असद के पतन से टूट के कगार पर सीरिया, HTS, कुर्द और ISIS में सत्ता की जंग, फायदे में इजरायल #INA

Syria Civil War Update: सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के पतन ने देश को एक बार फिर अराजकता और संघर्ष के दलदल में धकेल दिया है. असद के भागने के बाद जो पावर वैक्यूम बना है, उसने सीरिया को विभिन्न गुटों के नियंत्रण में बांट दिया है. इस स्थिति का सबसे बड़ा फायदा इजरायल को हुआ है, जबकि अमेरिका ने भी रूस और ईरान के कमजोर होने से अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर पा लिया है.

गोलन हाइट्स पर इजरायल की पकड़ मजबूत

1967 की युद्ध के दौरान इजरायल ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण गोलन हाइट्स पर कब्जा कर लिया था, जो आज तक उसके नियंत्रण में है. असद सरकार के रहते इजरायल को लेबनान और सीरिया में ईरानी समर्थित हिज़बुल्ला के बढ़ते प्रभाव से चुनौती मिल रही थी.असद सरकार ने ईरान के सहयोग से हिजबुल्ला को सीरिया और लेबनान में व्यापक आधार प्रदान किया.

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इस विस्तार को रोकने के लिए इजरायल ने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, हवाई हमले और सीमित जमीनी कार्रवाई की.अब, असद के हटने के बाद, इजरायल ने गोलन हाइट्स के बफर ज़ोन पर तेजी से कब्जा करना शुरू कर दिया है. साथ ही, वह हिजबुल्ला के सीरिया स्थित ठिकानों और हथियार गोदामों को निशाना बना रहा है, जिससे क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्थिति और मजबूत हो गई है.

सीरिया के मौजूदा गुट और उनके प्रभाव क्षेत्र

असद के जाने के बाद सीरिया में विभिन्न गुटों ने अपने-अपने क्षेत्रीय प्रभाव स्थापित कर लिए हैं. इन गुटों के बीच संघर्ष ने सीरिया को विभाजन और अस्थिरता की ओर धकेल दिया है.

हयात तहरीर अल-शाम (HTS)

क्षेत्र: अलेप्पो से लेकर दमिश्क तक

यह विद्रोही गुट इदलिब और आसपास के इलाकों में मुख्य रूप से सक्रिय था. असद सरकार के खिलाफ विद्रोह का ऐलान का इसी गुट ने अलप्पो, हमा, होम्स और दमिश्क में कब्जा कर असद की सत्ता को जमीदोज कर दिया और अब सीरिया के सबसे बड़े क्षेत्र पर इसका नियंत्रण है.

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कुर्दिश गुट (SDF और YPG)

क्षेत्र: उत्तरी और पूर्वी सीरिया (हसकाह, रक्का, दैर अल-जौर और अलेप्पो के कुछ हिस्से).

एजेंडा: कुर्दिश स्वायत्तता या स्वतंत्र राज्य. इसे अमेरिका और वेस्टर्न देशों का समर्थन प्राप्त है.

शिया समर्थित गुट

क्षेत्र: दक्षिण और पश्चिमी सीरिया (दमिश्क, होम्स, और आसपास के हिस्से).

समर्थक: ईरान.

ISIS (इस्लामिक स्टेट)

क्षेत्र: दैर अल-जौर, रक्का, और हसकाह के कुछ हिस्से.

एजेंडा: खिलाफत का पुनरुत्थान

तुर्की समर्थित गुट

क्षेत्र: उत्तरी सीरिया (अज़ाज़, आफरीन, और अल-बाब).

एजेंडा: कुर्दिश गुटों का विरोध और तुर्की के हितों की रक्षा.

अमेरिका और रूस की भूमिका

अमेरिका ने कुर्दिश गुटों के जरिए सीरिया में अपनी स्थिति मजबूत की है. असद सरकार के गिरने से रूस और ईरान का प्रभाव कम हुआ है, जो अमेरिका के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. वही रूस से बशर अल असद को शरण देकर यह संकेत दे दिया है की सीरिया में वह अपना हस्तक्षेप जारी रखेगा.

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रूस और ईरान

असद सरकार के पतन से इन दोनों शक्तियों को भारी नुकसान हुआ है. रूस का सीरिया में रणनीतिक आधार कमजोर हुआ है, जबकि ईरान का प्रभाव भी सिमट रहा है. एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस के लिए ईरान ने सीरिया का लंबे समय तक इस्तेमाल किया. ईरान ने अपने सबसे बड़े सहयोगी हिजबुल्ला को सीरिया के रास्ते लेबनान में सैन्य सप्लाई जारी रखी और सीरिया में हिजबुल्ला के बड़े ठिकाने स्थापित किए. असद सरकार के संरक्षण में हिजबुल्ला का बड़ा हांथ रहा. रूस यूक्रेन जंग और ईरान इजरायल जंग ने हीं सीरिया में रूस और ईरान के सैन्य समर्थन को कम किया जिसका खामियाजा असद की सत्ता को भुगतना पड़ा.

लीबिया और इराक जैसे हालात

सीरिया की मौजूदा स्थिति उन हालातों से मिलती-जुलती है, जो गद्दाफी के पतन के बाद लीबिया और सद्दाम हुसैन के अंत के बाद इराक में देखे गए थे. गुटों के बीच प्रभुत्व की लड़ाई देश को अराजकता की ओर ले जा रही है. वही विदेशी हस्तक्षेप ने संघर्ष को और जटिल बना दिया है. मौजूदा हालात में यह साफ देखा जा सकता है की असद सरकार के पतन के बाद सीरिया सत्ता संघर्ष का केंद्र बन चुका है. जहां इजरायल और अमेरिका इस स्थिति से लाभान्वित हो रहे हैं, वहीं सीरिया के लोग विभिन्न गुटों और विदेशी शक्तियों के बीच पिस रहे हैं. यदि यह संघर्ष जल्द खत्म नहीं होता, तो सीरिया के टूटने और लंबे समय तक अस्थिरता में रहने की आशंका और बढ़ जाएगी.


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