Tach – अब भारत में ही बनेंगे हाई-टेक ड्रोन, आईआईटी कानपुर ने संभाली कमान!

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आईआईटी कानपुर ड्रोन तकनीक में आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा कदम उठा रहा है. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर आधुनिक हब बनाएगा, जिससे स्वदेशी ड्रोन विकसित होंगे.

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आईआईटी कानपुर.

कानपुर: आईआईटी कानपुर अपनी बेहतरीन तकनीक और शोध के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. खासतौर पर ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संस्थान ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. अब आईआईटी कानपुर भारत को ड्रोन तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. अगर किसी के पास ड्रोन बनाने का कोई नया आइडिया है, तो उसे यहां पूरा समर्थन मिलेगा. संस्थान में ड्रोन का प्रोटोटाइप तैयार किया जाएगा, उसकी टेस्टिंग होगी और उसे प्रमाणित भी किया जाएगा. इस पहल के तहत आईआईटी कानपुर मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज के साथ मिलकर देश में ड्रोन टेक्नोलॉजी का आधुनिक हब तैयार करेगा.

ड्रोन को लेकर हुई बड़ी कॉन्फ्रेंस
आईआईटी कानपुर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें कई सरकारी और निजी संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए. उन्होंने संस्थान के फ्लाइट लैब, यूएवी लैब और अन्य तकनीकी केंद्रों का दौरा किया. इस दौरान आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने उन्हें ड्रोन टेक्नोलॉजी में हो रहे नए शोध और संभावनाओं के बारे में जानकारी दी.

भारत में बनेगा अपना स्वदेशी ड्रोन
मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज के महानिदेशक एम्बेसडर सुजन आर. चिनॉय ने बताया कि भारत में अभी ज्यादातर ड्रोन विदेशों से आयात किए जाते हैं. लेकिन कई बार इनकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं. अगर भारत में ही सरकारी और निजी संस्थानों के सहयोग से स्वदेशी ड्रोन बनाए जाएं, तो यह देश की सुरक्षा और विकास के लिए बहुत फायदेमंद होगा.

आईआईटी कानपुर बनेगा ड्रोन टेक्नोलॉजी का नेशनल हब
अब आईआईटी कानपुर उन सभी छात्रों, वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स की मदद करेगा, जो कृषि, आपदा प्रबंधन और रक्षा क्षेत्र के लिए ड्रोन बनाना चाहते हैं. यहां पर सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो इस तकनीक को विकसित करने में मदद करेंगी. खास बात यह है कि आईआईटी कानपुर भारत का इकलौता संस्थान है, जिसके पास खुद का एयर स्ट्रिप है. इससे ड्रोन की टेस्टिंग करना और उसे प्रमाणित करना आसान होगा.
अगर कोई छात्र, वैज्ञानिक या स्टार्टअप ड्रोन से जुड़ा नया आइडिया लेकर आता है, तो आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ उसकी पूरी मदद करेंगे. यहां ड्रोन का मॉडल और प्रोटोटाइप तैयार किया जाएगा, उसकी फ्लाइट टेस्टिंग होगी और फिर सुरक्षा व गुणवत्ता मानकों के आधार पर प्रमाणित किया जाएगा. इस हब के जरिए उद्योगों, कृषि, रक्षा और आपदा प्रबंधन के लिए सस्ते और विश्वसनीय ड्रोन विकसित किए जाएंगे.

ड्रोन तकनीक में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि संस्थान पहले से ही ड्रोन तकनीक पर शोध कर रहा है. अब इस नए हब के जरिए इन शोधों को और आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे भारत को ड्रोन निर्माण में आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
आज के समय में ड्रोन सिर्फ सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि कृषि, चिकित्सा, आपदा राहत, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसे कई क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहे हैं. भारत में ड्रोन टेक्नोलॉजी की बढ़ती जरूरत को देखते हुए स्थानीय निर्माण और अनुसंधान को बढ़ावा देना बेहद जरूरी हो गया है.
आईआईटी कानपुर में बनने वाला यह हब देश में तकनीकी विकास को तेज करेगा और भारत को ड्रोन टेक्नोलॉजी में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा.

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