यूपी- ‘बांग्लादेश में हिंदुओं का अलग राज्य बने…’ कानपुर में बोले कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर – INA

मथुरा के प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने शनिवार को कानपुर में सनातन यात्रा निकाली. ये यात्रा मोती झील से निकली. इसमें सनातन धर्म बोर्ड की मांग को लेकर संतों के साथ 5 किलोमीटर की यात्रा निकाली गई, जिसमें 101 मीटर लंबे भगवा बैनर पर स्लोगन “अयोध्या हमारी है, मथुरा की बारी है” लिखा गया, जिसे लेकर लोग यात्रा में चले.

देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने इस दौरान कहा कि जिस तरीके से इस्कॉन मंदिर के साथ-साथ बांग्लादेश में संतोषी माता मंदिर में मौजूद हिंदुओं के साथ अन्याय बढ़ता जा रहा है. उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. यह सनातन धर्म के लिए बेहद शर्मनाक है. हिंदुओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर पूरी दुनिया क्यों शांत है. इसका भी जवाब उन्हें देना चाहिए. पूरी सनातनी यात्रा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर खुद हाथ में “हर हिंदू की यही पुकार सनातन बोर्ड दे सरकार” की तख्ती पकड़े रहे.

हिंदुओं के लिए अलग राज्य की मांग

बांग्लादेश के हालात पर बोले, “UN को हस्तक्षेप करना चाहिए और बांग्लादेश में हिंदुओं को सुरक्षित करना चाहिए. वहां की सरकार को खारिज किया जाना चाहिए. नहीं तो वहां के हिंदुओं के लिए अलग राज्य बना कर दें.” इससे पहले अपनी कथा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए सभी सनातनियों को एकजुट होने की बात कही थी.

सनातन बोर्ड बनाए जाने की मांग

कानपुर के मोती झील मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के आखिरी दिन देवकीनंदन ठाकुर के नेतृत्व में विश्व शांति सेवा समिति ने हजारों सनातनियों भक्तों के साथ सनातन यात्रा निकली, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लेकर सनातन बोर्ड बनाए जाने की मांग को बुलंद से उठाया. यात्रा में शामिल हुए कई संतों ने बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर सरकार को कदम उठाने के लिए कहा.

कहां से कहां तक निकाली गई यात्रा

यात्रा के दौरान देवकीनंदन ठाकुर जी के आगे-आगे 101 मीटर का भगवा बैनर सनातनियों को जागृत करने के लिए लोग लेकर चल रहे थे, जिसमें स्लोगन “अयोध्या हुई हमारी, अब मथुरा की बारी” लिखा था. यात्रा में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर और अरुण चैतन्यपुरी के नेतृत्व में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ चल रही थी. यात्रा मोती झील से शुरू होकर कानपुर स्वरूप नगर बाजार से होते हुए बेनाझाबर, हर्ष नगर, अशोकनगर होती हुई वापस कथा स्थल पर आकर खत्म हुई.


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