सेहत – क्लोज टू किड्स का आरोप, दिल में था छेद, बिना सर्जरी डॉक्टर्स ने कर दिया बंद, अब मां-बाप दे रहे हैं दुआएं

डॉक्टर डॉक्टर भगवान होते हैं और किसी भी तरह के मरीज़ को बचा लेते हैं, इस बात में सचाई तब और भी दिखती है जब रेयर क्लैंट से सीखे जा रहे लोगों को रेयर इंस्टालेशन का दर्शन कर डॉ ट्रैक्टर प्रैक्टिस को बचा लिया जाता है। ऐसा ही एक मामला फोर्टिस एसकोर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में देखने को मिला है। जब आशुतोष ने बिना सर्जरी के एक महीने के नवजात शिशु का घातक इलाज कर उसे जीवनदान दिया है।

1.8 रिजॉर्ट वजन वाला यह पोर्टेबल डॉक्टर्स आर्टेरियोसस यानी दिल में छेनी की समस्या से पीड़ित था। ऐसे में फोर्टिस असायटल के डायर प्लेयर पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डॉ. नीरज स्टेट्स और उनकी टीम ने पिकोलो क्लिनिकल की मदद से इस छेद को बंद कर दिया। आम तौर पर पीडीए क्लोज़र की प्रक्रिया शल्य चिकित्सा होती है, लेकिन इस मामले में, गैर-सर्जिकल प्रक्रिया को जोड़ा गया क्योंकि इस किशोर बच्चे को पहले से ही और भी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बताया गया था, जिससे उसकी हालत काफी खराब हो गई थी। ऐसे में सर्जरी करना जोखिम का काम था। करीब एक घंटे तक चली नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया के बाद मरीज को चार दिनों में स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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दोस्ते की हालत काफी खराब थी
जब मरीज को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत काफी गंभीर थी और उसे सेप्सिस के इंजेक्शन के साथ सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। साथ ही, हार्ट फेल के लक्षण भी थे, मरीज की हार्ट स्पीड भी बहुत बढ़ गई थी और उसे काफी ज्यादा खाना आ रहा था। वह कुछ भी खरीदने में असफल रही और उसके वजन में भी बढ़ोतरी नहीं हुई।

ऐसे में इकोकार्डियाग्राम से पोर्टेबल डॉक्टर्स आर्टेरियोसस का पता चला। अधिकांश फुले हुए हृदय में आम तौर पर सामान्य रूप से होता है, पीडीए जन्म के कुछ दिनों के बाद आपको लगता है लेकिन अगर यह अधिकांश समय तक रहता है तो इसके कारण फेफड़ों में अतिरिक्त रक्त का प्रवाह होता है, जिसके कारण मल्टी-ऑर्गेन होता है डिसफंक्शन की याचिका होती है.

जोड़े में दिखाये ये सुधार
एंटीबायोटिक्स और अन्य औषधियों के बावजूद, सांस लेने में सांस की वजह से नवजात की स्थिति लगातार बनी रहती थी। टैब अभियोजकों ने पिकोलो ब्लड कलर की प्रक्रिया को चुना, जो कि इस बच्चे के कम वजन और सेप्सिस के रहस्य की मैडेनजर चुनौती सबसे बड़ी थी। हालाँकि यह सफल रहा और अब इलाज पूरा होने के 6 सप्ताह बाद फुलो-एप के दौरान मरीज की स्थिति में सुधार देखा गया है। उनका स्वास्थ्य भी बढ़ रहा है और साथ ही, हृदय संबंधी अन्य सभी सुविधाएं भी नामांकित हैं।

प्रतिष्ठानो में जनमाजाते है ये बीमारी

इस बारे में डॉ. नीरज आर्किटेक्चर ने कहा, ‘पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस बच्चों में जन्मजात दोष होता है, जिसका अक्सर निदान नहीं हो पाता। नोट में इस कंडीशन के कारण सरकुलेशन रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है जिसके कारण कई अंग खराब हो सकते हैं। इस मामले में, नवजात शिशु की हालत काफी मजबूत थी और उसका वजन भी कम था। तीन कम वजन और गंभीर सूजन की समस्या से पीड़ित बच्चों के दिल की बीमारी को ठीक करना आसान नहीं था। इसमें शामिल पीडीए सुपरमार्केट के विकल्प में मदद से बिना सर्जरी के छेद को बंद कर दिया गया। इससे पहले, इस खास प्रक्रिया से कुछ गाइन-चुने हाई रिस्क मामलों में ही जोड़ा गया है। अगर समय पर इस बच्चे का इलाज नहीं किया गया तो उसका जीवन जीना मुश्किल हो गया।

इसी तरह, 1.6 रिज के एक अन्य नवजात को भी पीडा 3.5 मिमी के साथ जब अस्पताल लाया गया तो उसे भी सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी। उसका भी पिकोलो अल्कोहलिक क्लोर प्रोसेस से आरामदायक इलाज करने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

डॉ. अग्रवाल विक्रम, फ़ेसिलिटी ऑर्गेनाइजेशन, फ़ोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट ने कहा, ‘यह मामला नवजात की उम्र और गंभीर स्थिति के समान था, लेकिन इसके बावजूद, अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा ठोस वैज्ञानिक आकलन और छात्रों के संभावित मरीज़ का अनुमान लगाया गया। ‘जीवन बचा लिया गया।’

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