सेहत – रजोनिवृत्ति के कोच की उपाधि पर नहीं भारी, इन बातों को करने से 50 के पार भी नहीं होगा निराश

एक महिला की दादी उम्र के साथ चेहरे पर पाद झुर्रियां ना समाज को पसंद आती और ना खुद उस महिला को। जब रजोनिवृत्ति की बारी आती है तब हर कोई उसे एक सहकर्मी के रूप में देखता है क्योंकि कुदरत उसके बच्चे के जन्म का अधिकार छीन लेती है। हमारे समाज में बुजुर्ग महिलाओं को केवल अम्मा, दादी और नानी की नजरों से देखा जाता है जो ना साज-संवर कर सकती हैं और ना ही अपने पति के साथ कमरे में बंद कर सकती हैं महिलाओं में सेक्सुअल डिजायर के बाद बालधनी आयु और रजोनिवृत्ति क्या समाप्त हो जाती है? हमारे समाज में बुजुर्ग महिलाओं को लेकर यही सोच है लेकिन इस सोच को हॉलीवुड एक्ट्रेस केट विंसलेट ने नारा दिया। उन्होंने अपनी सेक्सुअल डिज़ायर को बढ़ाने के लिए टेस्टोस्टेरोन थेरेपी का सहारा लिया। यानि महिला की हर उम्र में सेक्सुअल एक्टिविटी हो सकती है।

किशोरावस्था में कामेच्छा कम होती है?
महिलाओं के सेक्सुअल डिज़ायर में उनका हार्मोन पर प्रतिबंध है। उनके शरीर में हार्मोन्स का प्रकोप- सबसे अधिक जमाव और रजोनिवृत्ति के दौरान होता है। महिलाओं की ओवरी एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन रिलीज़ होती है। यह दोनों ही हार्मोन उनके रिप्रोडक्टिव स्वास्थ्य को अच्छे हैं। महिलाओं के शरीर में कुछ हद तक टेस्टोस्टेरोन भी शामिल होते हैं जो मेल सेक्स हार्मोन होते हैं। एस्ट्रोजन यूट्रस की लाइनिंग को फैट ब्लॉक और होटल बनाने के बाद एग को फर्टिलाइज करने में मदद मिलती है। कोलेजन महिलाओं के शरीर में कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम का स्तर अच्छा रहता है। वहीं, प्रोजेस्ट्रोन मूड को नियंत्रित किया जाता है। टेस्टोस्टेरोन महिलाओं की सेक्सुअल डिजायर की पेशकश हैं। रजोनिवृत्ति के बाद अत्यधिक काम करना बंद कर दिया जाता है जिसके कारण शरीर में सभी हार्मोन बंद हो जाते हैं और इस कारण महिलाओं में सेक्सुअल डिज़ायर भी ख़त्म हो जाता है।

महिलाएं हर उम्र में सक्रिय हो सकती हैं
मुंबई में रहने वाले देश के जाने-माने सेक्सकॉन्स्टिट्य डॉ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि रजोनिवृत्ति के बाद महिलाएं मां नहीं बन सकतीं लेकिन उनका संबंध बन सकता है। उनका कहना है कि उनके पास ऐसी कई महिला स्टार्स हैं जो 70 साल की उम्र में भी सेक्सुअली एक्टिविस्ट हैं। किशोरावस्था में शरीर में कुछ बदलाव जरूर आते हैं लेकिन समस्याओं का समाधान भी होता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के निजी पार्टियाँ चलती हैं जिससे संबंध बनाने में समस्याएँ हो सकती हैं। ऐसे में महिलाओं को अपनी बात पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

एजिंग की वजह से कई बार महिलाएं होती हैं चिड़चिड़ी। (छवि-कैनवा)

