क्या आप छत्तीसगढ की 36 भाजियों को जानते हैं

जानकारी डॉ.प्रदीप देवांगन से*
*बोहार, कोईलार,* पालक, चौलाई, मेथी, मूली भाजी, प्याज भाजी, सरसों भाजी, भथुआ, खेड़हा, चरोटा, चुनचुनिया, गोभी भाजी, चना, लाखड़ी, कुसमी, मास्टर, अमारी, पटवा, चना भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, कांदा भाजी, करमत्ता, मुनगा भाजी, तिनपनिया, लाखड़ी, हिंरवा, आलू भाजी, गांठ गोभी भाजी, खोटनी भाजी, जरी भाजी, झुरगा भाजी, चनौटी, पहुना, केनी, उरीद भाजी।
*यूं ही नहीं इसका नाम है छत्तीसगढ़, जानें यहां की 36 भाजियां और उनके फायदे*
प्रदेश की कुछ ऐसी भाजियां ऐसी हैं। जिनके तने को काट कर अलग स्थान में उगाने वे उपज जाती हैं। इसमें से मास्टर और चरोटा ऐसी ही भाजियां हैं। इनके उत्पादन में किसान की लागत भी कम लगती है।
धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसगढ़ हरी-भरी भाजियों का भी गढ़ है। प्रदेश में भाजियों की 80 प्रजातियां एक समय पाई जाती थीं। इसमें 36 प्रकार की भाजियां ऐसी हैं जिन्हें आज भी लोग चाव से खा रहे हैं। इन भाजियों के तरह-तरह के फायदे भी बताए हैं। शोध में पाया गया है कुलथी भाजी से पथरी की बीमारी आसानी से दूर की जा सकती है। तो वहीं दूसरी ओर मास्टर भाजी और चरोटा में सर्वाधिक फायबर होता है जो पेट की बीमारियां दूर करता है। गांव में आज भी करीब 36 प्रकार की भाजियां खाई जाती है। जिनमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं।
कुलथी भाजी के निरंतर सेवन से किडनी में होने वाली पथरी को दूर किया जा सकता है। वहीं चना और मुनगा भाजी पेट साफ करने में सहायक होती है। गर्मी में प्याज भाजी और चरोटा के सेवन से लू से बचा जा सकता है।
*ये हैं 36 भाजियों की खासियत*
*बोहार भाजी* – बोहार भाजी को *छत्तीसगढिया भाजियों का राजा* कहा जाता है। यह सबसे महंगी भाजी के लिए प्रसिद्ध है। 200 से 250 किलो में यह बिकती है।
*बोहार भाजी में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन तंत्र में सुधार, कफ तथा दर्द को दूर करने वाला तथा शरीर को शीतलता प्रदान करती है। इसके छाल का उपयोग खुजली उपचार के लिए किया जाता है तथा कृमि को खत्म करने में भी यह सहायक है।
इस भाजी की कली को हम उपयोग में लाते हैं।
*कोईलार भाजी* – सामान्यत: हम इसे कांचनार के नाम से जानते हैं। यह भाजी हाइपोथाइरॉएड, चर्मरोग, शरीर के गांठ में अत्यंत लाभदायक है।इसके सेवन से ईम्यूनिटी पावर में आशातीत वृद्धि होती है।
*पालक* – सामान्यत: पालक में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन ए और कैल्शियम भी अधिक होता है।
*चौलाई* – 12 महिनों की भाजी के रूप में पहचाने जाने वाली भाजी है चौलाई। थोड़ा स्वाद मैथी और पालक के बीच का होता है, लेकिन स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक है। रक्त के संचार और धमनियों के विकास में सहायक होती है।
*मेथी* – मैथी का पराठा खाओ या फिर सब्जी। दाल में स्वाद लाना है, तो मैथी की पत्ती का छौंक लगाओ। इसके अलावा पेट की कृमि से लेकर सिर दर्द जैसी आम समस्याओं से मेथी भाजी से निजात दिलाती है।
