खबर फिली – नहीं रहीं पंडित जसराज की पत्नी मधुरा, फिल्म संगीत में संतूर है जिनकी देन – #iNA @INA
मधुरा जी की कहानी का एक सिरा उस कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है, जो पंडित शिवकुमार शर्मा के शुरुआती दिनों का है. वो किस्सा संगीत की दुनिया में बहुत मशहूर है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उस किस्से का एक किरदार मधुरा जी भी थीं. हुआ यूं कि पचास के दशक में मुंबई में एक प्रतिष्ठित संगीत समारोह था.
पंडित शिवकुमार शर्मा तब 17-18 साल के थे. उन्हें संतूर बजाने के लिए उस कार्यक्रम में बुलाया गया था, लेकिन संतूर बजाने से पहले उन्होंने सोलो तबला बजाने की जिद रखी. वो भी तब जबकि उस कार्यक्रम में उस्ताद अल्लारखा खां साहब, पंडित अनोखे लाल, पंडित सामता प्रसाद, पंडित किशन महाराज, उस्ताद हबीबुल्लाह खान और उस्ताद अहमद जान थिरकवा जैसे बड़े-बड़े कलाकार पहले से तबला बजाने के लिए मौजूद थे. खैर, उस रोज पंडित शिवकुमार शर्मा ने पहले तबला बजाया और फिर संतूर बजाया. बड़े-बड़े कलाकारों ने जमकर उनकी तारीफ की.
मधुरा जी भी उस कार्यक्रम को सुन रही थीं. उन्हें संतूर की आवाज छू गई. उनकी संगीत की समझ कहती थी कि ये साज फिल्मी संगीत में भी लोगों को पसंद आने वाला है. उससे पहले शायद ही फिल्म संगीत में संतूर का प्रयोग किया गया था. मधुरा जी ने पहली फुर्सत में अपने पिता और जाने माने फिल्मकार वी शांताराम को संतूर साज और पंडित शिवकुमार शर्मा दोनों के बारे में बताया. उस समय वी शांताराम फिल्म बना रहे थे- झनक झनक पायल बाजे. बेटी मधुरा के साथ बातचीत में ही तय हो गया कि शिव कुमार शर्मा से मुलाकात की जाए.
जब पंडित शिवकुमार शर्मा को आया टेलीग्राम
मधुरा जी ने पंडित शिवकुमार शर्मा को बताया कि उन्हें उनके पिता ने मिलने के लिए बुलाया है. पंडित शिवकुमार शर्मा ने अपने इम्तिहान का हवाला देकर माफी मांग ली. हालांकि दिलचस्प बात ये है कि पंडित शिवकुमार शर्मा जब विश्वविख्यात कलाकार हो गए तब भी मानते थे कि ये उनकी नादानी थी. किस्मत ने पंडित शिवकुमार शर्मा को फिर मौका दिया.
इम्तिहान के बाद उनके पास राजकमल स्टूडियो से एक टेलीग्राम आया- उस टेलीग्राम में लिखा था- कम टू बंबई. चूंकि संतूर साज नया था इसलिए फिल्म म्यूजिक में भी पहली बार इस्तेमाल हुआ. झनक झनक पायल बाजे फिल्म में शास्त्रीय नृत्य संगीत के एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकार थे. इस फिल्म में महान कथक डांसर गोपीकृष्ण हीरो थे. दिग्गज सामता प्रसाद ने उस फिल्म में तबला बजाया था. उस फिल्म का टाइटिल सॉंग झनक झनक पायल बाजे शास्त्रीय गायकी के दिग्गज उस्ताद अमीर खां का गाया हुआ था. ऐसी फिल्म में इतने बड़े कलाकारों के बीच में पंडित शिवकुमार शर्मा ने संतूर बजाया और इसके लिए श्रेय जाता है मधुरा जसराज को.
60 के दशक में हुई पंडित जसराज से शादी
एक बार मैं पंडित जसराज का इंटरव्यू कर रहा था. मैंने फिल्म संगीत में उनकी दिलचस्पी के बारे में पूछा तो हंस कर कहने लगे- ” भाई, मेरी शादी वी शांताराम जैसे दिग्गज फिल्मकार की बेटी से हुई है तो फिल्म संगीत क्यों नहीं पसंद होगा. मधुरा जी से शादी का संयोग भी तो संगीत के जरिए ही बना था. वो हमारे कार्यक्रम में आती थीं. हमारा पहला कार्यक्रम मुंबई में हुआ था जिसके बारे में उन्होंने लोगों से सुना कि मैंने बहुत अच्छा गाया. दूसरे साल के कार्यक्रम में वो मुझे सुनने के लिए खुद आईं तो उन्होंने खुद आकर तारीफ की. इसके बाद हम लोगों की जान-पहचान थोड़ी बढ़ी. फिर हम विवाह के बंधन में बंध गए.”
पंडित जसराज और मधुरा जी के संस्कार उनके बच्चों में भी गए. उनके बेटे सारंग देव और बेटी दुर्गा जसराज भी संगीत से ही जुड़े हैं. आज से करीब चार साल पहले पंडित जसराज का निधन हुआ था. संगीत जगत में रस घोलने वाली एक आवाज रूक गई. बावजूद इसके जिस तरह पंडित जसराज का संगीत आज भी हमारे कानों में गूंजता है, मिठास घोलता है वैसे ही मधुरा जी की संगीत समझ भी बरसों-बरस तक उनके योगदान को अमर रखेगी.
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