दावा किया जा रहा है कि रिमझिम इस्पात समूह ने बोगस फर्मों के जरिए 100 करोड़ रुपये की कर चोरी की है। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग के अफसरों को पांच दिन की कार्रवाई में 15 बोगस फर्मों का पता चला है। अब तक पांच करोड़ रुपये के सोने-हीरे के गहने, ठोस सोना-चांदी और तीन करोड़ रुपये नकद मिले हैं। वहीं, आयकर विभाग की कार्रवाई अब केवल कानपुर और दिल्ली समेत पांच जगहों पर जांच चल रही है। आयकर अफसरों को समूह के शीर्ष लोगों के पास आईफोन मिले हैं। इनके पासवर्ड बताए नहीं जा रहे हैं। कंपनी का आईटी सेल से जुड़ा अधिकारी भी नहीं मिला है। कंपनी के मालिक और अन्य के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
आयकर विभाग के 250 से ज्यादा अफसरों की अलग-अलग टीमों ने बीते गुरुवार को कंपनी के मालिक योगेश अग्रवाल के कानपुर स्थित आवास, कॉरपोरेट कार्यालय, उन्नाव, हमीरपुर की फैक्टरियों के अलावा कंपनी से जुड़े डीलरों के उप्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा में 50 से ज्यादा प्रतिष्ठानों पर छापा मारा था। कानपुर में 25 स्थानों पर जांच शुरू की गई थी। अब पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा में कार्रवाई खत्म हो गई है। केवल योगेश अग्रवाल के आवास, कारपोरेट कार्यालय फैक्टरियों और भूसाटोली स्थित स्क्रैप कारोबारी व दिल्ली स्थित प्रतिष्ठान पर जांच चल रही है।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली, पश्चिम-बंगाल, हैदराबाद के पतों पर लंबे समय से बोगस फर्मों का संचालन किया जा रहा था। कागजों पर केवल खरीद-बिक्री दिखाई जाती थी। बोगस फर्मों को लेन-देन और और उत्पाद बिक्री के लिए उपयोग में लाया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि फर्जी फर्मों के जरिए दो नंबर की कमाई को एक नंबर में दिखाया जा रहा था।
सूत्रों ने बताया कि एक बोगस कंपनी में लगातार हो रहे लेनदेन से समूह आयकर अधिकारियों के रडार पर आया गया था। लगातार 6-7 महीने से आयकर विभाग समूह और दूसरे कंपनियों में होने वाले लेन-देन पर नजर रख रहा था। बोगस फर्मों में मोटी रकम लगाने की जानकारी मिल रही थी। विभाग के अधिकारी सुबूत तैयार करते रहे। साथ-साथ अधिकारियों को और बोगस फर्मों का पता चला। सूत्रों ने बताया कि छापे के दौरान पांच करोड़ के गहने मिले हैं। ऐसे भी गहने मिले हैं, जिनमें उनके खरीद के पर्चे दिखाए गए हैं। 10 लॉकर मिले हैं। दो दर्जन से ज्यादा संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं।
पासवर्ड से खुलने वाले आईफोन में है राज छापे के दौरान आयकर के अफसरों को समूह और कंपनी के शीर्ष लोगों व परिजनों के पास अलग-अलग आईफोन मिले हैं। इनमें पासवर्ड लगा है। सूत्रों का कहना है कि शीर्ष अफसर मोबाइल का पासवर्ड नहीं बता रहे हैं। संदेह है कि इनमें महत्वपूर्ण सूचनाएं, लेन-देन, संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज हो सकते हैं।
अलमारी में मिला शिकायत करने वाला रजिस्टर आयकर अफसरों को छापे के दौरान कंपनी के कार्यालय में एक अलमारी में रजिस्टर मिला है। इसमें समूह या कंपनी पर किस-किस विभाग ने कार्रवाई की है, इसका ब्योरा लिखा गया है। सूत्रों का कहना है कि आयकर अधिकारियों को पहले से तैयार शिकायती पत्रों का ब्योरा या फार्मेट भी मिला है। मसलन, सीबीआई ने कार्रवाई की तो किसे शिकायत करनी है। कर, श्रम विभाग, पीएफ विभाग, अग्निशमन, शासन, प्रशासन की ओर से जांच आदि पर कहां-कहां पत्र भेजना है। इसका भी ब्योरा मिला है। रजिस्टर को लगातार अपडेट किया जाता था। मसलन, किस जांच या कार्रवाई में क्या हुआ और क्या करना है, इसकी ब्योरा भी दर्ज किया गया है।
