UP News: फर्जी शादियों पर नकेल! इलाहाबाद HC ने कहा- मैरिज रजिस्ट्रेशन के नियमों में संशोधन करे UP सरकार – INA

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को उत्तर प्रदेश मैरिज रजिस्ट्रेशन रूल्स, 2017 में संशोधन करने का निर्देश दिया है, ताकि विवाहों की “वैधता और पवित्रता” बनाए रखने के लिए एक मजबूत और सत्यापन योग्य तंत्र तैयार किया जा सके. जस्टिस विनोद दिवाकर ने यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है.
कोर्ट की ओर से यह निर्देश फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्जी शादियों को रजिस्टर्ड कराने में शामिल एक संगठित गिरोह को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. कोर्ट ने यह निर्देश घर से भागे जोड़ों की ओर से दाखिल 124 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया.
पंजीकरण के नियमों का पालम सख्ती से होः HC
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा, “विवाह पंजीकरण का काम देखने वाले सभी डिप्टी रजिस्टार्स 14 अक्टूबर, 2024 की अधिसूचना के तहत जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगे.” अक्टूबर 2024 की अधिसूचना में अधिकारियों को यह तय करने के निर्देश जारी किए गए थे कि यूपी में विवाह पंजीकरण के दौरान वर और वधू का आधार-आधारित प्रमाण पत्र, बायोमेट्रिक डेटा और दोनों पक्षों के फोटो के साथ-साथ 2 गवाहों के फोटो की जरूरत होगी.
इसके अलावा यह भी निर्देश दिया गया था कि उम्र का सत्यापन डिजिलॉकर, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, सीआरएस, पासपोर्ट, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस और सीआईएससीई जैसे कई आधिकारिक पोर्टलों के जरिए से किया जाए. साथ ही यह भी निर्धारित किया गया कि शादी कराने वाले ‘पंडित’ को पंजीकरण के दौरान रजिस्ट्रार ऑफिस में शारीरिक रूप से उपस्थित होना अनिवार्य है.
शादी के लिए भागे जोड़ों पर भी लागू होंगे: HC
कोर्ट ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि ये अंतरिम निर्देश उन सभी शादियों पर भी खासतौर पर लागू होंगे जहां लड़का और लड़की घर से भागे हों और फिर अपने परिजनों की सहमति के बगैर ही शादी कर ली.
कोर्ट ने कहा कि यदि दोनों ओर के परिजन पंजीकरण के समय मौजूद हैं, तो अधिकारी अपने विवेक से, विवाह की वास्तविकता के बारे में संतुष्ट होने के बाद इन शर्तों को पूरी तरह या आंशिक रूप से माफ भी कर सकता है.
अपने 44 पन्नों के आदेश में, बेंच ने सुरक्षा की मांग करने वाले भगोड़े जोड़ों की ओर से दाखिल 125 याचिकाओं पर विचार करते हुए कहा कि कई मामलों में कोर्ट ने देखा है कि विवाह प्रमाण पत्र ऐसे समाजों द्वारा जारी किए जाते हैं जो अस्तित्व में ही नहीं हैं, और हाई कोर्ट से सुरक्षा आदेश प्राप्त करने के लिए ऐसे नकली प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाते हैं.
12 मई, 2025 के अपने आदेश में, कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाह के रूप में नामित व्यक्ति भी काल्पनिक पाए गए हैं, आधार सहित उनके विवरण जाली हैं, और ऐसे प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाओं या संगठनों के पास उनके उपनियमों के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं है. कई मामलों में तो वास्तव में कई शादी समारोह हुआ ही नहीं है.
फर्जी शादियों पर नकेल! इलाहाबाद HC ने कहा- मैरिज रजिस्ट्रेशन के नियमों में संशोधन करे UP सरकार
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,