दुनियां – ट्रंप की जीत से बदलने लगे समीकरण, जर्मनी ने बढ़ाया रूस की तरफ दोस्ती का हाथ – #INA

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में अप्रत्याशित जीत के साथ ही वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. जर्मनी ने अपनी ओर से रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की पहल करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधा संवाद किया है. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने पुतिन को फोन कर न केवल युद्ध रोकने की अपील की, बल्कि आपसी मतभेदों को दूर कर कूटनीतिक समाधान निकालने पर जोर दिया. यह वार्ता फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार किसी नाटो सदस्य देश और रूस के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई है.
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में वापसी का संकेत साफ है कि अमेरिका अब रूस के खिलाफ सैन्य संघर्ष से पीछे हटना चाहता है. ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति के चलते नाटो के भीतर दरारें पड़ने की संभावना बढ़ गई है. जर्मनी ने यह महसूस किया कि अमेरिका के इस बदले रुख का फायदा उठाते हुए रूस के साथ संबंध सुधारने का यह सही समय है.
पुतिन ने इस बातचीत में नाटो को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पश्चिमी देशों की आक्रामक नीतियों के कारण ही यह युद्ध हुआ है. उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस बातचीत के लिए हमेशा तैयार है लेकिन यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों को नए क्षेत्रीय वास्तविकताओं को स्वीकार करना होगा.
जेलेंस्की का गुस्सा
जर्मनी की इस पहल से यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की नाराज हैं. उनका कहना है कि यह कदम पुतिन को अलग-थलग करने की सभी कोशिशों पर पानी फेर देगा. ज़ेलेन्स्की ने चेतावनी दी है कि अगर रूस को रियायतें दी गईं तो पुतिन थोड़े समय के लिए शांत हो सकते हैं लेकिन यह उन्हें भविष्य में और आक्रामक बना देगा.
यूरोप में नए समीकरणों का आगाज
जर्मनी और रूस के बीच यह वार्ता एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करती है. जर्मनी, जो अब तक नाटो की नीति का पालन करता रहा है, ट्रंप के बदलते अमेरिका की नीति को भांपते हुए खुद का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल यूरोप में शक्ति संतुलन को बदल सकती है.
क्या यूक्रेन को मिलेगा समर्थन?
ट्रंप की सत्ता में वापसी और जर्मनी की इस पहल के बाद सवाल उठता है कि क्या यूक्रेन को अब पश्चिमी समर्थन पहले की तरह मिलेगा? अगर अमेरिका पीछे हटता है और यूरोपीय देश रूस के साथ कूटनीति की राह अपनाते हैं तो यह यूक्रेन के लिए बड़ा झटका होगा.
पुतिन का संदेश
पुतिन ने जर्मनी के साथ बातचीत में ऊर्जा और व्यापार संबंध बहाल करने का संकेत दिया. उन्होंने कहा कि रूस हमेशा अपने समझौतों का पालन करता है और जर्मनी के साथ सहयोग को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, अगर जर्मनी इसमें रुचि दिखाए.
अब आगे क्या होगा?
डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूचाल आ चुका है. जर्मनी और रूस के बीच हुई बातचीत से लगता है कि आने वाले समय में कई यूरोपीय देश रूस के साथ दोस्ती के लिए कदम बढ़ाएंगे. अमेरिका के पीछे हटते ही यूरोप के ज्यादातर देश अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए रूस से सीधे संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे. मगर, यह देखना बाकी है कि इन बदलते समीकरणों में यूक्रेन का क्या स्थान होगा.
जर्मन चांसलर के साथ पुतिन की बातचीत पर क्रेमलिन का बयान
जर्मनी की पहल पर दिसंबर 2022 के बाद पहली बार राष्ट्रपति पुतिन और चांसलर ओलाफ शोल्ज के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई. इस दौरान यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई. पुतिन ने कहा कि मौजूदा संकट नाटो की लंबे समय से चली आ रही आक्रामक नीति का परिणाम है. इसका मकसद यूक्रेनी पर रूस विरोधी पुल बनाना है. सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे हितों की अनदेखी करना और रूस के नागरिकों के अधिकारों को कुचलना है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष के राजनीतिक और कूटनीतिक समाधान की संभावनाओं को लेकर राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस ने कभी इनकार नहीं किया है. रूस के प्रस्ताव के बारे में सब जानते हैं. संभावित समझौतों में सुरक्षा के क्षेत्र में रूस के हितों को ध्यान में रखना चाहिए. रूस ने हमेशा ऊर्जा क्षेत्र में अपनी संधि का पालन किया है. अगर जर्मनी की इसमें रुचि है तो वो लाभकारी सहयोग के लिए तैयार है.
इस दौरान मिडिल ईस्ट के हालातों पर भी चर्चा हुई. पुतिन ने क्षेत्र में संकट को कम करने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए रूस द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी दी. इस बात पर सहमति हुई कि बातचीत के बाद नेताओं के सहयोगी संपर्क में रहेंगे.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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