UP News: बीटेक पास किसान… नौकरी की जगह कर रहा मशरूम की खेती, घर बैठे हो रहा मुनाफा ही मुनाफा! – INA

कोरोना महामारी में बीटेक करने के बाद दिल्ली में मिली नौकरी चली गई. कठिन समय में घर लौटा और गांव में मेहनत-मजदूरी करने लगा. शुरुआत का दौर काफी मुश्किल था, लेकिन उसने हार नहीं मानी और कुछ ऐसा कर दिखाया कि उसकी सफलता ने ‘आपदा में अवसर’ का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया.

नौकरी जाने के बाद गाजीपुर के जखनिया ब्लॉक के गौरा खास गांव के अरविंद ने परंपरागत खेती शुरू की थी, लेकिन उससे ज्यादा आमदनी नहीं हो रही थी. फिर उन्होंने गाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. ओंकार सिंह से मशरूम की खेती के बारे में सलाह ली. इस सलाह ने उनकी जिंदगी बदल दी.

घर के एक कमरे से की थी शुरुआत

अरविंद को कृषि विज्ञान केंद्र से एक सप्ताह का प्रशिक्षण मिला, जिसके बाद उन्होंने अपने घर के एक कमरे में ₹50,000 की लागत से मशरूम की खेती शुरू की. जैसे-जैसे उन्हें इस खेती से लाभ हुआ, उन्होंने इसे और बढ़ाया और दो हिस्सों में मशरूम की खेती शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने AC भी लगवाया, ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके, जो मशरूम की खेती के लिए जरूरी होता है.

अब अरविंद और उनकी पत्नी हर महीने करीब 12 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे वे लगभग एक लाख रुपए प्रति महीने कमा रहे हैं. उनका मशरूम गाजीपुर की जंगीपुर मंडी, जौनपुर, आजमगढ़, वाराणसी और गाजीपुर की मंडियों में बेचा जाता है. इसके अलावा, वैवाहिक अवसरों पर बिहार तक उनके मशरूम की डिमांड बढ़ रही है.

मशरूम बेचने में कोई समस्या नहीं

फसल वैज्ञानिक डॉ. ओंकार सिंह बताते हैं कि कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेने के बाद कई युवा मशरूम की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. मशरूम की कई किस्में होती हैं, लेकिन बटन मशरूम क्रॉप फसल के रूप में बहुत प्रचलित है और इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इसलिए इसे बेचने में कोई समस्या नहीं होती है.

डिमांड इतनी कि दे नहीं पा रहे मशरूम

अरविंद की सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर परिवार से सही सलाह और सहयोग मिले, तो किसी भी व्यवसाय में सफलता प्राप्त की जा सकती है. आज अरविंद और उनकी पत्नी दोनों मिलकर मशरूम की खेती कर रहे हैं और उनकी स्थिति यह है कि कभी-कभी ग्राहकों की अधिकता के कारण उनके पास मशरूम की कमी हो जाती है.

इस प्रकार, अरविंद ने कोरोना महामारी की कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलकर मशरूम की खेती के माध्यम से न केवल अपनी आजीविका बनाई, बल्कि अपने परिवार को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना लिया. उनकी यह कहानी प्रेरणा का स्रोत है कि सही दिशा में मेहनत और परिवार का समर्थन किसी भी कठिनाई को आसान बना सकता है.

बीटेक पास किसान… नौकरी की जगह कर रहा मशरूम की खेती, घर बैठे हो रहा मुनाफा ही मुनाफा!

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