Sports – हाइब्रिड और नॉन-कॉन्टेक्टिंग वॉर के लिए भारतीय सेना का सबसे बड़ा युद्धभ्यास, इजरायल और यूक्रेन वॉर से सीख #INA

इजरायल और रूस यूक्रेन वॉर से सीख लेते हुए भारतीय सेना बेहद तेजी अपना मॉडर्नाइजेशन कर रही है. लक्ष्य है, हाइब्रिड और नॉन कॉन्टेक्टिंग वारफेयर के लिए खुद को तैयार करना और अपने स्वदेशी हथियारों पर आत्म निर्भर होना. इसी लक्ष्य के मद्देनजर भारतीय सेना ने 22 अक्टूबर 2024 को बाबिना फील्ड फायरिंग रेंज में ‘स्वावलंबन शक्ति’ अभ्यास का सफल समापन किया. इस छह दिवसीय अभ्यास का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना की हाइब्रिड और नॉन-कम्युनिकेशन युद्ध क्षमताओं को बढ़ाना था. यूक्रेन-रूस और हालिया इजराइल-हमास संघर्षों से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए, भारतीय सेना ने अपने सैन्य अभियानों में आधुनिक तकनीकों और रणनीतियों को अपनाने पर जोर दिया है.
इसी दिशा में भारतीय सेना ने स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करते हुए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, ताकि भविष्य के संघर्षों में हाइब्रिड युद्ध रणनीतियों का बेहतर तरीके से सामना किया जा सके.

यूक्रेन और इजराइल युद्धों से सीखे सबक

यूक्रेन और इजराइल के संघर्षों ने हाइब्रिड और नॉन-कॉन्टेक्टिंग वॉर  की रणनीतियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किए. यूक्रेन युद्ध में ड्रोन तकनीक का व्यापक उपयोग, संचार बाधित होने की स्थिति में भी सैनिकों की गतिविधियों को जारी रखने की क्षमता, और स्वार्म ड्रोन का उपयोग भारतीय सेना के लिए प्रमुख सीख बने. इजराइल-हमास संघर्ष ने सटीक हमलों, स्मार्ट हथियारों और ड्रोनों का प्रभावी इस्तेमाल दिखाया, जहां पारंपरिक संचार साधन सीमित थे.

इन घटनाओं से यह स्पष्ट हुआ कि आधुनिक युद्ध अब केवल बड़े हथियारों और टैंक युद्ध पर आधारित नहीं है, बल्कि सटीकता, सूचना युद्ध, ड्रोन क्षमताओं, और संचार के अभाव में भी प्रभावी युद्ध संचालन जैसी रणनीतियों पर अधिक निर्भर है. भारतीय सेना ने इन सबक को ‘स्वावलंबन शक्ति’ अभ्यास के माध्यम से अपने प्रशिक्षण और युद्धाभ्यासों में शामिल किया है.

स्वावलंबन शक्ति: स्वदेशी तकनीक का समावेश

इस अभ्यास का फोकस सेना की नई रणनीतियों को तकनीकी इनोवेशन के साथ एकीकृत करना था. भारतीय सेना ने स्वदेशी तकनीकों का परीक्षण किया, जिनमें ड्रोन, स्वार्म और कामिकेज़ ड्रोन, ड्रोन जैमर, और रोबोटिक म्यूल शामिल थे. इन सभी तकनीकों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि नॉन-कम्युनिकेशन परिदृश्यों में भी सेना की युद्ध संचालन क्षमता बरकरार रहे.

स्वार्म और कामिकेज़ ड्रोन: यह ड्रोन स्वार्म रणनीति , यूक्रेन और इजराइल युद्धों से प्रेरित है, जहां ड्रोन सटीक हमलों और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ‘स्वावलंबन शक्ति’ अभ्यास के दौरान इन ड्रोनों का उपयोग जटिल युद्ध स्थितियों में किया गया, जिससे यह साबित हुआ कि बिना संचार के भी सेना इन ड्रोनों के माध्यम से सटीक हमले कर सकती है.

ड्रोन जैमर्स: ड्रोन हमलों को रोकने और दुश्मन की ड्रोन गतिविधियों को बाधित करने के लिए हैंडहेल्ड ड्रोन जैमर का परीक्षण किया गया. यह तकनीक इजराइल-हमास संघर्ष में ड्रोनों के लगातार उपयोग से सीखे गए सबक पर आधारित है, जहां ड्रोन खतरे का प्रमुख स्रोत बने.

रोबोटिक म्यूल और ऑल-टेरेन वाहन (ATVs): युद्ध के दौरान रसद आपूर्ति और सैनिकों की त्वरित आवाजाही के लिए रोबोटिक म्यूल और ATVs का इस्तेमाल किया गया. यह उपकरण नॉन-कम्युनिकेशन परिदृश्यों में भी अपनी भूमिका निभाने में सक्षम हैं, जिससे सेना को बिना पारंपरिक संचार के भी मोर्चों पर लड़ाई जारी रखने में मदद मिलेगी.

हाइब्रिड युद्ध की रणनीतियां और भविष्य की तैयारियां

‘स्वावलंबन शक्ति’ ने सेना की हाइब्रिड युद्ध क्षमताओं को भी मजबूत किया है, जिसमें पारंपरिक युद्ध तकनीकों के साथ-साथ सूचना युद्ध, साइबर हमले, और नॉन-कम्युनिकेशन ऑपरेशनों का समावेश है. इस अभ्यास ने यह प्रदर्शित किया कि भारतीय सेना अब न केवल पारंपरिक लड़ाई में सक्षम है, बल्कि आधुनिक युद्ध की अनिश्चितताओं के लिए भी पूरी तरह से तैयार है.

हालिया युद्धों में देखा गया कि पारंपरिक संचार साधनों को बाधित कर देना एक प्रमुख रणनीति बन गया है. इसी कारण, भारतीय सेना ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर-डिफाइंड रेडियो और सुरक्षित मोबाइल नेटवर्किंग प्रणालियों का परीक्षण किया, जो संचार बाधित होने की स्थिति में भी सेना को कनेक्टेड और सक्रिय रख सकते हैं. इसके अलावा, सेना ने लंबी अवधि तक चलने वाले UAVs का उपयोग किया, जो युद्ध के मैदान में विस्तारित निगरानी के लिए अहम भूमिका निभाते हैं.

इस दौरान दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने कहा, “स्वावलंबन शक्ति हमारी हाइब्रिड युद्ध रणनीति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है. हालिया युद्धों से मिले सबक हमारे लिए मूल्यवान हैं, और हम अपनी सेना को नॉन-कम्युनिकेशन युद्ध परिदृश्यों में अधिक सक्षम बना रहे हैं.”

उन्होंने यह भी बताया कि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारतीय सेना अब स्वदेशी तकनीकों को तेजी से अपना रही है. इस अभ्यास के माध्यम से भारतीय सेना ने दिखाया कि वह भविष्य के युद्धों के लिए तैयार है, और हाइब्रिड युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रही है.


#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
डिस्क्लेमरः यह न्यूज़स्टेट डॉट कॉम न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ आई एन ए टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज़स्टेट डॉट कॉम की ही होगी.https://www.newsnationtv.com/india/indian-armys-biggest-war-exercise-for-hybrid-and-non-contact-war-learning-from-israel-and-ukraine-war-7346911

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News