Trump को धमकी का मिला ऐसा जवाब, बयान से मारी पलटी! जानें- India समेत BRICS Countries के सामने कैसे झुके? #INA
BRICS Currency Vs Dollar: भारत समेत ब्रिक्स देशों को धमकाना अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारी पड़ गया है. डोनाल्ड ट्रंप को ब्रिक्स में शामिल भारत और चीन ने ऐसा जवाब दिया है कि ट्रंप एक तरह से अपने बयान से पलटी मारते हुए दिखे. बता दें कि हाल ही में ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी थी कि अगर इन देशों ने डॉलर को कमजोर करने की कोशिश की तो वो उन पर 100 फीसदी टैरिफ लगा देंगे. आइए जानते हैं कि India समेत BRICS Countries के सामने ट्रंप कैसे झुके.
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भारत-चीन का जवाब
एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की धमकी का जवाब भारत और चीन दोनों ने सख्त लहजे में दिया. भारत के विदेश मंत्री ने इशारों-इशारों में कहा कि हमारी विदेश नीति स्वतंत्र है और किसी की धमकी से प्रभावित नहीं होती है. यह अगर हमें ब्रिक्स करेंसी बनानी होगी तो हम यह जरूर करेंगे. वहीं, चीन ने ट्रंप की धमकी को नजरअंदाज करते हुए स्पष्ट जवाब दिया कि वह अपनी नीतियां स्वतंत्र रूप से बनाएगा.
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ट्रंप ने मारी बयान से पलटी
जैसे ही ब्रिक्स देशों ने अपनी ताकत दिखाई ट्रंप प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर अपनी धमकी वापस ले ली. अमेरिका के एडवाइजर ने मीडिया के सामने सफाई देते हुए कहा कि ट्रंप के बयान को गलत समझा गया. ट्रंप इंडिया समेत ब्रिक्स देशों के सामने यूं ही नहीं झुके हैं. ये सब ब्रिक्स देशों की एकता की वजह से हुआ है. दरअसल, ब्रिक्स देशों की संयुक्त ताकत इतनी अधिक है कि अगर वे एकजुट होकर किसी आर्थिक फैसले पर अमल करें तो अमेरिका और यूरोप जैसे देश भी इससे बच नहीं सकते.
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ब्रिक्स करेंसी: क्यों परेशान है US?
मौजूदा समय में ज्यादातर देशों के बीच व्यापार डॉलर में ही होता है, इसलिए ग्लोबल मार्केट में डॉलर प्रभुत्व हावी रहता है. दुनिया का 58% विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में है. ज्यादातर देशों के बीच तेल व्यापार डॉलर में ही होता है. ये सभी लेनदेने अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली SWIFT से नियंत्रित होते हैं, जिस पर अमेरिका का कंट्रोल है. यही वो ताकत है जिससे अमेरिका अन्य देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है. अमेरिका इसी पावर का इस्तेमाल अन्य देश पर राजनीतिक दबाव प्रेशर बनाने के लिए करता है.
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ब्रिक्स देशों ने क्या किया
रूस, चीन और ईरान जैसे अन्य देश अमेरिकी प्रतिबंधों से अछूते नहीं है. ब्रिक्स देशों ने SWIFT की तरह ही अपना खुद का इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम बनाने का प्रस्ताव रखा है. अगर ब्रिक्स देश इस दिशा में सफल हो जाते हैं, तो ये अमेरिका के लिए बड़ा झटका होगा. इससे अमेरिकी बाजार पर भी गंभीर असर पड़ेगा. यही वजह है कि ट्रंप इसे डॉलर के लिए चुनौती के तौर पर देख रहे हैं.
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