UP News: महाकुंभ में नदियों के जल में कैसे बनते हैं चौराहे और रिवर डिवाइडर, तैनात होती है वाटर ट्रैफिक पुलिस – INA

प्रयागराज में महाकुंभ के लिए बनाए गए महाकुंभ नगर में सड़क परिवहन व्यवस्था से ज्यादा महत्वपूर्ण, यहां की जल यातायात व्यवस्था होगी. जिसमें स्नान पर्वों के दिन 40 से 50 लाख स्नानार्थियों का दबाव होगा. इन स्नानार्थियों को संगम तक ले जाने के लिए 4000 नावों को संगम में चलाने के लिए जल यातायात की व्यवस्था की गई है. सड़क परिवहन की तरह नदी में सड़क डिवाइडर, चौराहे बनते हैं और ट्रैफिक पुलिस को भी तैनात किया जाता है.

महाकुंभ में नावों का संचालन केवल यमुना नदी में होता है. इसलिए यमुना नदी की जल यातायात व्यवस्था भी अपने में खास है. महाकुंभ में चार हजार नावों का संचालन होगा. सड़क यातायात प्रबंधन योजना की तर्ज पर ही जल पुलिस ने महाकुंभ-2025 के लिए 12 किलोमीटर क्षेत्र में नदी यातायात और सुरक्षा प्रबंधन योजना बनाई है. सड़क डिवाइडर और ट्रैफिक चौराहों की तरह ही जल पुलिस कर्मियों द्वारा संचालित फ्लोटिंग रिवर लाइन और नदी ट्रैफिक चौराहे बनाए जा रहे हैं. एसएसपी महाकुंभ राजेश द्विवेदी ने कहा कि जल यातायात व्यवस्था के अंतर्गत यमुना नदी में 4 किलोमीटर लंबी रिवर लाइन का निर्माण होना है, जिसमें 500 मीटर की रिवर लाइन अभी तक बन चुकी है. डीप वॉटर बैरिकेटिंग बॉक्स से यह रिवर लाइन बन रही है जिसमें आठ से दस मीटर पर प्लेटफॉर्म भी बन रहे हैं. जिन्हें जल चौराहों की तरह जल पुलिस इस्तेमाल करेगी. एकल मार्ग में ही नावों का संचालन होगा.

तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए तैयारियां जारी

इस रिवर लाइन के बॉक्स के ऊपर प्लेटफॉर्म में जल चौराहे बनते है. जिसमें जल ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात होंगे. ये सभी गोताखोर की ट्रेनिंग ले चुके जवान है, जिनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर भी होंगे. महाकुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कई सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं, जिनमें भारतीय नौसेना के 25 प्रशिक्षित समुद्री गोताखोर शामिल हैं जो 24 घंटे निगरानी रखेंगे. इसके अलावा पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी इस कार्य में सहयोग करेंगी. उप पुलिस अधीक्षक (जल पुलिस) रजनीश यादव के मुताबिक, मेले के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए 50 स्नान घाटों वाले 12 किलोमीटर के क्षेत्र को जल बैरिकेडिंग से सुरक्षित किया गया है. जिसमें जाल के साथ फ्लोटिंग ब्लॉक शामिल हैं.

क्या बोले पुलिस अधीक्षक?

पुलिस अधीक्षक (जल पुलिस) रजनीश यादव ने कहा कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीसी की 10 कंपनियों में 800 प्रशिक्षित कार्मिक, एसडीआरएफ के 150 सदस्य, एनडीआरएफ की 12 टीमों के अलावा जल पुलिस के 35 प्रशिक्षित गोताखोरों की एक कोर टीम शामिल है, जो प्रबंधन और बचाव कार्य का काम करेगी. इसके अलावा 12 किलोमीटर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फैले 17 सब स्टेशनों के अलावा एक फ्लोटिंग ट्रैफिक कंट्रोल स्टेशन भी बनाया गया है.

मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए 12 जेटी का निर्माण होगा. सेना की तरफ मौजूदा सुरक्षा योजना को बढ़ाने के लिए सरस्वती घाट और किला घाट के बीच एक जेटी स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है, इसके अलावा राज्य की डायल 112 सेवा भी इसकी निगरानी के लिए अपना फ्लोटिंग स्टेशन स्थापित करेगी. 12 किलोमीटर के सुरक्षित जल क्षेत्र में मेला प्रशासन, सिंचाई विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा जेटी और अन्य सुरक्षा व्यवस्थाएं भी की जाएंगी.

चार हजार नावों को पुलिस ने दी अनुमति

गंगा नदी में पांटून पुल बने होने और तेज जल बहाव के चलते यहां सभी तरह की निजी नावों के संचालन पर रोक रहती है. केवल पुलिस की राहत नाव यहां तैनात होती हैं. वह भी वाटर बैरिकेटिंग सिस्टम के बाहर, महाकुंभ में वैसे तो 6000 से अधिक चप्पू वाली नावों के संचालन को लाइसेंस जारी होना है लेकिन अभी 4000 नावों के संचालन की ही जल पुलिस से अनुमति मिली है. सीओ जल पुलिस के मुताबिक, जल यातायात प्रबंधन की योजना से नाविकों को भी जोड़ा जा रहा है.

महाकुंभ में नदियों के जल में कैसे बनते हैं चौराहे और रिवर डिवाइडर, तैनात होती है वाटर ट्रैफिक पुलिस





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