प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित सड़क की जर्जर स्थिति: भ्रष्टाचार की एक और दास्तान?

मिंटू राय संवाददाता

अररिया : संपूर्ण देश में विकास की रफ्तार को तेज करने और ग्रामीण इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत बिहार के अररिया जिले में भी कई सड़कें बनाई गईं हैं। लेकिन यहां पर एक सड़क, जो मात्र एक वर्ष में ही जर्जर हो गई है, इस योजना की मंशा पर सवाल उठाती है। यह मामला नरपतगंज मुख्य बाजार से फुलकाहा बॉर्डर तक फैली 11 किलोमीटर लंबी सड़क का है, जिसकी लागत लगभग 6 करोड़ रुपये है।

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इस सड़क का कार्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था, और इसका निर्माण संवेदक मेसर्स आर.पी. कट्रिक्शन, अररिया द्वारा किया गया था। हालाँकि, कार्य पूर्ण होने से पहले ही सड़क में गड्ढे पड़ने लगे हैं और कई जगह गिट्टी उड़ने लगी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि संवेदक ने निर्माण के दौरान गंभीर अनियमितताएँ बरती थीं, जिस कारण सड़क की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं।

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ होने के समय से ही व्यस्तता और गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आने लगी थीं। कई बार संबंधित अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण कर संवेदक को मानक मापदंडों के अनुसार कार्य करने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन घटनाक्रम ये बताता है कि उनके दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, एक वर्ष से कम समय में ही सड़क की स्थिति खस्ता हो गई।

मोहम्मद कासिम, रामवृक्ष पासवान, रामाधीन पासवान और अन्य स्थानीय निवासियों ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है। इन्होंने बताया कि सड़क के दोनों किनारों पर मिट्टी डालना अनिवार्य था, लेकिन संवेदक ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इस कारण, आए दिन वाहनों को ओवरटेक करने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सड़क की इस स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कोई भी अधिकारी या संवेदक अपनी जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर नहीं है।

स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि अधिकारियों की मिलीभगत ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। जब भी इस समस्या की जानकारी अधिकारियों को दी गई, उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। यह निश्चित रूप से एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल सरकार के प्रति लोगों के विश्वास को प्रभावित करता है, बल्कि इन योजनाओं के तहत किए जा रहे विकास कार्यों की गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिह्न लगाता है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का उद्देश्य भारत में सड़क अवसंरचना को मजबूत करना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है। लेकिन इस प्रकार की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की घटनाएं योजना की वास्तविकता को दर्शाती हैं। यह आवश्यकता है कि संबंधित अधिकारी इस मामले की गंभीरता को समझें और आवश्यक कदम उठाएं। केवल ऐसे कार्यवाही ही सुनिश्चित करेंगी कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की योजनाएं सच में प्रभावी साबित हों।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि जब तक स्थानीय लोगों की आवाज को सुना नहीं जाता और सही समय पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक विकास की योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रहेंगी। आवश्यक है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम उठाए ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके। किसान और ग्रामीण विकास की जो नींव हैं, उन्हें ही सशक्त करने के लिए सही दिशा में काम करना होगा। केवल इस प्रकार ही हम सच्चे विकास की ओर बढ़ सकते हैं।

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