खुशियों से भर गया दो दम्पतियों का घर…दत्तक ग्रहण संस्थान बेतिया में रांची एवं गया के दो दम्पतियों को सौंपा गया बालक।
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार,

बेतिया। विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान, बेतिया में हाल ही में दो दम्पतियों ने अपने परिवार में खुशियों का स्वागत किया। यह घटना दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को एक उत्सव के रूप में मनाते हुए हुई। जिलापदाधिकारी के आदेश पर, बालक मृत्युंजय कुमार को रांची, झारखंड के दंपति और बालक अभिनव प्रकाश को गया, बिहार के दंपति को सहायक निदेशक ब्रजभूषण कुमार ने सौंपा। इस प्रकार, एक बार फिर दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया ने दो परिवारों के जीवन में खुशियों की नई किरणें जगाईं।
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को समझना
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से अब पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है। दुबारा जानकारी देने के लिए, कोई भी दत्तक ग्राही माता-पिता केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण (CARA) के पोर्टल पर पंजीकरण करवाकर दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें सिर्फ एक फोन नंबर, पैन कार्ड और ई-मेल आईडी की जरूरत होती है। होम स्टडी रिपोर्ट, जो कि दत्तक ग्राही माता-पिता की योग्यता का आंकलन करती है, नजदीकी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा तैयार की जाती है। इस प्रक्रिया के तहत माता-पिता की स्थिति का बारीकी से विश्लेषण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे बच्चे को गोद लेने के लिए सक्षम हैं।
इस नई डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से, पहले के जटिल प्रक्रियाओं को सरल बना दिया गया है। इनके अलावा, यह समझना जरूरी है कि किसी भी व्यक्ति, अस्पताल या नर्सिंग होम से बच्चा गोद लेना गैर-कानूनी है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति बच्चा गोद लेना चाहता है, तो उसे विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान या जिला बाल संरक्षण इकाई से ही संपर्क करना होगा।
बच्चों की सुरक्षा और कल्याण का ध्यान
बेतिया के दत्तक ग्रहण संस्थान में, इन बच्चों की सुरक्षा और उनके भविष्य के कल्याण का ख्याल रखा जाता है। परित्यक्त बच्चों के लिए बाल कल्याण समिति की प्रक्रिया को भी प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है। यदि कोई बच्चा बिना किसी अभिभावक के मिलता है, तो उसे 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के पास प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इसके बाद, CARA की वेबसाइट पर बच्चे का पंजीकरण करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में बच्चों का विज्ञापन करना और किसी दावेदार के न होने पर कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण के लिए उनका निरूपण करना शामिल है।
दत्तक ग्रहण का महत्व
दत्तक ग्रहण केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक उत्तरदायित्व को भी दर्शाता है। यह उन बच्चों के लिए एक नई आशा है, जो बिना माता-पिता के जीवन गुजारने को मजबूर हैं। इस प्रकार की घटनाएं न केवल बच्चों के जीवन को संवारती हैं, बल्कि उन्हें एक परिवार का स्नेह भी देती हैं।
बेतिया के इस विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान में, माता-पिता और बच्चों के बीच एक नई त्रिवेणी स्थापित होती है। जिले के विभिन्न समुदायों में खुशी का माहौल है और इसमें दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को लेकर जागरूकता भी बढ़ रही है।
इस उत्सव के पलों में, जब दम्पतियों ने अपने हाथों में अपने नए बच्चे को लिया, तो उन्होंने हर एक शब्द में प्रेम की गहराई और सुरक्षा की भावना महसूस की। वे केवल दत्तक ग्रहाही नहीं हैं, बल्कि अब वे इन बच्चों के जीवन में परिवार, स्नेह और खुशी के संवाहक बन गए हैं। दत्तक ग्रहण की इस प्रक्रिया ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्यार और देखभाल किसी भी रिश्ते की नींव होती है।
इस प्रकार, दत्तक ग्रहण का यह उदाहरण हमें यह सिखाता है कि हर बच्चा, चाहे वह कहीं से भी आया हो, एक सुरक्षित और प्रेममय परिवार का हकदार होता है। बेतिया के दत्तक ग्रहण संस्थान में बच्चों की खुशियों का यह उत्सव निश्चित रूप से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।