Political – एक ही मंच से कल्पना-सुनीता ने किया था जीत का दावा, हेमंत तो जीत गए अब केजरीवाल का क्या?- #INA

सुनीता केजरीवाल और कल्पना सोरेन. (फाइल फोटो)

झारखंड में जेजेएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है. हेमंत सोरेन की पार्टी को 34 सीटें मिली हैं, जो कि पिछले विधानसभा चुनाव से 4 ज्यादा हैं. जेजेएम और कांग्रेस वाले इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिली हैं. ये सोरेन के लिए बड़ी और अहम जीत है. उनकी इस विजय में उनकी पत्नी कल्पना का बड़ा योगदान है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में थे तब कल्पना ने मोर्चा संभाला और झारखंड से दिल्ली तक सभाएं की. अब जेजेएम की इस जीत ने मनोवैज्ञानिक तौर पर आम आदमी पार्टी को संबल दिया है. आइए जानते हैं हेमंत की जीत केजरीवाल के लिए क्यों अच्छे संकेत लेकर आई है.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत और केजरीवाल दोनों पर एक्शन हुआ. केजरीवाल सीएम रहते हुए जेल गए. जबकि हेमंत ने जेल जाने से पहले पद से इस्तीफा दे दिया. केजरीवाल जेल से सत्ता चला रहे थे जबकि कल्पना अपने पति को मामले को लेकर बीजेपी को झारखंड से दिल्ली आकर भी कोस रही थीं.

कल्पना ने कही थी ये बात

इसी साल मार्च में जब केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ इंडिया गठबंधन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में शक्ति प्रदर्शन किया तो इसमें कल्पना भी पहुंचीं. उन्होंने हेमंत की गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी पर हमला बोला. इस दौरान उन्होंने ऐलान किया था कि झारखंड की जनता विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाएगी. यही बात केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने भी दोहराई थी. सियासी समीकरण कहें या कल्पना का दावा… पर सच तो यही है कि हेमंत एक बार फिर सत्ता में आ गए हैं.

Kalpana Soren Hemant

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अब सवाल है क्या केजरीवाल के लिए सुनीता की भविष्यवाणी भी सच साबित होगी? इसकी चर्चा जोरों पर है. मगर यहां एक नहीं कई पेंच फंसे हुए हैं. इसकी पहली वजह ये है कि अभी दिल्ली की राजनीति झारखंड जैसी नहीं है. क्योंकि झारखंड की तरह यहां कांग्रेस और केजरीवाल एक साथ नहीं हैं. केजरीवाल अपनी सभाओं में लगातार कांग्रेस पर हमले भी बोल रहे हैं. हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने अपने प्रत्याशी उतारे थे. इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा और सत्ता में आने का उसका सपना भी अधूरा रह गया.

Kalpana Soren

झारखंड और दिल्ली के सियासी हालात अलग कैसे?

इसकी टीस कांग्रेस भूले इसकी गुंजाइश कम ही है लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है. अगर, आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ती है तो उसके लिए झारखंड जैसे हालात नहीं होंगे. उसकी टक्कर बीजेपी से होगी. आम आदमी पार्टी में फिलहाल सब कुछ पहले की तरह ठीक भी नहीं चल रहा है. पहली लिस्ट आने के बाद उसके नेता बगावत करते भी दिख रहे हैं. कई नेताओं ने पाला भी बदला है. अब देखना होगा क्या कल्पना की तरह सुनीता का दावा दिल्ली में रंग लाता है या कोई बड़ा उलटफेर होगा?

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