यूपी- महाकुंभ की पूरी गाथा दिखेगी एक गमछे पर, बनारसी कलाकारों का कमाल – INA

प्रयागराज और काशी का ऐतिहासिक संबंध हमेशा से ही विशेष रहा है, और अब जब महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं, काशी के कारीगरों ने इस संबंध को और भी गहरा करने के लिए एक विशेष गमछा तैयार किया है. इस दुपट्टे में महाकुंभ की पूरी गाथा को दर्शाया गया है. यह गमछा काशी से प्रयागराज भेजा जाएगा और पहले एक हजार गमछे साधु-संतों के बीच मुफ्त बांटे जाएंगे. इसके बाद, इसे सनातन धर्म के प्रचार के लिए बिना किसी लाभ के, लागत मूल्य पर कुंभ क्षेत्र में वितरित किया जाएगा.

वाराणसी के कारीगरों द्वारा तैयार किए गए इस दुपट्टे में महाकुंभ की उत्पत्ति और समुद्र मंथन के चित्रण के साथ-साथ महाकुंभ से जुड़े प्रमुख घटनाओं को भी दर्शाया गया है. इस खास दुपट्टे की डिजाइन को तैयार करने में महीनों की रिसर्च और मेहनत लगी है. सौम्या यदुवंशी, जिन्होंने इस दुपट्टे का डिजाइन तैयार किया है, बताते हैं कि यह पहला गमछा है जिसमें समुद्र मंथन और महाकुंभ के लोगों को शामिल किया गया है. यह गमछा न केवल कारीगरी का उदाहरण है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मानित करता है.

पूरी दुनिया में मशहूर

बनारसी कपड़ा उद्योग दुनिया भर में मशहूर है, और अब काशी के कारीगर महाकुंभ के लिए विशेष दुपट्टे तैयार कर रहे हैं जो सनातन धर्म का प्रचार करेंगे. पहले कंप्यूटर पर डिज़ाइन तैयार किया गया और फिर इसे कॉटन कपड़े पर छापा गया. इस दुपट्टे को अंकित और विकास द्वारा तैयार किया गया है. विकास बताते हैं कि इस दुपट्टे में महाकुंभ की पूरी कथा को दर्शाया गया है और यह व्यापार के लिए नहीं बल्कि सनातन धर्म के प्रचार के लिए तैयार किया गया है. दुपट्टे की लागत 80 रुपये रखी गई है.

1000 साधुओं को मुफ्त बांटेंगे गमछा

बनारसी साड़ी बेचने वाले गद्दीदार इस दुपट्टे को प्रयागराज तक पहुंचाने का जिम्मा उठा रहे हैं. उनका कहना है कि पहले 1000 दुपट्टे संतों के बीच मुफ्त बांटे जाएंगे और फिर बिना किसी लाभ के पहले 15,000 दुपट्टे लागत मूल्य पर प्रयागराज भेजे जाएंगे. यह सिलसिला पूरे महाकुंभ के दौरान जारी रहेगा.इस दुपट्टे का वितरण महाकुंभ में एक नई पहल है, जो न केवल काशी और प्रयागराज के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि सनातन धर्म के प्रचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.


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