Political – झारखंड में अमित शाह ने सेट किया BJP का एजेंडा, आदिवासियों पर प्राइम फोकस तो युवा-महिला वोटर्स तक पहुंचने का दांव- #INA

पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शा

झारखंड की सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर बीजेपी संकल्प पत्र को जारी कर आदिवासी समुदाय को साधने के लिए बड़ा दांव चला है. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से आदिवासियों को छूट, झारखंड में घुसपैठ पर पूर्ण पाबंदी, अवैध खनन पर रोक लगाने और कल्याणकारी योजनाओं का वादा करके अमित शाह ने विधानसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया है. अब पीएम मोदी सोमवार से झारखंड के रणभूमि में उतर कर सियासी माहौल बनाने की कवायद करते नजर आएंगे.

बीजेपी झारखंड में माटी, रोटी और बेटी के संकल्प के साथ चुनावी मैदान में उतरी है, लेकिन उसका प्राइम फोकस आदिवासी समुदाय को साधने का है. इसीलिए आदिवासियों को लेकर तमाम वादे किए हैं, चाहे यूसीसी से उन्हें बाहर रखने की बात हो या फिर अवैध खनन पर रोक लगाने की. इसके अलावा किडनी मरीजों को फ्री डायलिसिस सुविधा, अग्निवीर जवानों को नौकरी और 2.87 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा बीजेपी ने किया है. इस तरह अमित शाह ने झारखंड के लिए बीजेपी का घोषणापत्र जारी करते हुए स्थानीय मुद्दों पर बात की और राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाला, लेकिन रणनीति आदिवासी वोटों तक पहुंचने की रही.

यूसीसी से आदिवासियों को छूट का वादा

झारखंड विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने ऐलान किया कि बीजेपी सत्ता में आएगी तो समान नागरिक संहिता को लागू करेगी, लेकिन आदिवासी समुदाय के यूसीसी से बाहर रखा जाएगा. अमित शाह ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी पेसा एक्ट को लागू करके आदिवासी समुदाय को पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था को मान्यता दी जाएगी. केंद्र सरकार ने पेसा अधिनियम 1996 कानून लागू किया था. पेसा नियम आदिवासी स्वशासन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिसमें ग्राम सभाओं और पंचायतों स्तर पर प्रथागत कानूनों और सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं के अनुरूप करने की शक्तियां दी गई हैं.

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मामलों को रद्द करने की सिफारिश

केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी कहा कि बीजेपी आदिवासियों और दलितों के खिलाफ वन विभाग द्वारा दर्ज मामलों को रद्द करने की सिफारिश करेगी. झारखंड में सत्ता में आने पर बीजेपी ‘सरना धर्म कोड’ के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेगी और उचित निर्णय लेगी. झारखंड में उद्योगों, खदानों के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आयोग का गठन किया जाएगा.

घुसपैठ के बहाने बीजेपी ने चला बड़ा दांव

झारखंड के आदिवासी बेल्ट में बीजेपी अवैध घुसपैठ का नैरेटिव सेट कर रही है. अमित शाह ने संकल्प पत्र जारी करते हुए कहा कि झारखंड में अवैध बांग्लादेशियों के घुसपैठ को बीजेपी पूरी तरह से रोक लगाकर आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगी. बीजेपी ने ‘आदिवासी समुदाय की जमीनों को घुसपैठियों से वापस लेने’ के लिए एक सख्त कानून बनाने का भी वादा किया है. अमित शाह ने कहा कि बीजेपी यह सुनिश्चित करेगी कि आदिवासी समुदाय की महिलाओं से शादी करने वाले घुसपैठियों के बच्चों को आदिवासी दर्जा न दिए जाए. उन्होंने कहा कि इससे आदिवासी समुदायों की भावी पीढ़ियों को लाभ होगा और आदिवासी समुदाय अपने हितों की रक्षा कर पाएंगे.

JMM के वोट बैंक को साधने की कोशिश

झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी आदिवासी बनाम घुसपैठियों का सियासी नैरेटिव गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं ताकि आदिवासी समुदायों के बीच खुद को मजबूत कर सके. खासकर झारखंड के संथाल परगना संभाग वाले इलाके में है. बीजेपी को उम्मीद है कि इस सियासी दांव से संथाल संभाग में लाभ होगा, जिसमें 18 सीटें हैं. बीजेपी इस पूरे बेल्ट में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा जमीन हड़पने के आरोप लगाती रही है. इस तरह झारखंड में करीब 30 फीसदी आदिवासी समुदाय को साधने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है, जो जेएमएम का वोट बैंक माना जाता है. 2019 में संथाल परगना की 18 में से 14 सीटें जेएमएम ने जीती थी और 4 सीटें बीजेपी ने जीती थी.

