देश- 10 रुपये के टिकट से रेलवे को लगाया चूना, 25 रुपये सस्ता बेचकर करते थे खेला; दिमाग घुमा देगी ठगी की ये कहानी- #NA

नकली टिकट बनाने वालों का खुलासा
बिहार में मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार शातिर ठगों को दबोचा है. मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने मास्टरमाइंड सहित चार ठगों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक सभी ठग नकली रेल टिकट बनाकर रेलवे को चूना लगा रहे थे. ठग रेलवे टिकटों में छेड़छाड़ कर यात्रियों को ठगते थेे. दो सालों से ये लोग कम दूरी के जनरल टिकट में हेरफेर करके लंबी दूरी के टिकट बनाकर बेच रहे थे. मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने इनके पास से 30 असली और टेंपरिंग किए हुए जनरल टिकट बरामद किए गए.
अधिकतर टिकट मुजफ्फरपुर से बेंगलुरु के थे. पूछताछ में मास्टरमाइंड सरगना से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. ये लोग 10 रुपये के सामान्य टिकटों को खरीदते थे और फिर उनकी जानकारी को बदलने के लिए टिकट पर खुरच कर, एक छोटी सी मुहर से स्टेशनों, दूरी और किराया की जानकारी भरते थे. बाद में इन्हीं टिकटों को 400 रुपये तक में बेच दिया करते थे. मुजफ्फरपुर आरपीएफ ने गिरफ्तार शातिरों के पास से 135 मुहर बरामद किए हैं, जिन पर स्टेशनों के नाम, दूरी और किराया लिखा हुआ था. गिरफ्तार लोगों में मुजफ्फरपुर के उमेश साहनी, दशरथ साहनी,संतोष शाह और वैशाली के बिगु राम शामिल हैं.
रोजाना 150 से 200 टिकटों में करते थे हेरफेर
आरपीएफ इंस्पेक्टर मनीष कुमार ने बताया कि धोखाधड़ी का कारोबार पिछले दो सालों से अहमदाबाद, मुगलसराय, दरभंगा, बरौनी, पटना, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशनों पर इसका जाल फैला हुआ है. इस धोखाधड़ी से रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा था और फर्जी टिकट पर यात्रा करने वालों को जुर्माना भी भरना पड़ता था. आरपीएफ ने बताया कि ये लोग रोजाना 150 से 200 टिकटों में हेरफेर करते थे.
कैसे हुआ खुलासा?
आरपीएफ काफी समय से इनकी तलाश कर रही थी यह शातिर लोग कम दूरी के जनरल टिकट खरीदते थे. ऐसे मुजफ्फरपुर से तुर्की,या काटी का टिकट जिसकी कीमत ₹10 से कम होती. यह नकली टिकट यात्रियों को असली किराए से 20 से ₹25 कम में बेचते थे. आरपीएफ यह पता लगाने की कोशिश कर रही है इसमें कौन-कौन लोग शामिल है. आरपीएफ की पूछताछ में गिरफ्तार शातिरों ने बताया कि वे लोग शाम में पटना पहुंचते हैं वह स्टेशन रोड स्थित किसी भी होटल में एक कम दाम का कमरा लेते हैं फिर जंक्शन जाकर कई बार में कम दूरी के जनरल टिकट खरीदते थे और फिर होटल के कमरे में आते हैं एक केमिकल से पहले छपा टिकट का अक्षर मिटाते हैं फिर माइक्रो मुहर का इस्तेमाल कर टिकट के साथ टेंपरिंग कर दूसरे दूसरे स्टेशनों का टिकट बनाते थे.
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