*मूली भाजी-* मूली भाजी ठंड में शरीर के लिए काफी लाभदायक है। इसके अलावा यह चर्म रोग जैसी समस्याओं को भी दूर करती है।
*प्याज भाजी-* मैथी के बाद प्याज की भाजी से भी छौंक खूब लगाया जाता था। इसके अलावा प्याज भाजी काफी कारगर है। पेट में सल्फर, आयरन और विटामिन सी सभी की मात्रा पर्याप्त मात्रा में पहुंचाती है।
*सरसों भाजी-* ठंड की सबसे अच्छी भाजी सरसों। स्वाद में तीखा पन लेकिन लाजवाब। स्वास्थ्य के लिहाज से ठंड के लिए काफी लाभदायक। इसके अलावा पैर में झिनझिनी, नसों में खिचाव के लिए सरसों की भाजी काफी कारगर है। कारण तेलीय पदार्थ की अधिकता।
*भथुआ भाजी* – पालक की तरह स्वाद वाली भथुआ काफी स्वास्थवर्धक है। कभी शफैयता बना लो या फिर चने की दाल के साथ मिश्रण से स्वाद और अनोखा हो जाता है। वहीं विटामिन और प्रोटीन भी सर्वाधिक रहती है। पैरों के लिगामेंट के लिए फायदेमंद।
*खेड़हा भाजी* – सर्दी-जुखाम में खेड़हा भाजी का पेय पदार्थ पीने से काफी हद तक आराम मिलता है। तासीर गर्म होने के कारण ये ठंड में काफी फायदे मंद है।
*चरोटा* – समान्यत: पेट दर्द की समस्या में ग्रामीण चरोटा को खाना पसंद करते हैं। स्वाद पनसुत्ते जैसा लेकिन शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। पेचिस हो या फिर पेट का मरोड़ सभी के लिए ये भाजी लाभदायक है। यह चर्मरोग में आशातीत लाभदायक है।
*चुनचुनिया भाजी-* पचाऊ भाजी चुनचुनिया भाजी। कभी पेट साफ न हो। शरीर भारी लग रहा हो तो इसे खाना प्रदेश के ग्रामीण पसंद करते हैं। जो भी पेट में जमा हो साफ हो जाता है।
*गोभी भाजी* – गोभी समान्यत: सभी को पसंद आती है लेकिन उसके पत्ते को बहुत ही कम लोगों ने चखा है। यह यदि चना दाल के साथ बनाया जावे तो गोभी से भी ज्यादा स्वादिष्ट लगता है।विटामिन सी से परिपूर्ण पत्ता शरीर की हड्डियों के विकास और युवा अवस्था में शारीरिक विकास के लिए कारगर है।
*चना भाजी-* चना की स्वाद सभी को पसंद होता है, लेकिन इसकी पत्ती भी काफी फायदेमंद होता है। कभी हाजमा खराब हो तो चना भाजी खा लीजिए पेट साफ हो जाएगा।
*लाखड़ी* – प्रदेश की स्थानीय दाल लाखड़ी खूब खाई जाती है, लेकिन इसकी पत्तियों की भाजी भी खूब पसंद की जाती है।आलम तो यह होता है कि छत्तीसगढिया लोग इसे सुखा कर रख लेते हैं और इसे वर्ष भर स्वादिष्ट होने के कारण खाते हैं। आयरन और कैल्शियम से परिपूर्ण होता है।
*कुसमी* – पत्तियों की बनावट के कारण अनोखी दिखने वाली कुसमी भाजी आयुर्वेद में काफी कारगर है। इसके रस को पीने से गले की खरास दूर हो जाती है।
*मास्टर भाजी* – पालक की तरह स्वाद रखने वाली मास्टर भाजी है। इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
*अमारी* – खट्टा भाजी के नाम से जाने वाली अमारी भाजी काफी लाभदायक है। पेट मरोड रहा हो या फिर अपच हो रही है तो थोड़ी सी अमारी भाजी उसके लिए लाभदायक होती है।
