UP News: महाकुंभ में ‘लल्लू जी’ का जलवा, 106 साल पुराना टेंट हाउस, जो बसाता आ रहा तंबुओं का शहर – INA
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं से लेकर साधु संतों एवं अधिकारियों के ठहरने, सरकारी कार्यालय आदि की व्यवस्था टेंट में है. यह टेंट भी कई प्रकार का है. सामान्य टेंट, वाटर प्रूफ टेंट और सर्दी से बचाने वाला इंसुलेटेड टेंट भी है. इस तरह से टेंट सिटी बसाने का काम लल्लूजी टेंट हाउस ने किया है. बीते कुछ वर्षों में देखें तो चाहे कुंभ मेला हो या कोई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी हो या कोई अन्य बड़ा आयोजन, लल्लू जी टेंट हाउस के बिना कल्पना भी मुश्किल है.
ऐसे ही इस टेंट हाउस को एशिया का सबसे बड़ा ठेकेदार कंपनी नहीं का जाता है. इस समय तो यह कंपनी किसी भी आयोजन के लिए सबसे बड़ा और अस्थायी बुनियादी ढांचा प्रदान करने वाली कंपनी बन गई है. इसीलिए सरकार ने इस कंपनी को मान्यता प्राप्त ए क्लास ठेकेदार का दर्जा दिया है. हालांकि इस कंपनी पर साल 2019 के माघमेले में धोखाधड़ी के आरोप लगे थे. आरोप थे कि इस कंपनी ने फर्जी वर्कआर्डर बनाकर 109 करोड़ रुपये भुनाने की कोशिश की थी. इसकी वजह से कंपनी को ब्लैक लिस्टेड भी किया गया था. हालांकि बाद में सरकार को कंपनी के लिए दरवाजे खोलने पड़े थे.
बाल गोविंद दास लल्लू जी ने शुरू की कंपनी
जानकारी के मुताबिक मूल रूप से लल्लू जी टेंट हाउस की शुरुआत साल 1918 में बाल गोविंद दास लल्लू जी ने इलाहाबाद में की थी. उस समय वह छोटे स्तर पर तिरपाल और टेंट आदि किराए पर लगाते थे. फिर 1920 में उन्होंने माघ मेले में पहली बार बड़े स्तर पर तंबू लगाया. आज उनकी पांचवीं पीढ़ी इसी काम को कर रही है और अपने काम को केवल प्रयागराज ही नहीं, नेपाल भूटान समेत कई अन्य देशों तक फैला दिया है. यह कंपनी टेंट में 5 स्टार जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है. यही वजह है कि किसी भी बड़े आयोजन को ठानने से पहले ही आयोजक इस कंपनी से संपर्क साध लेते हैं. इस बार के महाकुंभ में यह कंपनी विशाल तंबुओं की अस्थायी संरचना देने के साथ ही बांस बल्ली और कुर्सी समेत अन्य बुनियादी सुविधा उपलब्ध करा रही है.
2019 में भी बनाई थी टेंट सिटी
साल 2019 के अर्द्ध कुंभ के दौरान भी लल्लू जी टेंट हाउस ने मेल क्षेत्र के लगभग 70 फीसदी हिस्से में टेंट सिटी बसाई थी. इस बार और भी बड़े क्षेत्र को शामिल किया गया है. इसके लिए कंपनी डेढ़ साल से तैयारियों में जुटी थी. मानसून खत्म होते ही संगम क्षेत्र में निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया था. इस कंपनी की वजह से यहां रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. हर बार कुंभ के अवसर पर कम से कम 5 हजार मजदूर और कारीगरों को काम मिलता है.
महाकुंभ में ‘लल्लू जी’ का जलवा, 106 साल पुराना टेंट हाउस, जो बसाता आ रहा तंबुओं का शहर
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