UP News: उगते सूर्य को अर्घ्य, वसुधैव कुटुंबकम का संदेश… काशी में नव वर्ष पर कैसी होगी सुबह-ए-बनारस? – INA

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी अद्भुत है. कभी मीर रुस्तम अली ने काशी की सुबह को देख कर कहा था कि वाह सुबह – ए – बनारस. उसके बाद देश और दुनिया भर के लोगों में बनारस की सुबह देखने की होड़ लग गई. वैसे तो काशी में सुबह-ए-बनारस का आयोजन रोज होता है, लेकिन नए साल के पहले दिन की सुबह के कहने ही क्या. काशी में नव वर्ष की शुरूआत ही घंट-घड़ियाल, मंत्रोच्चार, गंगा आरती और भगवान सूर्य को अर्घ्य के साथ होती है. हर साल की तरह इस बार भी नववर्ष के पहले दिन अस्सी घाट पर सुबह-ए- बनारस का भव्य आयोजन होने जा रहा है.

इस आयोजन में दो हजार से अधिक लोग शामिल होंगे. वैसे भी बाबा विश्वनाथ की नगरी में नववर्ष का जश्न मनाने के लिए देश ही नहीं, दुनिया भर के अलग अलग हिस्सों से लोग इस कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं. इस बार भी अस्सी घाट पर होने वाले इस आयोजन में कई देशों के पर्यटक शामिल होंगे. यह सभी लोग अपने जीवन में नए वर्ष की आध्यात्मिक शुरूआत करने के लिए यहां पहुंच रहे हैं. सुबह-ए- बनारस के उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्र के मुताबिक एक जनवरी की सुबह 5.40 पर मां गंगा की पूजा होगी.

धर्म-अध्यात्म के साथ संगीत का अद्भुत संगम

इसके बाद गंगा आरती होगी. पुष्पांजलि के साथ लोक कल्याण का संकल्प होगा और विशेष हवन किया जाएगा. इसी क्रम में सिटी ऑफ म्यूजिक के नाम से प्रसिद्ध इस काशी में बनारस घराने के कलाकार राग भैरवी पर आधारित संगीत कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे. इसके योग का कार्यक्रम योगाचार्य विजय मिश्रा की उपस्थिति में होगा. यह कार्यक्रम करीब चालीस मिनट तक चलेगा. उन्होंने बताया कि दो घंटे के इस कार्यक्रम में धर्म-आध्यात्म और दर्शन के साथ संगीत और योग का अद्भुत समन्वय देखने को मिलेगा.

बसुधैव कुटंबकम का संदेश

प्रमोद मिश्र के मुताबिक नववर्ष पर सुबह-ए-बनारस का आयोजन सभी मजहब और पंथ के लोग मिलकर करते हैं और सभी उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं. इसलिए इस कार्यक्रम के जरिए बनारस दुनिया भर में वसुधैव कुटुंबकम का सन्देश देता है. इसमें सभी के लिए स्वस्थ रहने और सुखी रहने के साथ समृद्धि प्राप्त करने की कामना होती है. संदेश होता है कि सबके जीवन में संगीत का माधुर्य हो. ऐसे में जो श्रद्धालु काशी में नव वर्ष का स्वागत करने के लिए पहुंचे हैं, उनके लिए अस्सी घाट पर होने वाला नव वर्ष के पहले दिन का ये विशेष आध्यात्मिक अनुभव एक मौका है. इसमें शामिल होने वालों के लिए यह कभी न भूलने वाला साबित होगा.

उगते सूर्य को अर्घ्य, वसुधैव कुटुंबकम का संदेश… काशी में नव वर्ष पर कैसी होगी सुबह-ए-बनारस?





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