UP News: बाराबंकी में है गाजी के पिता की मजार, क्या अब यहां भी नहीं लगेगा मेला? संभल में लगी है रोक – INA

उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद विवाद के बाद एक नए विवाद को लेकर सरगर्मी बढ़ती नजर आ रही है. दरअसल, पुलिस प्रशासन ने यहां हर साल लगने वाले नेजा मेले की अनुमति नहीं दी है. ये मेला सैय्यद सलार मसूद गाजी की याद में लगाया जाता था. पुलिस ने आयोजकों को मेला लगाने की अनुमति नहीं दी है. ये मेला होली के बाद हर साल लगता था. वहीं अब बाराबंकी में स्थित सैय्यद सलार मसूद गाजी के पिता की मजार पर लगने वाले मेले को लेकर भी लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं.
संभल में इस साल सैय्यद सलार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले का आयोजन नहीं होगा. पुलिस ने आयोजकों से साफ कह दिया है कि लुटेरों के नाम पर मेले के आयोजन की अनुमति नहीं देंगे. होली के बाद हर साल मेला लगता था. इस आयोजन को लेकर दूसरे समुदाय के लोगों ने पुलिस प्रशासन के सामने आपत्ति की थी. वहीं संभल में मेले की मनाही के बाद अब बाराबंकी जिले के सतरिख कस्बे में उनके पिता सैय्यद सालार साहू गाजी रहमतुल्लाह बूढ़े बाबा की दरगाह अचानक चर्चा में आ गई है. यहां भी हर साल ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल के बाद शनिवार को कुल मनाया जाता है. ऐसे में सवाल खड़े होने लगे हैं कि यह कुल मेला अब यहां लगेगा या नहीं.
सैकड़ों साल पुरानी है परंपरा
दरअसल, बूढ़े बाबा की दरगाह पर सैकड़ों वर्ष पूर्व से मेला लगता चला आ रहा है. कुल मेले के दौरान दूर-दूर से जायरीन यहां आते हैं. जिले के अलावा अन्य दूर-दराज स्थानों से ट्रैक्टर, ट्राली और बस से जायरीन यहां पहुंचते हैं. यहां हिंदू लोग बच्चों का मुंडन कराते हैं. बाबा की दरगाह पर निशान और चादर पेश करते हैं. यहां रहने वाले मोहम्मद सिद्दीक व अन्य कार्यकर्ताओं ने बताया कि बूढ़े बाबा अफगानिस्तान के रहने वाले थे. वहां से 1400 साल पहले वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ अजमेर शरीफ आये थे. अजमेर शरीफ से उनकी पत्नी तो वापस अफगानिस्तान चली गईं, लेकिन सैय्यद सालार साहू गाजी रहमतुल्लाह बूढ़े बाबा खुद और उनके साहबजादे सैय्यद सलार मसूद गाजी सतरिख आ गए. सतरिख में बूढ़े बाबा की दरगाह है. जबकि उनके साहबजादे सैय्यद सलार मसूद गाजी कब्र बहराइच में बनी है.
महमूद गजनवी से है नाता
बूढ़े बाबा की दरगाह के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कुल मेले के पहले दिन यहां पक्के आम की सीप आकर जरूर चढ़ती है. चाहे जहां से भी वह आम की सीप आये. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि लोगों की यहां मुरादें पूरी होती हैं. अलग-अलग बीमारियों के मरीज लोग यहां आते हैं. इस साल 14 मई से 17 मई तक मेला चलेगा. अगर सबसे क्रूर मुगल शासकों की बात होती है तो महमूद गज़नवी का नाम आता है. सैयद सालार मसूद गाजी मोहम्मद गज़नवी का भांजा था. मुस्लिम शासकों के जमाने में ही इसका महिमा मंडन किया गया और बहराइच में कब्र को दरगाह का रूप दे दिया गया. यहां बहुत सारे लोग पहुंचते हैं. यहां भी मेला लगता है जिसको लेकर कई बार विवाद हो चुका है. वहीं उसकी याद में ही संभल में नेजा मेला लगता है. होली के बाद इस मेले का आयोजन किया जाता है.
बाराबंकी में है गाजी के पिता की मजार, क्या अब यहां भी नहीं लगेगा मेला? संभल में लगी है रोक
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,