समस्तीपुर से गुजरने वाली नदियों का बढ़ा जलस्तर, बढ़ा बाढ़ का खतरा, विभागीय लूट-खसोट चालू!

बाढ़ और जन-जीवन: समस्तीपुर से गुजरने वाली नदियों का बढ़ा जलस्तर, बढ़ा बाढ़ का खतरा, विभागीय लूट-खसोट चालू!

<span;>अमरदीप नारायण प्रसाद

<span;>कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरने वाली तटबंधों की जर्जर हालत बयां करती है इनके देख-रेख की…

<span;>रेन कट्स में रेत और रेत से ढ़ीला-ढ़ाला भरा बोरा कहां तक कारगर!
<span;>समस्तीपुर: नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही भारी बारिश के कारण बिहार की नदियां उफान पर हैं। जानकारी अनुसार कोसी बराज के 33 फाटक खोले गए हैं। वहीं समस्तीपुर जिले से होकर गुजरने वाली गंगा, बागमती, कमला, बलान, बूढ़ी गंडक आदि नदियों के जलस्तर में भी तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है, जिससे संभावित बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोग इस बढ़ते जलस्तर से चिंतित हैं, क्योंकि तटबंधों की जर्जर स्थिति से यह खतरा और भी गंभीर हो गया है।
<span;>वहीं अगर बात करें बूढ़ी गंडक नदी और उसके तटबंध की तो पिछले 72 घंटों में बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में करीब चार से साढ़े चार फीट तक की बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि, तटबंधों की जर्जर हालत के चलते बाढ़ का खतरा अभी भी बना हुआ है।

<span;>वहीं अगर बात की जाय कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र से होकर गुजरने वाली तटबंधों की तो इनकी जर्जर हालत बयां करती है इनके देख-रेख की। बाढ़ की आशंका होते ही इसकी मोटी कमाई का आंकड़ा चालू हो जाता है। रेन कट्स में रेत और रेत से ढ़ीला-ढ़ाला भरा बोरा कहां तक कारगर है ये तो इंजिनियर साहब ही जानें। हमने तो यही सुना था कि “रेत का महल बारिश की ईक बूंद में ही तहस-नहस”। और बूंदों के समूह बारिश से बचाव कार्य के लिए रेत का प्रयोग कहां तक उचित है यह तो विभाग ही जानें। फिलहाल स्थानीय लोगों द्वारा कार्यों की जांच कर उचित कार्रवाई के मांग की योजना बनाई जाने की चर्चा आम हो रही है। तटबंध की स्थिति को देखकर जनता में आक्रोश देखा जा रहा है।

  • <span;>वहीं अगर बात करें पूसा प्रखंड की तो पूसा रिंग बांध पर जंगल भरे पड़े हैं और तटबंधों पर कई जगह रेनकट्स खुले मुंह खड़े हैं। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार तटबंध के बीच से पाइप के सहारे गंदे पानी की निकासी बूढ़ी गंडक नदी में जारी है, जिससे खतरा और भी बढ़ गया है।

<span;>वहीं जलस्तर की बढ़ोतरी के साथ ही विभाग द्वारा कुछ स्थानों पर बोरे में मिट्टी भराई का काम शुरू कर दिया गया है। पूसा बाजार रिंग बांध की स्थिति भी खराब हो गई है, जिससे डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, बोरालॉग इंस्टीट्यूट, केंद्रीय विद्यालय, प्रखंड सह अंचल कार्यालय, पीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल, डायट, सहकारिता प्रशिक्षण केंद्र समेत दर्जन भर संस्थानों और पंचायतों के नदी में समाने का खतरा बढ़ गया है।

<span;>नेपाल में हुई बारिश के कारण बागमती नदी के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है। चकमेहसी थाना क्षेत्र के पारन चौक से कलौंजर पंचायत और बघला जाने वाली मुख्य सड़क के पास स्थित डगराहा पुल के पास शांति नदी का पानी चढ़ जाने से यातायात अवरुद्ध हो गया है। बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से मोरवाड़ा गांव में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क भी कटाव की कगार पर पहुंच गई है, जिससे गांव के लोगों को आवागमन में परेशानी हो सकती है।

Back to top button