यूपी- जौनपुर: 631 साल पुरानी, 100 फीट ऊंची, तुगलक शैली… शाही अटाला मस्जिद या देवी मंदिर, क्या है विवाद? – INA
देश में मस्जिद-मंदिर विवाद लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अब नया मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 250 किलोमीटर दूर जौनपुर से आया है. यहां की शाही अटाला मस्जिद को हिंदू देवी अटाली का मंदिर होने का दावा किया गया है. इसको लेकर एक याचिका जौनपुर कोर्ट में लगाई गई, जिसे स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने दायर की थी. कोर्ट ने मुकदमें को रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था.
इसके जवाब में अटाला मस्जिद प्रशासन इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा है और मस्जिद पर मंदिर का दावा करने वाले वादी को कोई न्यायिक व्यक्ति नहीं बल्कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सोसायटी बताया है. मस्जिद प्रशासन का कहना है कि यहां 1398 से नियमित रूप से मुसलमान नमाज अदा कर रहे हैं. हाई कोर्ट में इसकी सुनवाई 9 दिसंबर को होगी.
जानें क्या है विवाद?
जौनपुर में ही शाही अटाला मस्जिद है. स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की ओर से दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि यह पहले अटाला देवी मंदिर था, जिसे 13वीं सदी में राजा विजय चंद्र ने बनवाया था. उसी जगह यहां मस्जिद बना दी गई. एसोसिएशन ने यहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार और गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है. इधर अटाला मस्जिद प्रशासन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि शाही अटला मस्जिद में 1398 के बाद से लगातार जुमा और पांच वक्त की नमाज अदा होती आ रही है और मुस्लिम समाज यहां नियमित प्रार्थना करता आ रहा है.
क्या है जौनपुर का इतिहास?
उत्तर प्रदेश में वाराणसी, मथुरा, संभल, बदायूं के बाद अब जौनपुर की मस्जिद पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है. शाही अटाला मस्जिद के इतिहास से पहले जौनपुर के बारे में जानते हैं. जौनपुर का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. इतिहासकारों के मुताबिक, साल 1359 ई. में दिल्ली पर तुगलकों की हुकूमत थी. तुगलक वंश का तात्कालिक शासक फीरोजशाह तुगलक ने गोमती नदी किनारे एक शहर बसाया, जिसका नाम उसने अपने भाई जौना खान के नामा पर ‘जौनपुर’ रखा था. एक दौर ऐसा भी आया जब जौनपुर को दिल्ली सल्तनत की पूर्वी राजधानी कहा जाने लगा था.
क्या है अटाला मस्जिद का इतिहास?
इतिहासकार राणा सफवी ने अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि करीब 100 फीट ऊंची अटाला मस्जिद जौनपुर के मोहल्ला सिपाह के पास गोमती नदी किनारे बनी हुई है. इतिहासकारों के मुताबिक, मस्जिद का निर्माण 1393 में फिरोजशाह ने शुरू कराया था. यह मस्जिद तुगलक शैली में बनी हुई है. इस मस्जिद का मुकम्मल तौर पर निर्माण सन् 1408 ई0 में इब्राहिम शाह शर्की ने किया. मस्जिद में 177 फीट व्यास वाले प्रांगण के चारों ओर पार्श्व गैलरी हैं. इसके प्रत्येक तरफ दरवाजे बने हैं.
75 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा है दरवाजा
मस्जिद में उत्तर और दक्षिण में गुंबद हैं. पश्चिमी भाग में मेहराब और मिम्बर के साथ मुख्य प्रार्थना कक्ष है, जबकि पूर्वी भाग में एक विशाल सजावटी द्वार है. उत्तर और दक्षिण में भी प्रवेश द्वार बने हुए हैं. मस्जिद का मुख्य दरवाजा 75 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा है. भीतर एक बड़ा धंसा हुआ मेहराब है, जिसके माध्यम से मुख्य प्रार्थना कक्ष में प्रवेश किया जाता है. मस्जिद का हॉल तीन मंजिला है और इसमें खूबसूरत मेहराबें बनी हुई हैं. अंदर से 57 फीट ऊंचा गुंबद ईंटों की गोलाकार परत से बना है तथा गोलाकार आकार देने के लिए बाहर से सीमेंट से ढका हुआ है.
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