आगरा में मंदबुद्धि संस्थान टीयर्स में स्किल डेवलपमेंट कार्यशाला का हुआ आयोजन
आगरा, 17 दिसंबर( मोहम्मद शाहिद ): शास्त्रीपुरम स्थित मंदबुद्धि संस्थान टीयर्स में मंगलवार को 18 वर्ष से ऊपर के युवाओं के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से आंवला (जिसे आयुर्वेद में ‘फल दवा’ कहा जाता है) से विभिन्न उत्पादों का निर्माण करना था।
कार्यशाला का आयोजन फूड टेक्नोलॉजिस्ट जे सी शर्मा के नेतृत्व में किया गया, जिन्होंने प्रतिभागियों को आंवला से निर्मित संरक्षित उत्पादों में उपयोगी रासायनिक संरक्षण और अन्य सामग्री के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रतिभागियों ने आंवला कैंडी, मुरब्बा, आंवला प्रास, अचार और सिरप जैसे उत्पादों का निर्माण भी किया।
खाद्य उत्पादों की शुद्धता पर जोर
संस्थान की निदेशिका डॉ. रीता अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा, “आज के समय में बाजार में बहुत सी चीजें नकली मिलती हैं। हमारे संस्थान के पास आंवले के पेड़ होने की वजह से हम इन सब चीजों की शुद्धता बनाए रख पाते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि संस्थान में सफाई और गुणवत्ता के मानकों का पालन कराते हुए बच्चों को कार्यशाला में प्रशिक्षित किया जाएगा।
प्रतिभागियों की सूची
इस कार्यशाला में शामिल बच्चों में आरती, बुसरा, हिमांशी, हर्ष जैन, रितेश, गौरव, विष्णु आदि प्री वोकेशनल पाठ्यक्रम के छात्र शामिल थे। इन बच्चों को न केवल आंवला से विभिन्न उत्पाद बनाने की तकनीक सिखाई गई, बल्कि उन्हें खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के महत्व के बारे में भी जागरूक किया गया।
योगदान और सहयोग
कार्यशाला में साक्षी अग्रवाल और ममता गोयल भी मौजूद रहीं, जिन्होंने प्रतिभागियों को उत्साहवर्धन किया और उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने कौशल को आगे बढ़ाएं।
इस प्रकार की कार्यशालाएं मंदबुद्धि संस्थान टीयर्स जैसे संस्थानों की ओर से की जा रही हैं जो स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि कैसे शिक्षा और कौशल विकास का एक संयोजन बच्चों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकता है। आंवला जैसे प्राकृतिक संसाधनों का सृजनात्मक उपयोग न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह स्वस्थ जीवनशैली के प्रति भी जागरूकता बढ़ाता है। आगरा में ऐसे आयोजन आने वाले समय में अधिक सक्रियता के साथ किए जाएंगे, ताकि युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल सके।
यह कार्यशाला न केवल युवाओं को नए कौशल प्रदान करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज में शुद्ध और स्वस्थ खाद्य उत्पादों के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक प्रयास है। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को एक सशक्त और सक्षम समाज की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।