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AI के गॉडफदर जेफ्री हिंटन को मिला नोबेल पुरस्कार, उन्होंने खुद AI को लेकर जाहिर की ये चिंता
ब्रिटिश-कनाडाई वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन को ‘एआई का गॉडफादर’ भी कहा जाता है। उन्होंने भले ही AI का सपना साकार किया है। मगर, इसके बावजूद उन्होंने इसके खतरों के बारे में भी लोगों को आगाह किया है। इसके बारे में खुलकर बात करने के लिए वह हाल ही में गूगल में अपनी नौकरी को भी छोड़ चुके हैं।
HighLights
- ब्रिटिश-कनाडाई वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन ने छोड़ दी है गूगल की नौकरी।
- अब वह एआई के खतरों के बारे में खुलकर बात कर रहे हैं, चेता रहे हैं।
- उन्होंने कहा कि शोध करना चाहिए कि हम इस पर कैसे नियंत्रण रखेंगे।
डिजिटल डेस्क, इंदौर। इस साल फिजिक्स के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक जॉन होपफील्ड और जेफ्री हिंटन को दिए जाने की घोषणा हो चुकी है। ब्रिटिश-कनाडाई वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन को ‘एआई का गॉडफादर’ भी कहा जाता है। इसके बावजूद उन्होंने खुद एआई को लेकर चिंता जाहिर की है।
इस पुरस्कार की घोषणा के बाद जेफ्री ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘हमें कई संभावित बुरे परिणामों के बारे में भी चिंता करनी होगी। खासतौर पर इन चीजों के नियंत्रण से बाहर हो जाने के खतरे के बारे में।’ मुझे लगता है कि अभी लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे इस मुद्दे पर काम करें कि हम कैसे नियंत्रण रखेंगे। हमें इस पर बहुत अधिक शोध करने की जरूरत है।
उन्होंने AI के जोखिमों के बारे में अधिक खुलकर बात करने के लिए हाल ही में Google में अपना पद छोड़ दिया था। उनका मानना है कि AI सिस्टम अंततः मानव बुद्धिमत्ता को पार कर सकते हैं। हमें इस बात का कोई अनुभव नहीं है कि हमसे अधिक स्मार्ट चीजें होने पर क्या होता है।
हालांकि ये फायदे भी होंगे
अपनी शंकाओं के बावजूद, हिंटन ने AI के संभावित लाभों को स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि यह कई मामलों में अद्भुत होने जा रहा है।
- स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में यह बहुत बेहतर साबित होने जा रहा है।
- लगभग सभी उद्योगों में यह उन्हें अधिक कुशल बनाने जा रहा है।
- कम समय में AI असिस्टेंट के साथ लोग काम करने में सक्षम हुए।
- सुरक्षा अनुसंधान को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि यह पीछे न छूटे।
अब जानिए क्यों मिला है नोबेल पुरस्कार
बताते चलें कि जॉन होपफील्ड और जेफ्री हिंटन को आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क के भीतर मशीन लर्निंग को सक्षम बनाने से जुड़े आविष्कार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। यह पुरस्कार रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की तरफ से दिया जाएगा।
इसके साथ 1.1 मिलियन डॉलर यानी करीब 9.23 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि भी दोनों वैज्ञानिकों को सम्मिलित रूप से मिलेगी। नोबेल पुरस्कार विजेताओं को डायनामाइट की खोज करने वाले वैज्ञानिक एल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर पर सम्मानित किया जाएगा।
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सौजन्य से jagran. com
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