आजाद समाज पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री श्याम प्रसाद बोधी ने महाकुंभ पर उठाये सवाल: क्या गंगा जी सच में स्वच्छ हैं?
फिरोजाबाद। आजाद समाज पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री श्याम प्रसाद बोधी ने महाकुंभ पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर गंगा जी सच में स्वच्छ हैं तो बिसलेरी का पानी क्यों बिक रहा है? उनका यह सवाल न केवल धार्मिक पर्यटन के महाकुंभ की व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि गंगा जी की पवित्रता पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या यह भारत की नदियों की सफाई की दिशा में उठाए गए कदमों की विफलता नहीं है?
महाकुंभ का आयोजन देश के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटना है। हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं, लेकिन इस दौरान कुछ शर्मनाक घटनाएं भी सामने आई हैं। बोधी ने महाकुंभ में साधुओं की गुंडागर्दी और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल हमारे धार्मिक मूल्यों को आहत करती हैं, बल्कि समाज में असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं। बोधी ने मांग की कि इस तरह की गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
महाकुंभ में भगदड़ की घटनाएं भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। हाल ही में हुई कुछ घटनाओं में कई भक्तों की जान चली गई, जिस पर बोधी ने मुख्यमंत्री जी से अपील की है कि वे व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरुस्त रखें। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा किसी भी महाकुंभ के आयोजन में सबसे महत्वपूर्ण होनी चाहिए। अगर भीड़-भाड़ के चलते भगदड़ जैसी घटनाएं होती हैं, तो यह न केवल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि श्रद्धालुओं की जान को भी खतरे में डालता है।
बोधी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आगामी जिला पंचायत चुनावों को देखते हुए उनकी पार्टी अपने संगठन का विस्तार कर रही है। उन्होंने आशा जताई कि आगामी चुनावों में उनकी पार्टी बाहरी बहुमत से विजयी होगी। चुनावों के दौरान की गई व्यवस्थाएं और क्षेत्रीय विकास योजनाएं चुनाव पैनल पर बड़ा प्रभाव डालेंगी।
हालांकि, महाकुंभ के आयोजन में सुरक्षा और सफाई के मामले में गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर प्रशासन इस दिशा में लापरवाह रहा, तो धार्मिक आस्था और सामाजिक सद्भाव दोनों को खतरा हो सकता है। बोधी ने यह भी कहा कि गंगा जी की सफाई का मुद्दा सिर्फ धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि मानव जीवन का भी है।
इस महाकुंभ के संदर्भ में श्याम प्रसाद बोधी के उठाए गए सवाल हमें विचार करने पर मजबूर करते हैं। क्या वास्तव में हम गंगा जी की पवित्रता के लिए गंभीर हैं, या फिर सिर्फ सांकेतिकता तक सीमित हैं? बिसलेरी का पानी बिकता है, जबकि गंगा जी में स्नान के लिए लाखों लोग आते हैं। क्या यह स्थिति गंगा सफाई अभियान की सफलता पर सवाल नहीं उठाती?
महाकुंभ जैसे त्योहार हमारे समाज की एकता और स्वच्छता के प्रतीक हैं, लेकिन जब ऐसे सवाल उठते हैं, तो हमें सोचने की आवश्यकता होती है। बोधी का यह कहना कि साधुओं की गुंडागर्दी और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ ने महाकुंभ के पवित्रता पर दाग लगाया है, हमारे लिए एक चेतावनी है। अगर हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें एक दृढ़ और प्रभावी कदम उठाना होगा।
अंत में, हमें चाहिए कि हम मिलकर गंगा जी की स्वच्छता और महाकुंभ की पवित्रता को बनाए रखने के लिए सचेत रहकर कदम उठाएं। यह केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।