बेतिया में स्मृति दिवस पर कामरेड विनोद मिश्र को दी गई श्रद्धांजलि

बेतिया: 9 मार्च 2025 को भाकपा-माले द्वारा आयोजित “बदलो बिहार महाजुटान रैली” की तैयारी में चंपारण के लोग एकजुट होकर कायरे कर रहे हैं। यह रैली न केवल विनोद मिश्र की स्मृति में श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित की जा रही है, बल्कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों का सामना करने और एक सर्वसमावेशी समाज का निर्माण करने के लिए भी आवश्यक है। यह बात भाकपा-माले के नेता सुनील कुमार राव ने स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित सभा में कही।

स्मृति दिवस पर आयोजित इस सभा में सुनील कुमार राव ने विनोद मिश्र के विचारों को याद करते हुए कहा कि “इतिहास के छतबड़े-बड़े सामाजिक व राजनीतिक महत्व के सवाल कभी भी राज्य विधानसभाओं या संसद की चहारदीवारियों के भीतर हल नहीं होते। ऐसे सभी महत्वपूर्ण सवाल हमेशा सड़कों पर आंदोलन के माध्यम से हल होते हैं।” राव का यह बयान मौजूदा सांप्रदायिक और फासीवादी माहौल को ध्यान में रखते हुए खास महत्व रखता है, क्योंकि आज लोकतंत्र की संस्थाएं RSS और भाजपा के अधीन काम करती दिखाई देती हैं।स्मृति दिवस

सामुदायिक एकता की आवश्यकता

किसान, मजदूर, और छात्र-युवाओं में सामुदायिक एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए, राव ने कहा कि यह समय है जब जनता को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। यह वक्तव्य समाज में बढ़ती सांप्रदायिकता और फासीवाद के खिलाफ खड़े होने की आवश्यकता को उजागर करता है। समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और सच्चे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए चंपारण के लोग कृतसंकल्पित हैं।

इस अवसर पर बैरिया प्रखंड के दर्जनों गांवों में कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें स्थानीय नेता जैसे नवीन मुखिया, जोखू चौधरी, मोजम्मिल हुसैन, बिनोद कुशवाहा, सुरेन्द्र साह, ठाकुर साहब, अशोक प्रसाद और हारून गद्दी ने भाग लिया। इन नेताओं ने भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी और विचारों का आदान-प्रदान किया।

विनोद मिश्र का योगदान

कामरेड विनोद मिश्र का राजनीतिक सफर समाजवादी विचारधारा के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता और संघर्ष के लिए जाना जाता है। उन्होंने समाज के विभिन्न तबकों के अधिकारों के लिए हमेशा आवाज उठाई। समाजवादी आंदोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय है, जो भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

स्मृति दिवस पर कामरेड विनोद मिश्र को दी गई श्रद्धांजलि मात्र एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक संकल्प है कि आगामी रैली में उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाया जाएगा। राजनीतिक दल और समाज के हर तबके को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। समाजवाद के मूल्यों के लिए संघर्ष की आवश्यकता आज अधिकतम है, और इस संघर्ष को भूमि पर उतारने का समय आ गया है। भाकपा-माले का यह संकल्प है और यह संकल्प ही हमें एक मजबूत और एकजुट समाज का निर्माण करने की दिशा में ले जाएगा।

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