UP News: Harsha Richhariya in Mahakumbh: अखाड़े के रथ पर ‘परम सुंदरी’, संतों में छिड़ गई बहस; हर्षा रिछारिया को लेकर क्या बोले? – INA

महाकुंभ में इस समय ग्लैमरस साध्वी हर्षा रिछारिया को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इस सबके इतर ‘अमृत स्नान’ के दिन हर्षा रिछारिया को रथ पर बैठाने को लेकर अब विवाद शुरू हो गया है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इसको लेकर कहा था ये गलत परंपरा शुरू हो गई है, लेकिन शंकराचार्य के इस बयान का साधु-संतों ने ही विरोध किया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि शंकराचार्य पद में होकर वह संतों का विरोध करते हैं और वो अपनों का विरोध कर रहे हैं.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि वह बच्ची उत्तराखंड की अपनी बच्ची है. आपका उत्तराखंड में बहुत बड़ा मठ है. शंकराचार्य को नेतागिरी नहीं करनी चाहिए. ऐसी भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए. आप हमारे शंकराचार्य हैं. हम आपका मान-सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी बच्चियों का हमारे आचार्य का अपमान करने का आपको कोई अधिकार नहीं है. आप शंकराचार्य हैं. आपको अपने पद की गरिमा रखनी चाहिए.

आप किसी पार्टी के प्रवक्ता नहीं हैं. यहां अखाड़ों की परंपरा है. यह हमारी बेटी, हमारी बच्ची है. अगर उसने भगवा पहन भी लिया तो इस समय पूरा हिंदुस्तान भगवा पहन रहा है. आपने कभी नहीं बोला. आप हमारे बच्चों के लिए बोल रहे हैं. यह अच्छी बात नहीं है. मैं यह कहना चाहूंगा कि आप अपने आप पर लगाम लगाइए.

रथ पर बैठ गई तो इसमें गलत क्या- रविंद्र पुरी महाराज

रथ पर बैठने को लेकर रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि इससे क्या हुआ, दुनिया बैठी है. वह बैठी तो क्या हो गया. इसमें कोई गलत नहीं है. आस्था लेकर आई है, बच्ची है. गंगा जी में स्नान करना चाहती थी, भगवा पहने हुए है. पूरे मेले में सभी महिलाएं भगवा पहन रही हैं. वह बच्ची हमारे लिए देवी समान है. बच्चों के लिए कभी भी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वह हमारे उत्तराखंड की बेटी है. शंकराचार्य महाराज भी वहीं पर रहते हैं, लेकिन जहां ऐसी बात आएगी तो वहां उनका विरोध करना पड़ेगा. कोई भी इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाएगा.

सनातन धर्म में सबका सम्मान

वहीं बालकानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म कहता है कि सब सम्मान है और अन्तरकड़ में परमात्मा का वास है. कौन मॉडल है, यह बोल उनकी है, जिनकी दृष्टि दूसरे प्रकार की है. कैलाशानंद महाराज ने उसकी भक्ति और उसकी तपस्या को देखा. उसके समर्पण भाव को देखते हुए, उसके प्रेम को देखते हुए संतों को प्रति, उसकी आस्था को देखते हुए स्नान करने के लिए अपने रथ पर बैठाया. यह खराब नहीं किया, अच्छा ही किया.

सनातन धर्म किसी के साथ भेदभाव नहीं करता

सनातन सबको जोड़ता है. सनातन किसी को तोड़ता नहीं है. सनातन भेदभाव नहीं करता, सनातन में नारियों की पूजा होती है. नारी सशक्तिकरण का केंद्र हैं. हमारा देश महान बनेगा. एक मां एक अच्छा समाज देती है, अच्छा डॉक्टर, अच्छा इंजीनियर देती है. कैलाशानंद जी उसी में मां काली का स्वरूप देखते हैं. माता रानी का रूप देखते हैं. उसी रूप देखते हैं. वह उसे गंगा स्नान कराने के लिए ले गए. इस पर बात करना शोभा नहीं देता.

Harsha Richhariya in Mahakumbh: अखाड़े के रथ पर ‘परम सुंदरी’, संतों में छिड़ गई बहस; हर्षा रिछारिया को लेकर क्या बोले?





देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY

Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News