UP News: यूपी में निषाद वोट बैंक के लिए लड़ाई, निषाद पार्टी की संविधान अधिकार यात्रा पर खुलकर सामने आई फूट! – INA

उत्तर प्रदेश में एनडीए गठबंधन का हिस्सा अपना जनाधार बढ़ाने के लगातार सक्रियता बनाए हुए है. मछुआ समाज के हक और हुकूक की लड़ाई लिए लड़ने का दावा करने वाली निषाद पार्टी निषाद समाज को ही एक मंच पर नहीं ला पा रही है. प्रयागराज पहुंची निषाद पार्टी की संविधान अधिकार यात्रा के कार्यक्रम में यह तकरार आमने सामने आ गई, जब निषाद पार्टी की तरफ से नाम लिए बिना निषाद समाज से बीजेपी विधायक को टारगेट किया गया.

निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद अपनी ताकत दिखाने और निषाद समाज को एकजुट करने के नाम पर संविधान अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं. सोमवार को यह यात्रा प्रयागराज पहुंची और पार्टी अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता कर इस यात्रा के आयोजन की तकरीर मीडिया के सामने पढ़ी. प्रेस वार्ता में निषाद समाज से बीजेपी विधायक पीयूष रंजन निषाद की गैर मौजूदगी रही.

संजय निषाद से जब इस पर पूछा गया तो उनका अंदाज और जवाब दोनों हैरान करने वाला था. संजय निषाद का कहना है कि जनपद में निषाद पार्टी ने 2022 के चुनाव में 2 विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. एक पर निषाद पार्टी का सिंबल था दूसरा बीजेपी के सिंबल पर, निषाद पार्टी के सिंबल से जिनको उतारा था वो आज हंडिया में संवैधानिक अधिकार यात्रा का स्वागत और जनसभा की तैयारी में जुटे हुए हैं. इसलिए वो मुख्यालय पर नहीं आए हैं.

पीयूष रंजन निषाद की गैर मौजूदगी पर क्या बोले?

निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, ‘जिनके बारे में आप पूछना चाह रहे हैं तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं ‘अगर एक फल को यह घमंड हो जाए कि वह पेड़ की उत्पत्ति है, तो यह उसकी मूर्खता और अज्ञानता को दर्शाता है. फल पेड़ का ही भाग होता है उसकी ही शाखाओं पर पैदा और बड़ा होता है. फल की अपनी कोई भी स्वतंत्र उत्पत्ति नहीं होती है.’ उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो व्यक्ति निषाद पार्टी और मछुआ आरक्षण को लेकर मछुआ समाज के साथ नहीं खड़ा है. उससे 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी दूरी बनाएगी.

उन्होंने कहा कि ये जो निषाद नेता दूसरी पार्टियों में जाकर किरायेदार बन गए है, मछुआ समाज को पूर्वांचल से पश्चिमांचल तक सतर्क रहने की ज़रूरत है. क्योंकि इन्हीं लोगों ने मछुआ समाज के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक अनुसूचित जाति आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार को भटकाने का काम कर रहे हैं. ये कहते हैं कि अगर मछुआ समाज को आरक्षण मिल गया तो डॉ संजय निषाद और निषाद पार्टी मछुआ समाज के लिए अंबेडकर बन जाएंगे. इसलिए ये मछुआ समाज किरायेदार नेता किसी भी सूरत में आरक्षण को लागू नहीं होने देना चाहते हैं.

संजय निषाद के जवाब पर BJP विधायक का पलटवार

संजय निषाद की तरफ से जारी इस वक्तव्य के बाद करछना से निषाद समाज के बीजेपी विधायक पीयूष रंजन निषाद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह उनका निजी बयान है. इस पर हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी, लेकिन मैं 2014 से ही बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं . मैने एनडीए गठबंधन में बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर जीत हासिल की है. स्थानीय जनता के आशीर्वाद से उन्हें यह मुकाम मिला है और उसी जनता और संगठन का वह आभार व्यक्त करते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने ही केंद्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर निषाद पार्टी का बीजेपी से मेल कराया.

गौरतलब है कि संजय निषाद पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. जिससे पार्टी के अंदर भी कई तरह के बयान आए हैं . 11 अप्रैल 2025 को एक इंटरव्यू में उनका एक बयान काफी चर्चा में आया था. जिसमें उन्होंने कहा कि उनके बेटे विधायक, सांसद नहीं बनेंगे तो क्या रिक्शा चलाएंगे. अगर हम अपने घर में नहीं बना पाएंगे तो दूसरों को क्या विधायक और मंत्री बना पाएंगे.

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यूपी में निषाद वोट बैंक के लिए लड़ाई, निषाद पार्टी की संविधान अधिकार यात्रा पर खुलकर सामने आई फूट!





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