देश- ’50 पौधे लगाने होंगे’, जबलपुर हाईकोर्ट में युवक ने मांगी माफी, जज ने दी अनोखी सजा- #NA
सांकेतिक फोटो
मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट की युगलपीठ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने एक आपराधिक अवमानना के मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी द्वारा की गई माफी को स्वीकार किया. इसके साथ ही न्यायालय ने आरोपी को पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने की शर्त पर 50 देशी प्रजाति के पौधे लगाने का निर्देश जारी किया. हालांकि आरोपी ने कोर्ट में अवमामना मामले में माफी भी मांगी थी.
मामला मुरैना जिले के संबलगढ़ न्यायालय द्वारा हाईकोर्ट को भेजे गए पत्र पर आधारित है. पत्र में बताया गया था कि राजस्थान के जयपुर में रहने वाले आरोपी राहुल साहू के खिलाफ उसकी पत्नी पूजा राठौर द्वारा भरण-पोषण का मामला दायर किया गया था. इस दौरान, 7 मई 2024 को पूजा ने न्यायालय को सूचित किया कि राहुल ने इंटरनेट मीडिया पर उसके और न्यायालय के खिलाफ आपत्तिजनक व अनर्गल टिप्पणियां पोस्ट की हैं. पूजा ने इन पोस्टों के प्रमाण भी प्रस्तुत किए. इस आधार पर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अभिषेक कुमार ने राहुल को कारण बताओ नोटिस जारी किया. राहुल ने ना तो नोटिस का जवाब दिया और ना ही व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित हुआ. इसके बाद न्यायालय ने इसे आपराधिक अवमानना के रूप में हाईकोर्ट को संदर्भित कर दिया.
50 पौधे लगाने की मिली सजा
याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी राहुल साहू की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि वह केवल दसवीं तक शिक्षित है और उसे कानून और अदालती कार्यवाही की मर्यादाओं का सीमित ज्ञान है. उसने बिना शर्त माफी मांगी और भविष्य में ऐसा न करने का वचन दिया. वहीं न्यायालय ने मामले की गंभीरता और आरोपी की आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी से सुझाव मांगा. संघी ने सुझाव दिया कि आरोपी से समाज सेवा के रूप में पौधारोपण कराया जाए. युगलपीठ ने इस सुझाव को स्वीकार कर आरोपी की माफी स्वीकार करते हुए 50 देशी प्रजाति के पौधे लगाने का आदेश दिया.
पौधों की देखरेख करने का भी आदेश
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि पौधों की ऊंचाई 4 फीट से कम नहीं होनी चाहिए. पौधारोपण वन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी के निर्देशानुसार संबलगढ़ में निर्धारित स्थान पर किया जाएगा. इसके अतिरिक्त, आरोपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि लगाए गए पौधों की अच्छे से देखरेख भी करनी होगी.
न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से यह संदेश दिया कि अदालत की मर्यादा का उल्लंघन गंभीर अपराध है. हालांकि, सामाजिक और पर्यावरणीय योगदान के माध्यम से प्रायश्चित का अवसर दिया जा सकता है. यह निर्णय न केवल न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण को भी प्रोत्साहितकरताहै.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link