चाशनी में लिपटी मीठी-मीठी जलेबी, ये वो 'उलझन', जो समस्याएं सुलझाती है
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नई दिल्ली, 14 मई (.)। रसमलाई, खीर कदम हो या गुलाब जामुन…जब तक मिठाई की पिटारी में ‘रस कुंडलिका’, ‘वल्लीका’ न रखी जाए, ये अधूरी मानी जाती है। जी हां! हम बात कर रहे हैं जलेबी की। अतरंगी और चाशनी में लिपटी जलेबी न केवल दिखने में खूबसूरत और जिह्वा को सुकून देने वाली बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी उत्तम मानी जाती है।
आयुर्वेद में इसे दवाई की तरह देखा जाता है, तो धर्म-कर्म में भी इसे महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है। आयुर्वेद में जलेबी के महत्व को जानने से पहले आइए हिंदू धर्म में इसके महत्व के बारे में जानते हैं।
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. रत्नेश त्रिपाठी बताते हैं, “ग्रह शांति या ईश्वर के भोग में भी जलेबी का खासा महत्व है। नवरात्रि में कन्या पूजन में दही-जलेबी का भोग लगाया जाता है। भगवती को जलेबी अति प्रिय है। आदि गुरु शंकराचार्य ने देवी पूजा पद्धति में भगवती को पुआ, जलेबी भोग लगाने का उल्लेख किया है। माना जाता है कि भगवती को जलेबी भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि संस्कृत भाषा में लिखी है। पुराणों में भी रस कुंडलिका नाम से जलेबी का उल्लेख मिलता है। भोज कुतुहल में इसे जल वल्लीका नाम दिया गया है। यही नहीं गुण्यगुणबोधिनी में भी जलेबी बनाने की विधि लिखी है।
ये तो हो गई धर्म की बात, अब जलेबी के आयुर्वेदिक महत्व पर बात करते हैं।
आयुर्वेद में जलेबी को सिर्फ मिठाई नहीं, दवाई भी माना जाता है। जलोदर (जलोदर ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट में तरल पदार्थ जमा हो जाता है) नामक बीमारी का इलाज हो या मधुमेह को कंट्रोल करना हो, यहां तक कि कब्ज और सिर में उठने वाले तेज दर्द, माइग्रेन के इलाज के लिए भी जलेबी को रामबाण माना जाता है।
इस विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए आयुर्वेद के डॉक्टर प्रमोद तिवारी ने बताया, “जलेबी ऐसी मिठाई है, जो स्वाद से भरपूर होती है और इसका सही तरीके से सेवन कई स्वास्थ्य लाभ देता है। पाचन संबंधित समस्याओं को खत्म करने के साथ ही यह वात और पित्त दोष को भी खत्म करता है। कब्ज की समस्या दूर होती है। इसके सेवन से कमजोरी भी दूर भागती है।
उन्होंने बताया, आयुर्वेद में उल्लेख है कि माइग्रेन और सिर दर्द के लिए सूर्योदय से पहले दूध के साथ जलेबी खाने से आराम मिलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जलेबी कुंडली के आकार की होती है, जिसका संबंध आंतों से है। कब्ज का ये रामबाण इलाज है।
इसके अलावा, आयुर्वेदाचार्य शास्वत खत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर बताया, वात के साथ जुड़े दर्द को खत्म करने के लिए सूर्योदय से पहले बासी मुंह रबड़ी के साथ जलेबी खाना चाहिए। इससे सिर दर्द में राहत मिलती है।
वहीं, वैज्ञानिक रूप से माना जाता है कि मीठा खाने से डोपामाइन हार्मोन सक्रिय होती है, जिससे मन प्रसन्न होता है।
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एमटी/केआर
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