यूपी- देश की रक्षा के लिए दे दी जान, मिला शौर्य चक्र सम्मान… फिर भी शहीद का परिवार क्यों काट रहा सरकारी दफ्तरों के चक्कर? – INA

कई वीर सपूतों ने भारत की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को निछावर कर दिया. उसमें से कई शहीदों को उनकी मौत के बाद परम वीर चक्र, महावीर चक्र, वीरता चक्र से नवाजा गया. ऐसे ही एक वीर सपूत हवलदार रमाकांत सिंह थे, जो गाजीपुर के मरदह थाना क्षेत्र के बरही गांव के रहने वाले थे और असम राइफल्स में हवलदार के पद पर कार्यरत थे. साल 2003 में उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान वह शहीद हो गए थे. उनकी शहादत के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था.

इसके साथ ही साथ शहीद के गांव बरही से मुख्य मार्ग को जोड़ने वाली सड़क का नाम शहीद के नाम पर किए जाने को लेकर एक पत्र 2022 में तत्कालीन जिलाधिकारी को आया था, लेकिन आज तक उस सड़क का नामकरण नहीं हो पाया. इसको लेकर शहीद के परिवार वाले अब जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. शहीद रमाकांत सिंह की पत्नी उमरावती सिंह अपने बेटे के साथ सोमवार को गाजीपुर के जिलाधिकारी आर्यका अखौरी से मिलने के लिए उनके कार्यालय पहुंचीं,जहां पर उन्हें अन्य फरियादियों की तरह लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा.

तीन साल बीत गए

इतना ही नहीं बाहर गेट पर खड़े सुरक्षा कर्मियों ने अन्य फरियादियों की तरह उनका मोबाइल तक जमा कर लिया. जब वह जिलाधिकारी के सामने पहुंचीं और अपना पत्र उन्हें सौंपकर बताया कि उनके पति उग्रवादियों से जंग लड़ते हुए शहीद हुए थे और उनकी शहादत की याद में एक सड़क जो उनके गांव से मुख्य मार्ग को जोड़ती है. उसके नामकरण के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह को पत्र असम राइफल्स के डायरेक्टर जनरल के कार्यालय की ओर से भेजा गया था. अब पत्र को भेजे हुए करीब 3 साल बीतने को है लेकिन अभी तक इस पत्र पर जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

प्रशासन की लापरवाही!

शहीद की पत्नी उमरावती देवी ने बताया कि जिलाधिकारी ने पत्र लेने के बाद इस मामले पर खास तवज्जो न देते हुए कहा कि दिखवा लेंगे. उनको बताया गया कि यह काम पीडब्ल्यूडी विभाग का है. अभी तक सैनिक के सम्मान में उस सड़क का नामकरण न होना कहीं ना कहीं जिला प्रशासन की लापरवाही को दिखाता है. गाजीपुर का गहमर गांव आज फौजियों के गांव के नाम से भी जाना जाता है. यहां लगभग सभी परिवार में कम से कम एक सदस्य सेना में कार्यरत या फिर रिटायर है.


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