सोनभद्र: गोड़वाना गणतंत्र पार्टी का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

सोनभद्र के गोड़वाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को कलेक्ट्रेट के बाहर एक जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान, उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन एडीएम न्यायिक को सौंपा, जिसमें उनकी पांच प्रमुख मांगें रखी गई थीं। इस विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य देश के गृहमंत्री द्वारा बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर के संबंध में सदन में दिए गए अभद्र वक्तव्य के खिलाफ अवाज उठाना था।

गोंगपा के जिलाध्यक्ष रामनरेश पोया ने कहा कि गृहमंत्री का यह बयान न केवल बाबा साहब की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि यह समस्त समाज को गहरी चोट पहुँचाने जैसा है। उन्होंने गृहमंत्री से अपील की कि वे देशवासियों से इस संदर्भ में माफी मांगें, जिससे समाज में तनाव को कम किया जा सके।

गोंगवा गणतंत्र पार्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे अपने अधिकारों और सम्मान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष रमाशंकर सिंह पोया और युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम बिहारी मरकाम ने भी इस बयान को कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री का यह वक्तव्य न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि यह समाज में असहमति और विपरीत ध्रुवीकरण को भी बढ़ावा दे सकता है।

ज्ञापन पत्र में कुछ अन्य महत्वपूर्ण मांगें भी शामिल थीं, जैसे सोनभद्र में पांचवीं अनुसूची लागू किए जाने, वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहित दावेदारों को अभिभोग प्रमाण पत्र दिए जाने, और किसानों को बिजली-पानी मुफ्त प्रदान करने की माँग की गई।

ज्ञापन में क्या है?

गोंगपा के जिला प्रवक्ता संतोष कुमार ने बताया कि ज्ञापन में शामिल सभी मांगें जनसुविधा और सामाजिक न्याय के संबंध में हैं। यह भी कहा गया कि सोनभद्र के बेरोजगार युवाओं को स्थानीय कम्पनियों में रोजगार प्रदान किया जाए। उनके अनुसार, यह सभी समस्याएँ समय की आवश्यकता बन गई हैं और अगर इन्हें जल्द हल नहीं किया गया, तो समाज में असंतोष बढ़ सकता है।

गोंगपा कार्यकर्ताओं ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान जुलूस के रूप में नारेबाजी की और झंडा-बैनर के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने नारे लगाते हुए अपने ज्ञापन को एडीएम न्यायिक को सौंपा, जिससे सरकारी अधिकारियों और प्रशासन को उनकी गंभीरता का अहसास हो सके।

विरोध प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ता

इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हुए, जिनमें हीरालाल मरपची, रामचरित्र नेताम, राजेंद्र सिंह मरपची आदि शामिल थे। इन सभी ने सभी के बुनियादी अधिकारों के लिए एकजुट होकर आवाज उठाई, ताकि सरकार उनकी आवाज को सुने और उचित कार्रवाई करे।

गोड़वाना गणतंत्र पार्टी का यह प्रदर्शन मात्र एक आंदोलन नहीं, बल्कि एक चेतनाई है, कि समाज के किसी भी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। गोंगपा के कार्यकर्ताओं की इस तत्परता से यह प्रमाणित होता है कि वे अपने अधिकारों का हनन नहीं होने देंगे। आगे की स्थिति का समाधान निकालने के लिए इसे अत्यंत आवश्यक समझा जा रहा है। इस तरह के प्रदर्शन न केवल राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होते हैं, बल्कि समाज में सामंजस्य के लिए भी आवश्यक होते हैं।

विरोध का यह स्वरुप दर्शाता है कि समाज को एकजुट होकर अपनी बात रखने की आवश्यकता है, ताकि राजनैतिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव संभव हो सके। सोनभद्र की यह घटना केवल एक स्थान की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।

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