दुनियां – सीरिया पर तुर्किए के एर्दोआन का ‘कबूलनामा’! बशर सरकार के खिलाफ विद्रोही गुटों को खुला समर्थन – #INA

पश्चिमी एशिया के एक और मुस्लिम मुल्क में संघर्ष तेज़ हो गया है. करीब 4 साल बाद दोबारा भड़के विद्रोह के पीछे तुर्किए का हाथ होने की आशंका जताई जा रही थी, वहीं अब तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन अपने एक बयान से इन आरोपों की पुष्टि करते नज़र आए हैं. एर्दोआन के बयान से साफ है कि वह असद सरकार के रवैये से नाराज़ हैं और शायद इसीलिए उन्होंने विद्रोही गुटों को समर्थन दिया है.
तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सीरियाई विद्रोही गुट सीरिया में सरकारी सेना के खिलाफ अपनी बढ़त जारी रखेंगे. दरअसल विद्रोही गुटों ने 26 नवंबर को सीजफायर का उल्लंघन करते हुए सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर न केवल हमला किया बल्कि महज 4 दिन के भीतर इस पर कब्जा हासिल कर लिया. अब विद्रोही हामा शहर पर कब्जा कर होम्स की ओर बढ़ रहे हैं और इसके बाद उनका राजधानी दमिश्क की ओर कूच करने का इरादा है.
एर्दोआन के इशारे पर शुरू हुआ विद्रोह?
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद पत्रकारों से बात करते हुए एर्दोगन ने कहा कि, उन्हें राष्ट्रपति बशर अल-असद से इस साल की शुरुआत में मिलने और संबंधों को सामान्य बनाने के लिए की गई अपील पर अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि, ‘विद्रोही गुटों की बढ़त अभी भी जारी है और हमें उम्मीद है कि सीरिया में यह अभियान बिना किसी समस्या के जारी रहेगा.’
BREAKING- Erdogan says he hopes Syrian rebels march to Homs and Damascus will continue without any accidents and troubles.
We had called Assad. We said, let’s determine the future of Syria together. We did not receive a positive response.
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— Ragıp Soylu (@ragipsoylu) December 6, 2024
दरअसल इजराइल के साथ लंबे संघर्ष के कारण हिजबुल्लाह कमजोर हो चुका है और ईरान खुद आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहीं बशर अल-असद सरकार का सबसे बड़ा सहयोगी रूस, करीब 33 महीने से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है. ऐसे में आरोप हैं कि तुर्किए ने ही सीरिया में विद्रोही गुटों को 4 साल से जारी संघर्षविराम तोड़ने और हमला करने के लिए समर्थन दिया है. दरअसल एर्दोआन के देश में करीब 32 लाख सीरियाई शरणार्थी रहते हैं, जो तुर्किए के लिए एक बड़ा संकट है.
सीरिया संकट से तुर्किए को क्या फायदा?
अटलांटिक काउंसिल के रिसर्चर ओमेर ओजकिजिलिक का कहना है कि तुर्किए चाहता है कि सीरियाई शरणार्थियों की वापसी के साथ-साथ उसकी सीमा सुरक्षित हो. लिहाज़ा तुर्किए विद्रोही गुटों को समर्थन कर असर सरकार पर इन शरणार्थियों की सीरिया वापसी को लेकर समझौते के लिए दबाव बनाना चाहता है. वहीं अब तुर्किए के राष्ट्रपति का बयान इन तमाम दावों और कयासों की पुष्टि करने वाला नजर आता है.
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सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) का कहना है कि सीरिया की सरकारी सेना पूर्वी शहर डेर एज़ोर से हट गई है. सीरिया के वॉर मॉनिटर के मुताबिक सीरियाई सैनिक और उनके ईरान समर्थित सहयोगी पूर्वी डेर एज्ज़ोर शहर और उसके आसपास के इलाकों से अचानक हट गए, क्योंकि विद्रोही गुटों के हमले ने सरकार को कई करारा झटका दिया.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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