सेहत – संजीवनी से कम नहीं यह हार्ट, पिज्जा-टीबी सहित, रामबाण में है उपयोग, जानें उपयोग

उद्देश्य. आयुर्वेद में कुटकी एक गुणकारी औषधि है। ब्रून्स से आयुर्वेदाचार्य रोगी को स्वस्थ्य रखने के लिए कुटकी का उपयोग कर रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर संजय कुमार ने स्थानीय 18 से बातचीत करते हुए बताया कि पेट में दर्द, पित्त और कफ की परेशानी ठीक करने वाली, भूख बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी है। यह बुखार, टीफ्लोयड, टी.बी., बवासीर, दर्द, उल्टी आदि में भी लाभ पहुँचाता है। इसके साथ ही कुट्टी सांसों की बीमारी (सांसों का मोटापा या फूलना), सूखी खांसी, खून की तीक्ष्णता, शरीर की जलन, पेट के कीड़े, मोटापा, सर्दी-जुकाम आदि में भी मदद मिलती है।

कुटकी का स्वाद और तीखा होता है. इसलिए इसे कटुंभरा भी कहा जाता है. कुटकी के काढ़े से गरारा करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। इसका सेवन करने से तुरंत फायदा होता है। इसे पीने से एक बुखार, दमा और खांसी ठीक होती है। कुटकी से बने 10-20 मिली काढ़ा पीने से मियादी बुखार या फिर चारे में फायदा होता है. कुटकियों में मधुमेह को नियंत्रित करने वाले औषधीय गुण पाए जाते हैं। कुट्टी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है। यदि आप रोजाना सुबह खाली पेट कुटकी के अर्क का सेवन करते हैं, तो आपको वजन में अनुमानित मदद मिल सकती है। उपकरण प्राप्त करने के लिए आरंभ किए गए प्रोजेक्ट से कुट्टी काफी प्रभावशाली जड़ी-बूटी है। यदि आप फोड़े-फुंसी, घाव आदि से संबंधित हैं, तो कुट्टी का उपयोग कर सकते हैं। कुटकी में मौजूद तत्व घाव भरने में मदद करते हैं। कुटकी के सेवन से कब्ज का इलाज किया जा सकता है। कुटकी से राहत पाने के लिए आप शहद के साथ पूरे दिन में लगभग छह बार कुटकी का सेवन करें। कुटकी का सेवन सीमित मात्रा में और चिकित्सा के परामर्श के बाद ही करना चाहिए।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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