दुनियां – पलक झपकते ही अमीर बन गया था जॉर्ज सोरोस, अब पैसे के दम पर बैकडोर से करता है पॉलिटिक्स – #INA

जॉर्ज सोरोस दुनियाभर में एक जाना-माना नाम है. हमारे देश की सियासत में भी गाहे-बगाहे अक्सर जॉर्ज सोरोस का जिक्र होता रहता है. 94 साल के अमेरिकी अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस वैसे तो खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता कहलाना पसंद करते हैं लेकिन उन पर दुनियाभर में कई गंभीर आरोप लग चुके हैं.
ताजा विवाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेकर है, बीजेपी का आरोप है कि सोनिया गांधी फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पेसिफिक (FDL-AP) नाम के एक ऐसे संगठन से जुड़ी हैं, जिसे अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस फंडिंग करते हैं, यही नहीं यह संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग करता है.
सोरोस पर ‘सियासी संग्राम’!
इससे पहले भी कई बार कांग्रेस और गांधी परिवार पर बीजेपी इस तरह के आरोप लगा चुकी है. बीजेपी का कहना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को भी सोरोस से फंडिंग मिलती है जिसका इस्तेमाल भारत विरोधी एजेंडे के लिए किया जाता है. हालांकि जॉर्ज सोरोस पर लगने वाला यह आरोप कोई नया नहीं है, उन पर कई देशों में समाजसेवा की आड़ में अरबों खर्च करने और राजनीति को प्रभावित करने का आरोप लग चुका है. कभी गरीबी और तंगहाली में गुज़ारा करने वाले जॉर्ज सोरोस ने जब इन्वेस्टमेंट की दुनिया में कदम रखा तो फिर कभी मुड़कर नहीं देखा.
अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस कौन हैं और वह उन पर दुनियाभर में क्या कुछ आरोप लग चुके हैं जानिए.
हंगरी में हुआ था सोरोस का जन्म
जॉर्ज सोरोस, अमेरिका के बड़े कारोबारी और निवेशक हैं. सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था. यहूदी परिवार में जन्मे सोरोस महज 17 साल की उम्र में परिवार के साथ लंदन आ गए. फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक सोरोस के पिता एक वकील थे और नाज़ी कब्जे के दौरान उन्होंने अपने परिवार की पहचान छिपाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देकर नकली दस्तावेज तैयार करवाए थे.
कूली से अरबपति निवेशक तक का सफर
सोरोस का बचपन गरीबी और तंगहाली में बीता, उन्होंने लंदन में कुली और वेटर के तौर पर काम कर पैसे जुटाए और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई की. 26 साल की उम्र में जॉर्ज सोरोस अमेरिका शिफ्ट हो गए. न्यूयॉर्क में सोरोस ने फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट से जुड़े कई फर्म्स में काम किया लेकिन वह जल्द समझ गए कि पैसे कमाने के लिए नौकरी काफी नहीं है. 1973 में जॉर्ज सोरोस ने शेयर बाजार में निवेश के लिए सोरोस फंड मैनेजमेंट के नाम से एक कंपनी बनाई. बस यही वह समय था जब सोरोस की किस्मत चमक गई, महज 6 साल में ही वह अमेरिका शेयर बाजार में निवेश कर करोड़पति बन गए.
पैसे के दम पर दुनियाभर की सियासत में दखल!
फोर्ब्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार उनकी नेटवर्थ 6.7 अरब डॉलर से ज्यादा है. हालांकि जॉर्ज सोरोस खुद को सफल निवेशक या कारोबारी के बजाय सामाजिक कार्यकर्ता कहलाना पसंद करते हैं. उन्होंने अपनी ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के जरिए दुनियाभर के करीब करीब 100 देशों तक पहुंच बनाई है. कहा जाता है कि समाजसेवा की आड़ में जॉर्ज सोरोस कई देशों की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश करते रहे हैं.
सोरोस ने कई मौकों पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है. उन्होंने मोदी सरकार पर तानाशाही व्यवस्था चलाने का आरोप लगाया था. सोरोस जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और CAA का कड़ा विरोध जता चुके हैं. यही वजह है कि भारत की सियासत में सोरोस हमेशा चर्चा का विषय बने रहे हैं.
अमेरिका-ब्रिटेन में भी लगे गंभीर आरोप
94 साल के सोरोस पर दुनिया के कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के लिए एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहा है. उन पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को हराने के लिए 125 करोड़ रुपए खर्च करने का आरोप है. वह अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के सबसे बड़े डोनर्स में से एक रहे हैं, लेकिन साल 2022 में उन्होंने एक बड़ा दांव खेला और मिडटर्म चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन करने वाली संस्था PAC को करीब 125 मिलियन डॉलर दिए.
राजनीतिक दखल के अलावा सोरोस के निवेश और कमाई भी विवादों में रही है. साल 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को तबाह करने में उनका हाथ बताया जाता है. सोरोस पर आरोप है कि इस दौरान ब्रिटेन के करेंसी संकट ब्लैक वेन्जडे के दौरान उन्होंने ब्रिटिश मुद्रा की शॉर्ट सेलिंग कर करीब एक बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया था.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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