UP News: Kasganj News: 26 जनवरी की तिरंगा यात्रा में चंदन का अंत, 8 साल पहले कासगंज में क्या हुआ था? – INA

साल 2018, तारीख 26 जनवरी और समय सुबह के साढ़े नौ बजे. समूचे देश में गणतंत्र दिवस की धूम थी. इसी बीच उत्तर प्रदेश के कासगंज में विश्व हिंदू परिषद, भारतीय विद्यार्थी परिषद और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता तिरंगा यात्रा लेकर निकल पड़े. 100 से अधिक बाइक पर भगवा ध्वज और तिरंगा लेकर निकले युवाओं की टोली में एक चंदन गुप्ता भी था. जैसे ही यह यात्रा करीब साढ़े 10 बजे जैसे ही कासगंज के बड्डूनगर पहुंची, कुछ मुस्लिम युवकों ने अवरोध पैदा कर दिया. देखते ही देखते दोनों पक्षों में मारपीट शुरू हो गई.

इस दौरान तिरंगा यात्रा में शामिल लोगों पर दूसरे पक्ष की ओर से पथराव हुआ और फायरिंग भी हुई. इसमें एक गोली चंदन गुप्ता को लगी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी. आनन फानन में चंदन को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया था, जहां दोपहर करीब साढ़े 12 बजे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था.इस घटना के बाद कासगंज में दंगे भड़क गए थे. हालात इतने खराब हो गए कि इंटरनेट तक बंद करना पड़ा था. बावजूद इसके करीब एक हफ्ते तक कासगंज दंगों की आग में झुलसता रहा था.

30 में से 28 आरोपी पर दोष साबित

इस मामले में आज यानी गुरुवार को लखनऊ की एनआईए कोर्ट ने 30 में से 28 आरोपियों को दोषी करार दिया है. वहीं दो आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. ऐसे में मौका है कि यह भी जान लिया जाए कि आखिर वह चंदन गुप्ता कौन था, जिसकी तिरंगा यात्रा में गोली मारकर हत्या की गई थी. जानकारी के मुताबिक चंदन के पिता सुशील गुप्ता एक निजी अस्पताल में फार्मासिस्ट हैं. उनके तीन बच्चों में सबसे छोटा चंदन गुप्ता बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था. पढ़ाई के साथ ही वह हिन्दुत्ववादी संगठनों से भी जुड़ा था.

पथराव और फायरिंग का शिकार बना चंदन

चूंकि उत्तर प्रदेश में गणतंत्र दिवस की लहर देश भर में थी ही, जगह जगह तिरंगा यात्रा भी निकाली जा रही थी. इसी क्रम में जब हिन्दू संगठनों ने कासगंज में तिरंगा यात्रा का आयोजन किया तो इसमें चंदन भी शामिल हुआ था. वहीं जब तिरंगा यात्रा में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विघ्न पैदा करते हुए पथराव और फायरिंग की, तो सबसे आगे चल रहा चंदन गुप्ता ही पहला शिकार बना.इस वारदात के बाद पिता सुशील गुप्ता ने तीन भाइयों सलीम, वसीम और वकार समेत कुल 30 लोगों के खिलाफ नामजद शिकायत देते हुए चंदन को इंसाफ दिलाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी.

8 साल लंबी कानूनी लड़ाई

सोशल मीडिया में खूब चर्चित रहे इस मामले में सुशील गुप्ता ने पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगाए थे. कहा था कि यदि इस देश में हिन्दुस्तान जिंदाबाद कहना अपराध है तो उन्हें भी गोली मार देनी चाहिए. क्योंकि उनके बेटे को इसी अपराध के लिए गोली मारी गई है. मामला तूल पकड़ने पर एनआईए ने जांच की. अब आठ साल बाद एनआईए कोर्ट ने ही 30 में से 28 आरोपियों को दोषी करार दिया है. वहीं दो आरोपी सबूत के अभाव में बरी कर दिया गए हैं.

Kasganj News: 26 जनवरी की तिरंगा यात्रा में चंदन का अंत, 8 साल पहले कासगंज में क्या हुआ था?





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