यूपी- न जज, न सदस्य, बस ‘जुगाड़’ से चल रहे कानपुर के उपभोक्ता फोरम… 15 हजार से अधिक केस पेंडिंग – INA
भारतीय कानून में एक कहावत है कि ‘जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड’… यानी कि देर से मिलने वाला न्याय, न्याय नहीं मिलने के बराबर है. कानपुर में मौजूद विभिन्न फोरम इसी तर्ज पर हैं. कहीं पर पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं है तो कहीं पर ‘जुगाड़’ व्यवस्था के तहत अधिकारी को अटैच किया गया है. कहीं पर इतने मुकदमे हैं कि एक अधिकारी के बस की बात ही नहीं है. आज हम आपको कानपुर के इन्हीं फोरम से रूबरू करवाते हैं.
जिला उपभोक्ता फोरम के नाम से ज्यादातर लोग वाकिफ होंगे. जब भी कोई व्यक्ति एक उपभोक्ता के तौर पर कोई सामान या सर्विस लेता है और देने वाला व्यक्ति कानून का उल्लंघन करता है तो ऐसे मामले उपभोक्ता फोरम में आते हैं. यहां पर नियुक्त अध्यक्ष का रिटायरमेंट सितंबर 2023 में हो गया था. उसके बाद से किसी स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है.
‘जुगाड़’ व्यवस्था के तहत उरई फोरम के अध्यक्ष को कानपुर फोरम से अटैच किया गया है. वो हफ्ते में सिर्फ तीन दिन गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को यहां बैठ पाते हैं. कानपुर उपभोक्ता फोरम में तकरीबन सात हजार से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं. अधिवक्ता मयूरी बख्शी के अनुसार, स्थाई अध्यक्ष की नियुक्ति न होने की वजह से जनता को न्याय मिलने में देरी होती है.
मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण
यहां पर ऐसे मामले आते हैं, जिनका संबंध मोटर दुर्घटना के क्लेम से होता है. काफी समय से यहां के पीठासीन अधिकारी की कुर्सी खाली थी. जिस पर मात्र कुछ दिन पहले ही नियुक्ति हुई है. अधिवक्ता अवधेश कुमार पांडे के बताया कि तकरीबन 15000 से ज्यादा मामले नॉर्थ और साउथ अधिकरण मिलाकर लंबित हैं. अभी भी 16 साल से ज्यादा पुराने मामले यहां चल रहे हैं.
इतने मामले निपटाने के लिए कम से कम 10 और अधिकरण होने चाहिए. उन्होंने बताया कि यहां पर तारीख छह महीने से कम की नहीं पड़ती. इस वजह से इंश्योरेंस कंपनियों को भी कोई चिंता नहीं होती. अवधेश पांडे के अनुसार, या तो संख्या बढ़े या फिर इसको जिला जज के अधीन कर दिया जाए.
स्थाई लोक अदालत
लोक अदालत के बारे में सभी ने सुना होगा, लेकिन एक कोर्ट स्थाई लोक अदालत की भी होती है. यहां पर कई तरह के मामले लाए जा सकते हैं, जिसमें आपसी सुलह-समझौते से भी समस्या का समाधान किया जाता है. यहां पर ही चेयरमैन की नियुक्ति मार्च 2024 से नहीं हुई है. हालांकि अभी यहां मामले कम हैं, क्योंकि लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. इसके बावजूद अभी तकरीबन 250 मामले यहां लंबित हैं.
इन सभी फोरम में जनता से सीधे जुड़े मामले लाए जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि सभी जगह स्थाई नियुक्ति हो और मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जाए, क्योंकि जब आम जनता को जल्द न्याय मिलेगा, तभी उसको जस्टिस मिलने का एहसास होगा.
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