दुनियां – सीरिया में 2011 में छिड़े गृहयुद्ध से कितना अलग है विद्रोह, इन 4 पॉइंट में समझें – #INA
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सीरिया में सिविल वॉर पार्ट-2 के आगाज का 11 वां दिन है. इन 11 दिनों में ही विद्रोही गुट इस कदर हावी हुआ, कि कई बड़े शहरों से बशर अल असद सरकार के दशकों से जमे-जमाये पैर को उखाड़ फेंका. सिविल वॉर में जलते सीरिया की तस्वीरें परेशान करने वाली हैं. विद्रोही गुट एक के बाद एक कई शहरों पर कब्जा जमाता जा रहा है. सीरिया की सेना डर के मारे शहर दर शहर कदम पीछे खींचती जा रही है.
विद्रोही गुटों के लड़ाके राजधानी दमिश्क तक भी पहुंच चुके हैं और इस सिविल वॉर के बीच राष्ट्रपति बशर अल असद कहां पर छिपे हैं, वो अपने सैनिकों की हिम्मत बढ़ाने के लिए सामने क्यों नहीं आ रहे हैं? ये सवाल उनसे जुड़ा हर एक व्यक्ति पूछ रहा है. इस सवाल का जवाब देने से पहले जानना जरूरी है कि सीरिया में इस बार के गृहयुद्ध के हालात, साल 2011 में छिड़े सिविल वॉर की तुलना में अलग क्यों माने जा रहे हैं? आइए इसे चार पॉइंट में समझते हैं.
इजरायल से जंग के बीच ईरान कमजोर पड़ा है, वो असद सरकार को बचाने के लिए इस बार पूरी शक्ति के साथ सामने नहीं आ पा रहा है.
हिज्बुल्लाह के लड़ाके सीरिया में असद सरकार की ओर से विद्रोही गुटों से लड़ाई लड़ने के लिए दमिश्क पहुंच चुके हैं, लेकिन सच ये भी है कि हिज्बुल्लाह खुद इजरायल से छिड़ी लड़ाई में काफी कमजोर हो चुका है.
पिछली बार असद सरकार को बचाने वाला रूस.. इस बार खुद यूक्रेन के साथ जंग में उलझा हुआ है, और सीरिया में उसकी पहली प्राथमिकता विद्रोही गुटों से अपने बेस को बचाने की है.
असद सरकार से चिढ़े बैठे तुर्किये इजरायल और अमेरिका से जुड़ा है. कहा जा रहा है कि इन तीन देशों ने ही रूस ईरान के कमजोर पड़ने के कारण सही समय देखकर सीरिया में विद्रोही गुटों को उकसाया है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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