UP News: तीर-धनुष चलाकर पाई सेना की नौकरी… मिलिए गाजीपुर की अमीषा से, पढ़िए सक्सेस Story – INA

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की एक बेटी ने शौक में तीर और धनुष को चलाना सीखा. उसने अपना लक्ष्य साधना शुरू किया. 3 साल में उसने इस तीर और धनुष से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल होकर कई पदक भी जीते. अब इसी तीर और धनुष ने गाजीपुर की बेटी को सीमा सुरक्षा बल में सेवा देने का मौका दिया है, जिसकी जानकारी के बाद से ही पूरे परिवार के साथ ही गांव में खुशी की लहर है.
जिले के जमानिया के बरुइन गांव की होनहार तीरंदाज खिलाड़ी अमीषा चौरसिया ने मात्र तीन साल की मेहनत और समर्पण से सीमा सुरक्षा बल (BSF) में चयन पाकर जिले का नाम रोशन किया है. इस उपलब्धि के साथ ही अमीषा अब खेल के साथ-साथ देश की सेवा में भी अपना योगदान देंगी.तीरंदाज अमीषा, अशोक चौरसिया और सीमा चौरसिया की पुत्री हैं.
‘द्रोणा तीरंदाजी अकादमी’ से पाया मुकाम
अमीषा की इस यात्रा की शुरुआत साल 2022 में हुई, जब उन्होंने जमानिया के ‘द्रोणा तीरंदाजी अकादमी’ में प्रवेश लिया और गुरु सतीश दुबे के संरक्षण में तीरंदाजी की बारीकियां सीखना शुरू किया. कोच के मार्गदर्शन और उनके स्वयं के अनुशासन व कठिन परिश्रम की बदौलत बहुत ही कम समय में ऊंचाई तक पहुंच गईं. उन्होंने राष्ट्रीय, राष्ट्रीय रैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय स्तर की चयन प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया.
BSF में हुआ चयन
अमीषा ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी उनके अचूक निशाने लगाए.बीएसएफ में चयन के बाद अपनी खुशी साझा करते हुए अमीषा ने बताया कि, “यह मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा है. मैं हमेशा से देश की सेवा करना चाहती थी और अब यह सपना तीरंदाजी के माध्यम से पूरा हो रहा है.” उन्होंने बताया कि यह मुकाम उन्होंने सिर्फ तीन वर्षों के कठोर अभ्यास और अनुशासन के दम पर हासिल किया है.
युवा खिलाड़ियों के लिए बनी प्रेरणा
इस कामयाबी पर अमीषा ने अपने माता-पिता, कोच और शुभचिंतकों के प्रति आभार व्यक्त किया, खासतौर पर कोच सतीश दुबे का .गाजीपुर तीरंदाजी संघ के सचिव नंदू दुबे ने अमीषा की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए बताया कि यह चयन जिले बल्कि प्रदेश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने विश्वास जताया कि अमीषा बीएसएफ में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी और यह सफलता अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा बनेगी.
कोच हुए भावुक
कोच सतीश दुबे के लिए यह एक भावुक क्षण रहा. उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र के युवाओं को दिशा देने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचता देखना गर्व का विषय है. अमीषा की सफलता बताती है कि अगर सही मार्गदर्शन और मेहनत हो, तो किसी भी ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है.” अमीषा जल्द ही बीएसएफ की ट्रेनिंग अकादमी में प्रशिक्षण लेंगी और उसके बाद देश की सीमाओं की रक्षा में योगदान देंगी. उनके चयन से गाजीपुर सहित पूरे प्रदेश में उत्साह और गौरव की लहर है.
द्रोणा अकैडमी के कोच सतीश दुबे भी गाजीपुर के जमानिया इलाके के रहने वाले हैं. उन्होंने इसी तीरंदाजी की बदौलत आज भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं. साथ ही साथ उन्होंने इस विधा को और आगे बढ़ने का संकल्प लेते हुए इस द्रोणा तीरंदाजी अकादमी को आरंभ किया. उनके अकादमी से कई तीरंदाजों ने कई तरह के मेडल जीतकर अपना परचम फहराया है. वहीं, अब इस बेटी ने भी बीएसएफ में जाकर गांव और जिले का नाम रोशन किया.
तीर-धनुष चलाकर पाई सेना की नौकरी… मिलिए गाजीपुर की अमीषा से, पढ़िए सक्सेस Story
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