खबर बाजार -शेयर बाजार में आ सकता है नया भूचाल? कर्नाटक से आई इस नई रिपोर्ट ने निवेशकों को किया परेशान – #INA

भारत के माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में क्या फिर से एक नया तूफान उठने जा रहा है? क्या बैंकों और NBFCs को नए सिरे से झटका लगने वाला है? अगर आप निवेशक हैं, शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं या फिर भारत की इकोनॉमी में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको कर्नाटक से उठने वाले इस तूफान के बारे में जरूर जानना चाहिए। आने वाले दिनों में यह तूफान पूरे वित्तीय सिस्टम पर असर डाल सकता हैं। यह पूरा मामला क्या है?
कर्नाटक को हाल फिलहाल तक माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट के लिए सबसे सुरक्षित बाजारों में से एक माना जाता था। लेकिन ब्रोकरेज फर्म Incred Equities की आई एक नई रिपोर्ट अब कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। 24 मार्च को आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस सेक्टर एक गंभीर वित्तीय संकट की ओर बढ़ रहा है।
ब्रोकरेज ने कहा कि इस संकट के बढ़ने के पीछे 3 प्रमुख कारण है। पहला- ओवरलीवरेजिंग यानी जरूरत से अधिक कर्ज। दूसरा- सब लेंडिंग, यानी खुद कर्ज के पैसे लेकर दूसरों को कर्ज देना और तीसरा- कर्नाटक सरकार का एक विवादित अध्यादेश, जो इसे पूरे सेक्टर में अस्थिरता पैदा करने की क्षमता रहा है।
इनक्रीड इक्विटीज ने कहा कि ऊपर से देखने पर कर्नाटक का माइक्रोफाइनेंस सेक्टर स्थिर दिखाई देता है। हाल ही में खत्म हुई दिसंबर तिमाही तक, कर्नाटक की एसेट क्वालिटी भारत के बाकी राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर थी। 30-90 दिन तक देरी से पेमेंट करने वाले अकाउंट्स की संख्या में मामूली रूप से ही इजाफा देखने को मिला था।
लेकिन अब जमीनी रिपोर्ट्स और प्राइवेट एजेंसियों के सर्वे से पता चलता है कि स्थिति पूरी तरह बदल गई है। उन्होंने पाया कि राज्य में ऐसे काफी लोग हैं, जिन्होंने एक से ज्यादा माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से लोन लिया हुआ है और अब वे इसे चुकाने में असमर्थ हो रहे हैं। इससे लोन डिफॉल्ट करने वालों की संख्या बढ़ने का खतरा बढ़ा है। इसके अलावा कई लोगों ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर उस पैसे को कहीं ऊंची ब्याज दर पर दूसरों को ब्याज दिया है, जिसे लोन पेमेंट की साइकल को गंभीर खतरा पैदा हुआ है। राज्य में इस सब-लेंडिंग का चलन बढ़ता जा रहा है, जो एक्सपर्ट्स को परेशान कर रहा है।
इस सबसे बीच कर्नाटक की राज्य सरकार ने एक ऐसा अध्यादेश लगाया है, जिसने इस संकट को और बढ़ा दिया है। इस अध्यादेश के चलते कई कर्जदारों को यह गलतफहमी हो गई है कि लोन का चुकाना अब अनिवार्य नहीं है। इसके चलते लोन कलेक्शन की दर में भारी गिरावट आई है और स्थिति पहले से अधिक खराब हो गई है। राजनीतिक हस्तक्षेप से आर्थिक अनुशासन में कैसे गड़बड़ी होती है, कर्नाटक के इस मामले में साफ तौर से दिखाई दे रहा है।
इस सबका नतीजा यह हुआ है कि बैंकों और NBFCs कंपनियों ने नए लोन बांटने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। कई ने तो नए लोन देने पर ही रोक लगा दी है। इसकी जगह वह अब अपने पुराने लोन के कलेक्शन पर अधिक फोकस कर रही है। यहां तक कि लोन रिन्यू करने को लेकर भी उन्होंने नियम काफी कड़े कर दिए हैं, जिसके चलते रिन्यूअल रेट अब घटकर 30 से 40 प्रतिशत पर आ गया है।
कौन सी कंपनियां अभी भी मजबूत स्थिति में हैं?
लेकिन इस संकट के बीच भी कुछ कंपनियां बेहतर स्थिति में हैं। इनक्रीड इक्विटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक की सबसे बड़ी माइक्रोफाइनेंस कंपनी क्रेडिटएक्सेस ग्रामीण (CreditAccess Grameen) की स्थिति अभी अच्छी बनी हुई है। इसने साप्ताहिक आधार पर वसूली और स्ट्रक्चर्ड लेंडिंग के मॉडल को अपनाया है। कंपनी इससे पहले ही आंध्र प्रदेश के माइक्रो फाइनेंस सेक्टर में आए संकट, नोटबंदी और कोरोना महामारी जैसे झटकों को अच्छे तरीके से झेल चुकी है।
इसके अलावा उज्ज्वीन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Ujjivan Small Finance Bank) भी बैंक बड़े टिकट लोन और मंथली कलेक्शन मॉडल पर काम करता है, जो इसे बाकी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित बनाता है। हालांकि, ये कंपनियां भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि मार्केट में बढ़ता तनाव और डिफॉल्ट्स पूरे सेक्टर को प्रभावित कर सकते हैं।
अब सवाल है कि आने वाले समय में क्या होगा?
कर्नाटक के MFI सेक्टर के लिए अगली दो तिमाही बेहद अहम होंगे। अगर सरकार अपनी पॉलिसी में जल्दी सुधार नहीं हुआ, तो डिफॉल्ट्स और बकाएदार खातों में और इजाफा हो सकती है। इससे बैंकों और NBFCs कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है, जो कमजोर दिल वाले निवेशकों को परेशान कर सकता है।
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