सेहत – असली भी होते हैं ये व्रत! इसके फायदे जानेंगे तो आप भी हो जाएंगे हैरान, लेकिन ये खतरनाक भी है
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हाल के वर्षों में, इंटरमिटेंट फास्टिंग (आईएफ) एक ऐसा ट्रेंड बनकर उभरा है जो वजन से लेकर लंबी उम्र तक के शानदार का वादा करता है। लेकिन क्या विज्ञान भी इस खाने के पैटर्न का समर्थन करता है? और यह आपके लिए क्या सही हो सकता है? डॉ. अनमोल चुग, जो एक प्लास्टिक इंजीनियर और स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं, ने इस पर विस्तार से चर्चा की।
इंटरमिटेंट फास्टिंग आपकी भोजन की गुणवत्ता पर नहीं, बल्कि समय पर आधारित है। इसमें भोजन और उपवास के निश्चित समय का पालन किया जाता है। लोकप्रिय विज्ञापनों में शामिल हैं:
- 16/8 विधि: 16 घंटे उपवास और 8 घंटे भोजन का समय।
- 5:2 सारांश: प्रति सप्ताह 5 दिन सामान्य खाना और 2 दिन की कैलोरी को बेहद कम करना।
- वैकल्पिक दिन उपवास: एक दिन खाना और दूसरे दिन उपवास।
फास्टिंग के फायदे और दावे
इंटरमिटेंट फास्टिंग के समर्थकों का मानना है कि यह पोर्टफोलियो को नियंत्रित करता है, फास्ट बर्निंग को बढ़ावा देता है और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इसके सबसे बड़े समूह में से एक है कि इस संस्थान को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
विज्ञान और शोध क्या कहते हैं?
शोध से पता चलता है कि यदि शरीर में कई जैविक परिवर्तन होते हैं जो स्वास्थ्य और दीर्घायु को सहारा देते हैं। प्रमुख शोध ग्रंथ प्रकृति और कोशिका चयापचय में प्रकाशित टुकड़ों में इन अवशेषों को शामिल किया गया है:
- चतुर्थांश में सुधार: सीरम शुगर लेवल को स्थिर करता है, टाइप 2 प्लाज्मा के खतरे को कम करता है।
- विशेष मरम्मत: फास्टैक्शन के दौरान बॉडी ऑटोफैगी नामक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे सेल्स खराब हो जाती हैं।
- मस्तिष्क स्वास्थ्य: यह बीडीएनएफ नामक प्रोटीन के उत्पाद को पुनः प्राप्त करता है, जो मस्तिष्क के रसायन और न्यूरोडीजेनेरेटिव से सुरक्षा प्रदान करता है।
कारखाने पर किए गए काम में सकारात्मक नतीजे मिले हैं। फास्टेस्ट ने सबसे बड़ी उम्र और कैंसर, हृदय रोग जैसी समस्याओं से लड़ने की क्षमता को बेहतर बनाया। इंसानों पर शोध अभी जारी है, लेकिन प्रारंभिक साक्ष्य से पता चलता है कि अगर मेटाबॉलिक स्वास्थ्य और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है, तो उम्र बढ़ने से जुड़ी समस्याओं को रोकने में सहायक हैं।
पूर्वजों के लिए उपयुक्त और किसे रहना चाहिए?
रुक-रुक कर उपवास करना सभी के लिए सही नहीं है। यह वज़न और मेटाबोलिक स्वास्थ्य वंचितों के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन कुछ लोगों को इससे बचना चाहिए, जैसे:
- गर्भवती.
- खाने से जुड़े दस्तावेजों का इतिहास रखने वाले।
- विशेष चिकित्सा देखभाल वाले लोग.
- साथ ही, उपवास का मतलब सिर्फ भोजन ग्रहण करना नहीं है। समय-समय पर आहार लेना अत्यंत आवश्यक है ताकि पोषण में कमी न हो।
सावधानी और सही दृष्टिकोण
आंतरायिक उपवास को स्वस्थ्य अनुशासन के अन्य सिद्धांत जैसे नियमित व्यायाम, क्रमिक आहार और तनाव प्रबंधन के साथ जोड़ा जाए तो इसके फायदे सबसे ज्यादा सामने आते हैं। इसे पहले धीरे-धीरे शुरू करें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
पहले प्रकाशित : 5 दिसंबर, 2024, 18:04 IST
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
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