Tach – एक भी दिन पढ़ाई के बिना JEE Advanced में 4th रैंकिंग, ChatGPT ने कर दिया कमाल, IIT के इंजीनियर का भी चकरा गया माथा

नई द‍िल्‍ली. ओपनएआई का ChatGPT जब से अस्‍त‍ित्‍व में आया है, वह तभी से खबरों में लगतार बना रहता है. अब चैटजीपीटी के नए वर्जन ने देश की सबसे मुश्‍क‍िल परीक्षा में जोरदार अंक लाकर चर्चा को हवा दे दी है. OpenAI के लेटेस्‍ट AI मॉडल “ChatGPT o3” ने JEE Advanced 2025 परीक्षा दी और इसमें उसने लगभग पूर्ण अंक हास‍िल क‍िए. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) Advanced भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा है, जो IITs में एडम‍िशन के ल‍िए आयोज‍ित की जाती है.

IIT खड़गपुर की इंजीनियर अनुष्का आश्वी ने ये प्रयोग किया. हालांक‍ि अनुष्‍का ने ये प्रयोग बस साधारण जिज्ञासा के रूप में शुरू किया था. लेक‍िन जो र‍िजल्‍ट आया, उससे वो हैरान रह गई. ChatGPT o3 ने 360 में से 327 अंक हास‍िल किए, जो इसे वास्तविक परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 4 दिलाने के लिए पर्याप्त होते.

चैटजीपीटी को बनाया परीक्षा का उम्‍मीदवार
आश्वी ने एआई के लिए वास्तविक टेस्ट परिस्थितियों को बारीकी से दोबारा बनाया. अपने ब्लॉग “हेल्टर” में, उन्होंने ड‍िटेल से बताया कि मॉडल को “एक JEE उम्मीदवार की तरह” काम करने के लिए प्रेरित किया गया और हर प्रश्न को इंड‍िव‍िजुअली हल करने के लिए कहा गया और भी वेब सर्च या बाहरी पायथन टूल्स की मदद के बगैर. किसी भी मेमोरी बायस को खत्म करने के लिए, हर प्रश्न को एक नए चैट सेशन में प्रस्तुत किया गया और प्रक्रिया के दौरान कोई सुधार या संकेत नहीं दिए गए.

इन कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, ChatGPT o3 ने उल्लेखनीय दक्षता दिखाई. एआई ने सिम्युलेटेड परीक्षा के दूसरे चरण में रसायन विज्ञान और गणित में पूर्ण 60 अंक प्राप्त किए, जबकि भौतिकी और पहले के सेक्शनों में कुछ अंक ही कम हुए. इस उच्च-दांव, मानव-केंद्रित परीक्षा में एक एआई चैटबॉट का यह अभूतपूर्व प्रदर्शन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तेजी से विकसित हो रही क्षमताओं को उजागर करता है और शिक्षा, प्रतिस्पर्धी मूल्यांकन और “बुद्धिमत्ता” की परिभाषा पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण चर्चाओं को प्रेरित करता है.

इस बीच, Apple के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक अलग जांच ने प्रमुख AI सिस्टम जैसे ChatGPT o3, Claude, और DeepSeek की सीमाओं पर प्रकाश डाला है. ये मॉडल आत्मविश्वासपूर्ण और स्पष्ट उत्तर देने में सक्षम होते हैं, लेकिन वास्तव में कठिन कार्यों के सामने अक्सर असफल हो जाते हैं.

एक नए प्रकाशित शोध पत्र “द इल्यूजन ऑफ थिंकिंग” में, Apple की टीम का तर्क है कि आज के सबसे एडवांस लैंग्‍वेज मॉडल भी उतनी सच्ची तर्कशक्ति में संलग्न नहीं होते जितना आमतौर पर माना जाता है. उनके अध्ययन से पता चलता है कि, हालांकि ये मॉडल बुद्धिमत्ता का प्रभावी ढंग से अनुकरण कर सकते हैं, लेकिन गहरे और जटिल चुनौतियों का सामना करने पर उनकी क्षमताएं काफी हद तक टूट जाती हैं.


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