*पटवा भाजी* – खट्टी भाजी में दूसरी भाजी। स्वाद भी अनोखा। खासकर इसकी चटनी खूब पसंद की जाती है, लेकिन गर्मी के दिनों में लू से बचाती है।
*कुम्हड़ा भाजी* – कद्दु के पत्ते की भाजी को ही कुम्हड़ा भाजी कहा जाता है। जिस भी व्यक्ति के बाल झड़ रहे हैं वह इसका सेवन करें तो बाल झड़ना रूक जाएगा।
*लाल भाजी* – चावल के साथ लाल भाजी का स्वाद लजीज लगता है। गर्मी के दिनों में पेट के लिए काफी लाभदायक है।
*कांदा भाजी* – बेल के आकार में फलने वाली भाजी को कांदा भाजी के नाम से जाना जाता है। त्वचा संबंधी बीमारी के लिए लाभदायक। पेट को काफी ठंडा रखता है।
*करमत्ता भाजी-* बेसन के साथ बनाओ तो स्वाद और भी निखर जाता है। मुंह के छाले को ठीक करता है।
*_मुनगा भाजी_* – मुनगा की पत्तियां को ही मुनगा भाजी के नाम से जाना जाता है। आंखों की रोशनी के लिए लाभदायक। आयरन,कैल्शियम, विटामिन ए, सी से भरपूर होता है।
*तिनपनिया* – जंगलों में पाई जाने वाली तिपनिया भाजी खूब पसंद की जाती है। शरीर में किसी भी प्रकार का दाद, खुजली हो रही है तो यह लाभदायक है।
*कुलथी* : किडनी से संबंधित बीमारियों के लिए लाभदायक है। किडनी में होने वाली पथरी को दूर करने में सहायक है।
*आलू भाजी* – आलू में पाए जाने वाली सभी तत्व इसमें भी जाए जाते हैं। जो शरीर के लिए लाभदायक है।
*गांठ गोभी भाजी* – गोभी की तरह ही गांठ गोभी के पत्तों की भाजी खाई जाती है। इसमें सभी प्राकर के तत्व पाए जाते है। कैल्शियम से लेकर आयरन तक।
*खोटनी भाजी-* सल्फर से लेकर आयरन सभी कुछ खोटनी भाजी में पाया जाता है।
*जरी भाजी-* इस भाजी को मुनगा की तरह खाया जाता है। ग्रीन ब्लड के सेल्स सबसे अधिक इसी में पाए जाते हैं।
*झुरगा भाजी* – झुरगा का अर्थ सामान्यत: रसेदार के रूप में जाना जाता है लेकिन इसके भाजी को ही झुरगा भाजी कहा जाता है। सभी तरह के मिनलर पाए जाते हैं।
*चनौटी* – खास तरह की भाजी में चनौटी भाजी पाई जाती है। इसे बस्तर के लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। जोड़ के दुखने और दर्द की समस्या के लिए उपयोग की जाती है।
*पहुना* – पहुना भाजी कुछ ही प्रदेश के इलाकों में पाई जाती है। खास बात ये है कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी लाभदायक है।
*केनी* – ओड़ीसा और प्रदेश के सीमा रेखा पर इस भाजी को ज्यादा उगाया जाता है। खास बात ये है कि केनी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो नसों की खिचाव को दूर करते हैं।
*उरीद भाजी-* उरद दाल के पौधे की पत्ती को उरीद भाजी के नाम से जाना जाता है। खास बात ये है कि भाजी में सभी प्रकार के विटामिन और प्रोटिन पाए जाते हैं।
*अमुर्री भाजी* – अमुर्री भाजी ऐसी भाजी है जो बच्चों को खिलाई जाती है ताकी उनके विकास में कारगर हो।
*किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या के लिए संपर्क करें*
*डॉ.प्रदीप देवांगन*
एम.डी.मेडिसीन(सी.सी.आई.एम)
नीलाम्बरी कांप्लेक्स दुकान नंबर 34 कोसा बाड़ी कोरबा
*9039784252* ,
*9826671197*

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