World News: स्पेस में सुनीता विलियम्स जिससे थीं सबसे ज्यादा परेशान, उसका निकल गया समाधान – INA NEWS

हाल ही में 9 महीने बाद धरती पर लौटीं भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने भी स्वीकार किया कि स्पेस में सबसे ज्यादा याद किया ताज़ा और स्वादिष्ट खाना. लेकिन अब वैज्ञानिकों की नई खोज से ये मुश्किल भी दूर हो सकती है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने एक ऐसी तकनीक पर काम शुरू किया है, जिससे खाना लैब में उगाया जाएगा और स्पेस में ही तैयार किया जा सकेगा. अगर ये प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले दो सालों में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर एक मिनी फूड फैक्ट्री लगाई जा सकती है, जहां मसले हुए आलू से लेकर मीठे तक सब कुछ वहीं बन सकेगा.
क्यों जरूरी है स्पेस में खाना?
फिलहाल एक अंतरिक्ष यात्री को रोज़ाना खाना पहुंचाने में करीब 20,000 पाउंड (लगभग 20 लाख रुपये) का खर्च आता है. और जब NASA और अन्य एजेंसियां चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों पर इंसानों को लंबे समय के लिए भेजने की तैयारी कर रही हैं, तो वहां हर दिन रॉकेट से खाना भेजना मुमकिन नहीं होगा. ऐसे में ये तकनीक ना केवल खर्च घटाएगी, बल्कि स्पेस में एक आत्मनिर्भर जीवनशैली की ओर भी पहला कदम होगी.
क्या है लैब-ग्रोन फूड?
लैब-ग्रोन फूड यानी ऐसा खाना जो टेस्ट ट्यूब और मशीनों में तैयार होता है. इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स जैसे तत्वों को जैविक तकनीकों से बनाया जाता है और बाद में इन्हें स्वादिष्ट डिश में बदला जाता है. यह तकनीक धरती पर भी इस्तेमाल हो रही है जैसे अमेरिका और सिंगापुर में लैब-ग्रोन चिकन बिक रहा है और यूके में लैब-ग्रोन स्टेक को मंजूरी मिलने वाली है.
अंतरिक्ष में कैसा होगा ये खाना?
फ्रंटियर स्पेस नाम की कंपनी के CEO डॉ. अकील शम्सुल और इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने एक छोटा बायोरिएक्टर स्पेस में भेजा है जिसमें खास तरह का यीस्ट (खमीर) है. ये बायोरिएक्टर स्पेसएक्स की फाल्कन 9 रॉकेट से भेजा गया है और कुछ घंटे पृथ्वी की कक्षा में घूमने के बाद वापस लाया जाएगा. इसके डेटा से बड़े बायोरिएक्टर की तैयारी होगी, जिसे अगले साल अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
सिर्फ पोषक तत्व नहीं, स्वाद भी जरूरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ पोषण नहीं, बल्कि स्वाद और विविधता भी जरूरी है ताकि अंतरिक्ष यात्री मन से खाना खा सकें. इम्पीरियल कॉलेज के शेफ इस लैब-ग्रोन खाने को मजेदार व्यंजन में बदलने पर काम कर रहे हैं. अगर ये सफल रहा तो भविष्य में फ्रेंच, चाइनीज, इंडियन हर तरह की डिश स्पेस में बना पाएंगे. और अगर स्पेस में ऐसा ताजा और पोषक खाना मिल सके, तो इससे यात्रियों की सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा.
स्पेस में सुनीता विलियम्स जिससे थीं सबसे ज्यादा परेशान, उसका निकल गया समाधान
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