद जंगपुरा सीट से लगातार दो बार विधायक बनने में कामयाब रहे. इसके पीछे अहम सीट का सियासी समीकरण का रहा.

सिसोदिया के सियासी कद का मिलेगा लाभ

प्रवीन कुमार के परिवार की कोई सियासी पृष्ठभूमि नहीं है. उनके पिता पीएन देशमुख भोपाल में जिंसी चौराहा, बोगदापुल के पास ज्योति टायर वर्क्स के नाम से टायर सुधारने और पंचर बनाने की दुकान चलाते हैं. भोपाल से एमबीए की पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए प्रवीन कुमार दिल्ली आ गए. इसके बाद 2013 में अन्ना आंदोलन से जुड़ गए और आम आदमी पार्टी के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की. प्रवीन कुमार के चुनावी जीत में उसके दोस्तों ने भी अहम भूमिका निभाई थी, जबकि मनीष सिसोदिया आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरा हैं और उनका अपना सियासी कद है.

जंगपुरा विधानसभा सीट पर मनीष सिसोदिया के उतरने से बीजेपी और कांग्रेस के लिए सियासी चुनौती खड़ी हो गई है. जंगपुरा सीट पर सिसोदिया के कद का कोई नेता विपक्षी दलों के पास नहीं है. जिन्हें उतारकर आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सके. मनीष सिसोदिया मुस्लिम और सिख वोटों के साथ-साथ हाई प्रोफाइल मतदाताओं को भी साधने की काबिलियत रखते हैं, इस इलाके में निजामुद्दीन ईस्ट-वेस्ट इलाके के साथ सुंदर नगर जैसे हाई प्रोफाइल कालोनी है. ऐसे में मनीष सिसोदिया के उतरने से जंगपुरा सीट पर मुकाबला रोचक हो सकता है?

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