स्क्रैप कारोबारियों से मिला गठजोड़ सूत्रों के अनुसार, कानपुर के साथ ही उप्र के अलग-अलग शहरों में स्क्रैप का कारोबार करने वालों से बड़े स्तर पर लेनदेन मिला है। शहर के जिस मेटल कारोबारी के प्रतिष्ठान पर जांच चल रही है, उसका टर्नओवर 10-20 करोड़ के करीब है। जबकि दुकान गली में स्थित है। ऐसे में स्क्रैप कारोबारियों के जरिए बिना बिल के करोड़ों रुपयों के कारोबार की जानकारी मिली है। मेटल कारोबारी हर प्रकार का स्क्रैप खरीदते थे और अलग-अलग डीलरों के जरिए बेचते थे।
दावा किया जा रहा है कि रिमझिम इस्पात समूह ने बोगस फर्मों के जरिए 100 करोड़ रुपये की कर चोरी की है। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग के अफसरों को पांच दिन की कार्रवाई में 15 बोगस फर्मों का पता चला है। अब तक पांच करोड़ रुपये के सोने-हीरे के गहने, ठोस सोना-चांदी और तीन करोड़ रुपये नकद मिले हैं। वहीं, आयकर विभाग की कार्रवाई अब केवल कानपुर और दिल्ली समेत पांच जगहों पर जांच चल रही है। आयकर अफसरों को समूह के शीर्ष लोगों के पास आईफोन मिले हैं। इनके पासवर्ड बताए नहीं जा रहे हैं। कंपनी का आईटी सेल से जुड़ा अधिकारी भी नहीं मिला है। कंपनी के मालिक और अन्य के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
आयकर विभाग के 250 से ज्यादा अफसरों की अलग-अलग टीमों ने बीते गुरुवार को कंपनी के मालिक योगेश अग्रवाल के कानपुर स्थित आवास, कॉरपोरेट कार्यालय, उन्नाव, हमीरपुर की फैक्टरियों के अलावा कंपनी से जुड़े डीलरों के उप्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा में 50 से ज्यादा प्रतिष्ठानों पर छापा मारा था। कानपुर में 25 स्थानों पर जांच शुरू की गई थी। अब पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा में कार्रवाई खत्म हो गई है। केवल योगेश अग्रवाल के आवास, कारपोरेट कार्यालय फैक्टरियों और भूसाटोली स्थित स्क्रैप कारोबारी व दिल्ली स्थित प्रतिष्ठान पर जांच चल रही है।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली, पश्चिम-बंगाल, हैदराबाद के पतों पर लंबे समय से बोगस फर्मों का संचालन किया जा रहा था। कागजों पर केवल खरीद-बिक्री दिखाई जाती थी। बोगस फर्मों को लेन-देन और और उत्पाद बिक्री के लिए उपयोग में लाया जा रहा था। सूत्रों का कहना है कि फर्जी फर्मों के जरिए दो नंबर की कमाई को एक नंबर में दिखाया जा रहा था।
सूत्रों ने बताया कि एक बोगस कंपनी में लगातार हो रहे लेनदेन से समूह आयकर अधिकारियों के रडार पर आया गया था। लगातार 6-7 महीने से आयकर विभाग समूह और दूसरे कंपनियों में होने वाले लेन-देन पर नजर रख रहा था। बोगस फर्मों में मोटी रकम लगाने की जानकारी मिल रही थी। विभाग के अधिकारी सुबूत तैयार करते रहे। साथ-साथ अधिकारियों को और बोगस फर्मों का पता चला। सूत्रों ने बताया कि छापे के दौरान पांच करोड़ के गहने मिले हैं। ऐसे भी गहने मिले हैं, जिनमें उनके खरीद के पर्चे दिखाए गए हैं। 10 लॉकर मिले हैं। दो दर्जन से ज्यादा संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं।