हाजीपुर में शिक्षकों का सम्मान समारोह हुआ आयोजित
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार
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राजापाकर प्रखंड क्षेत्र में एक खास अवसर पर, भगवानपुर में आयोजित स्नातक स्तरीय विधान परिषद के सदस्य माननीय बंशीधर बृजवासी के सम्मान में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस शिक्षक सम्मान समारोह में विभिन्न शिक्षकों को सम्मानित किया गया। यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम था, जिसमें शिक्षकों को माला एवं साल पहनाकर उनकी सेवाओं का अभिनंदन किया गया। इस प्रकार का सम्मान समारोह, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ और परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के सहयोग से संपन्न हुआ, जो शिक्षकों की पहचान और योगदान को मान्यता देने के लिए बेहद आवश्यक था।
स्नातक स्तर के विधान परिषद के सदस्य बंशीधर बृजवासी का सम्मान करते हुए प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय वारिसपुर भगवानपुर वैशाली में इस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों ने माननीय बंशीधर बृजवासी का सम्मान करते हुए उनकी शिक्षकों के प्रति सराहना की। शिक्षकों का यह सम्मान समारोह न केवल अपने में अद्वितीय था, बल्कि यह शिक्षकों के समुदाय की एकजुटता का प्रतीक भी था।
शिक्षकों का योगदान
कार्यक्रम के दौरान, माननीय विधान परिषद बंशीधर बृजवासी ने शिक्षकों के महत्वपूर्ण कार्यों की सराहना की। उन्होंने बिहार में शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लिए शिक्षकों के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया। राजापाकर प्रखंड के शिक्षकों का चुनावी प्रक्रिया में योगदान भी इस समारोह का एक महत्वपूर्ण पक्ष था। इस संबंध में शिक्षकों को सम्मानित करते हुए उन्होंने कहा कि, “शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं और उनका कार्य केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है।”
इस सम्मान समारोह में बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष उत्पल कांत, परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष राजकुमार राय, पूर्व साधनसेवी प्रमोद सहनी, प्रभारी प्रधानाध्यापक विनोद कुमार, शिक्षक परमानंद सिंह, रामदयाल यादव, मनीष मणि, अमरेंद्र कुमार मुन्ना और हेमंत कुमार जैसे शिक्षकों को सॉल एवं माला पहनाकर सम्मानित किया गया। प्रखंड अध्यक्ष राजकुमार राय ने माननीय विधान परिषद बंशीधर बृजवासी को इस सम्मान के लिए कोटि-कोटि आभार व्यक्त किया।
शिक्षा का महत्व
आज के इस समारोह ने यह स्पष्ट किया कि शिक्षा केवल अध्यापक तक ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के विकास में सहायक होती है। शिक्षकों के प्रयासों से ही समाज में ज्ञान का प्रसार होता है। शिक्षा से संबंधित इस तरह के सम्मान समारोह न केवल शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि समाज में शिक्षकों की भूमिका को भी प्रस्तुत करते हैं। शिक्षकों का योगदान कभी कम नहीं होता, और उनके प्रति इस तरह की परंपराएँ उन्हें प्रेरित करती हैं।
इस कार्यक्रम ने यह बताया कि जब समाज में सम्मान और समझ का वातावरण होता है, तब शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार संभव है। आगे भी इस प्रकार के आयोजन के माध्यम से, शिक्षक समुदाय को एकजुट रखकर समाज का उत्थान किया जा सकेगा।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि राजापाकर प्रखंड क्षेत्र में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह एक प्रेरणादायक कार्यक्रम था। यह समारोह शिक्षक समुदाय के प्रति समाज की अपार सराहना का प्रतीक था। ऐसे सम्मान समारोह ना केवल शिक्षकों के योगदान को मान्यता देते हैं, बल्कि यह शिक्षा के प्रति जागरूकता को भी बढ़ाते हैं। आशा है कि इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी होते रहेंगे।