अवैध खनन पर रोक लगाने का वादा

बीजेपी ने घोषणा पत्र में खनन गतिविधियों में पारदर्शिता लाने के लिए जिला खनिज फाउंडेशन फंड को हर छह महीने पर ऑडिट कराने का वादा किया है. शाह ने कहा कि बीजेपी झारखंड में अवैध खनन, खास तौर पर अवैध रेत खनन पर अंकुश लगाएगी. ग्राम पंचायतों को घाटों से रेत निकालने का अधिकार देगी. स्थानीय लोगों और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा अतीत में इस प्रथा के बारे में लाल झंडा उठाए जाने के बाद महत्वपूर्ण हो जाता है. इस तरह अवैध खनन माफियाओं पर नकेल कसने की प्लानिंग है. माना जा रहा कि अवैध खनन पर रोक लगाकर आदिवासी समुदाय के विश्वास जीतने का प्लान है, क्योंकि आदिवासी समाज के द्वारा लंबे समय से अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग उठती रही है.

युवाओं का दिल जीतने की रणनीति

झारखंड में एक बड़ा मुद्दा रोजगार और पलायन रोकने का है. बीजेपी ने घोषणा पत्र में रोजगार को लेकर बड़ा दांव चाला है. अमित शाह ने 287500 सरकारी पदों के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती करने का वादा किया है. साथ ही कहा कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है, तो अपनी पहली कैबिनेट बैठक से ही भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी. इसके साथ ही बेरोजगारी भत्ता का भी वादा किया है. झारखंड में बीजेपी ने हर स्नातक और स्नातकोत्तर युवा को दो साल की अवधि के लिए 2000 रुपये प्रति माह का ‘युवा साथी भत्ता देगी, जो नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

पांच साल में पांच लाख स्वरोजगार

बीजेपी ने कहा है कि झारखंड में नवंबर 2025 तक 1.5 लाख पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और कहा कि पार्टी पांच साल में झारखंड के युवाओं के लिए पांच लाख स्वरोजगार के अवसर पैदा करेगी. इस तरह बीजेपी ने युवाओं का दिल जीतने के लिए रोजगार देने का वादा किया है. सरकारी नौकरी नहीं मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने का भी वादा किया है. इस तरह झारखंड की युवा वर्ग को साधने का बड़ा दांव माना जा रहा है.

महिला वोटरों को साधने की स्ट्रैटेजी

युवाओं के साथ-साथ महिला वोटों को भी साधने का बीजेपी ने बड़ा दांव झारखंड में चला है. बीजेपी ने झारखंड में महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये पेंशन देने का ऐलान किया है. इसके अलावा पार्टी ने कहा कि वह लक्ष्मी जोहार योजना भी शुरू करेगी, जिसके तहत सभी घरों को 500 रुपये में एलपीजी गैस सिलेंडर उपलब्ध कराएगी, इसके अलावा दिवाली और रक्षाबंधन पर सालाना दो मुफ्त सिलेंडर भी दिए जाएंगे. बीजेपी ने घोषणा पत्र में बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों के लिए ‘वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा’ सुनिश्चित करने के लिए 25000 रुपये मासिक पेंशन का भी वादा किया है. बीजेपी ने झारखंड में महिला वोटों की राजनीतिक ताकत को समझते हुए उन्हें लुभाने की कवायद की है.

प्राइम फोकस आदिवासी समुदाय

झारखंड में बीजेपी का प्राइम फोकस आदिवासी समुदाय के वोटों को साधने का है, लेकिन साथ ही अपने कोर वोट बैंक महिला और युवाओं का भी भरोसा जीतने की कोशिश की है. बीजेपी इस बात को समझ रही है कि सत्ता में वापसी करनी है तो आदिवासी समुदाय के बिना संभव नहीं है. इसीलिए बीजेपी ने आदिवासी समाज से जुड़े हुए तमाम बड़े नेताओं को अपने साथ मिला रखा है, क्योंकि मुकाबला जेएमएम के हेमंत सोरेन से है. इसीलिए बीजेपी ने झारखंड में इस बार किसी को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है. अमित शाह ने खुद चुनावी कमान अपने करीबी नेताओं को सौंप रखी है और घुसपैठिया बनाम आदिवासी का नैरेटिव सेट करने में जुट गई है.

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