रजोनिवृत्ति के दौरान ले ये अवतरण
डॉ.प्रकाश कोठारी महिलाओं को रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजेन से संबंधित पदार्थ का सेवन करना चाहिए। क्योंकि रजोनिवृत्ति के बाद डिज़ायर की कमी हो सकती है। किशोरावस्था की महिलाओं को सोयाबीन, अलसी और मेथी के दाने का सेवन शामिल करना चाहिए। कुछ महिलाएं मेथी को प्राथमिकताकर खाती हैं जो गलत है। रात को रात को सोते समय मेथी पानी से विवरण देना चाहिए। यह चौबए नहीं. इससे ड्रेनेज की समस्या खत्म हो जाती है।

टेस्टोस्टेरोन थेरेपी से फ़ायरफ़ॉक्स
टेस्टोस्टेरोन महिलाओं के सेक्सुअल डिजायर को बढ़ाने के साथ-साथ उनके शरीर में सेंसिटिविटी भी कम कर देते हैं सेक्सएक्शन डॉ.प्रकाश कोठारी किशोरावस्था में टेस्टोस्टेरोन थेरेपी लेने से बचने की सलाह दी जाती है। उनका कहना है कि अंतर्वस्तु से ही यह हार्मोन बेहतर होता है। अगर थेरेपी में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा बढ़ जाती है तो महिला की डाइट-मंच निकल सकती है और एडमियों की तरह भारी हो सकती है क्योंकि यह मेल आवाज में हार्मोन होता है। महिलाओं को अपने अंतर्समूह में ब्लैक फ्लोएड को शामिल करना चाहिए क्योंकि इसमें टेस्टोस्टेरोन अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।

असंगठित का साथ जरूरी
महिलाओं में सेक्सुअल इच्छाएं हार्मोन से ही नहीं बल्कि राजभवन के इंटिमेट और निरीक्षण से भी जागती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद भी अगर महिला को नागपुर से समानता मिल रही है तो वह भी संबंध बनाना चाहती है। इसके लिए नागपुर को उनका साथ देना जरूरी है। किशोरावस्था में स्वस्थ ही महिला सक्रिय रूप से सक्रिय रहती है लेकिन उसे सभी तरीकों से काम करना चाहिए ताकि वह खुश रह सके। महिलाएं गायनोकोलॉजिस्ट की सलाह लेकर लब्रिकेशन के तरीके भी अपना सकती हैं।

रजोनिवृत्ति के बाद कई बार महिलाएं अवसाद का शिकार हो जाती हैं।(छवि-कैनवा)

टेस्टोस्टेरोन का सही स्तर आवश्यक है
हेल्थलाइन शापे लेख के अनुसार महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर 15 से 70 ग्राम पर डेसिलिटर (एनजी/डीएल) होना चाहिए। इसका लेवल ब्लड टेस्ट से पता चल सकता है। अगर यह 15 एनजी/डीएल से कम है तो महिलाओं की संबंध बनाने की इच्छा खत्म हो जाती है, प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्या हो सकती है, मेंस्ट्रुअल साइकल इंस्टीट्यूट रहता है और प्राइवेट पार्ट में सूखापन रहता है। वहीं अगर इनमें हार्मोन का स्तर 70 एनजी/डीएल से अधिक हो तो मुँहासे, चेहरे पर बाल, मोटापा, पीसीओडी जैसी समस्या होती है।

टेस्टेस्टेरॉन थेरेपी से कैंसर?
हेल्थलाइन शापी 2020 की रिसर्च में अगर महिला को एस्ट्रोजेन थेरेपी के साथ टेस्टोस्टेरोन भी दिया जाए तो उनके सेक्सुअल फीचर्स बेहतर होते हैं और रजोनिवृत्ति पोस्ट करने के बाद भी वह नागपुर के साथ एन्जॉय कर सकती हैं। इससे उनकी कामेच्छा में वृद्धि होती है क्योंकि इस थेरेपी के बाद उनके जेनिटल क्षेत्र में खून का बहाव बढ़ जाता है। वहीं, मायो क्लिनिक के अनुसार टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर कई रिसर्च चल रही हैं। कुछ अध्ययनों में इस थेरेपी को क्लासिक कैंसर और दिल की चुनौती से जोड़ा जा रहा है। जिन महिलाओं को पहले दिल या लिवर से जुड़ी समस्या होती है, उन्हें इस थेरेपी से बचना चाहिए।


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