दुनियां – EXplained: अब जल्द ठीक हो सकेंगे अस्थमा के मरीज, नए रिसर्ज बन सकता है गेम चेंजर – #INA

अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत उठानी पड़ती है. आमतौर पर किसी बीमारी से पीड़ित होने के बाद उसके इलाज की आशा मरीज में होती है, लेकिन अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिससे ग्रसित होने के बाद ताउम्र इससे जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए पिछले 50 सालों में पहली बार अब इसका इलाज किया जा सकेगा. इसके इलाज के लिए नए तरीके की खोज की गई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका असर गेमचेंजर बन सकता है.
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की टीम ने जांच में पाया कि अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के इंफेक्शन में स्टेरॉयड का इंजेक्शन, दवाइयों के इस्तेमाल से ज्यादा असरदार है. मौजूदा समय में अस्थमा और सीओपीडी के मरीज दवाइयों का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर शुरुआती समय में ही इसके इंजेक्शन लेने से आगे के इलाज की जरूरत में 30 की कमी आ सकती है. लैसेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित लेख के मुताबिक, इस खोज के बाद इस बीमारी से पीड़ित लाखों लोगों को इससे मिल सकती है. ये रिसर्च सीओपीडी और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.
इंजेक्शन बीमारी में कैसे करेगा काम?
रिसर्च करने वालों के मुताबिक, बेनरालिजुमैब इंजेक्शन लेने से ‘इओसिनोफिलिक एक्ससेर्बेशन’ को खतम करता है. इसके जरिए इओसिनोफिल्स यानी श्वेत रक्त कोशिका की संख्या में कमी आती है. इससे मरीज के फेफड़ों के सूजन में भी कमी आती है. जिससे मरीज को खांसी, सीने में जकड़न जैसी स्थिति से राहत मिलती है. आंकड़ों के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम में हर साल इस दो मिलियन लोग इससे ग्रसित होते हैं.
आमतौर पर अस्थमा के मरीज स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल किया करते हैं. ये दवाइयां फेफड़ों के सूजन में आराम तो देती हैं, लेकिन डायबटीज और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीजों के लिए हानिकारक हैं. बार-बार इन दवाइयों के असर की वजह से मरीज का इलाज ठीक ढंग से नहीं हो पाता है. उन्हें स्टेरॉयड लेने की वजह से बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 90 दिनों के भीतर कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है.
WHO के अनुसार अस्थमा क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है. ये किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, अमूमन बच्चों में ये ज्यादातर पाई जाती है. सांस लेने वाले छोटे वायुमार्गों में जब सूजन बढ़ जाता है तो उसकी जगह की कमी हो जाती है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में अस्थमा से कुल 262 मिलियन लोग पीड़ित हुए थे और 4 लाख 55 हजार लोगों की मौत हो गई थी.
अस्थमा बीमारी क्या है?
WHO के मुताबिक, अस्थमा एक प्रमुख गैर-संचारी रोग यानी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज है. ये बच्चों, बुजुर्गों और वयस्कों सभी को प्रभावित करती है. ये बीमारी तुरंत ठीक नहीं होती, बल्कि लंबे समय तक मरीजों में बनी रहती है. अस्थमा की वजह से सांस लेने में काफी तकलीफ होती है. इससे पीड़ित मरीज को सांस लेने में परेशानी, सोते समय घरघराहट या सीटी जैसी आवाज़, खांसी और बलगम के साथ-साथ सीने में जकड़न या दर्द की स्थिति बनी होती है.अस्थमा होने के पीछे के कारण धूल, धुआं, प्रदूषण, एलर्जी जैसे धूल मिट्टी के कीटाणु, पालतू जानवरों की रूसी आदि की वजह से हो सकता है.
COPD यानी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज क्या है?
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज भी सांस संबंधी बीमारी है. COPD धूम्रपान करने की वजह से होता है. सांस की नली में सूजन आ जाने से है. इसकी बीमारी से ग्रसित मरीज को सांस लेने में परेशानी, खांसी, बलगम और सीने में जकड़न की समस्या होती है

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

Source link

Back to top button
Close
Log In
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science