UP News: होली पर रंग नहीं यहां ‘लाट साहब’ को पड़ते हैं जूते, शहर भर में घुमाकर होती है पिटाई; अनोखी है परंपरा – INA

उत्तर प्रदेश का शाहजहांपुर जिला अपनी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सभ्यता और विरासत के लिए देश व प्रदेश देशभर में एक अलग पहचान रखता है. शाहजहांपुर जिले की एक ऐसी परंपरा भी है जो देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक अनोखी परंपरा के रूप में जानी जाती है. प्रत्येक वर्ष होली के त्योहार पर संपन्न होने वाली इस परंपरा को लाट साहब का जुलूस या नवाब साहब का जुलूस भी कहते हैं. यह जुलूस इसलिए भी अनोखा है क्योंकि इस जुलूस में एक विशेष समुदाय के व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसा गाड़ी पर बिठाया जाता है. लाट साहब को जूते मारते हुए पूरे शहर में घुमाया जाता है. साथ ही महानगर के बाबा विश्वनाथ मंदिर में लाट साहब से पूजा अर्चना करवा कर माथा भी टेकना पड़ता है.

महानगर में निकलने वाले बड़े और छोटे लाट साहब के इन प्रमुख दो जुलूसों के लिए जिला और पुलिस प्रशासन दो माह पहले से ही तैयारी में जुट जाता है. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ जिले के सभी जुलूसों को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस एवं जिला प्रशासन द्वारा पीएसी और आरएएफ के साथ-साथ लगभग 3500 पुलिस के जवानों को तैनात किया जा रहा है.

1746 में हुई थी शुरुआत

दरअसल, इस प्रथा की शुरुआत महानगर स्थित किला के आखिरी नवाब अब्दुल्ला खान द्वारा साल 1746 में किले पर दोबारा कब्जे के बाद हुई. नवाब अब्दुल्ला खान हिंदू और मुसलमान दोनों के प्रिय थे, उन्होंने अपनी बेटी की शादी हाफिज उल मुल्क से की थी. होली के त्योहार पर नवाब अब्दुल्ला खान किले से बाहर आकर होली खेलते थे. उसी समय से नवाब साहब निकल आए का नारा भी चलन में आया था. साल 1857 की क्रांति के दौरान किले के नवाब शासकों ने धन वसूली के लिए हिंदू और मुसलमान दोनों पर अत्याचार किया. मार्च 1858 में हामिद हसन खान और उनके भाई अहमद हसन खान की हत्या कर दी गई और खलील गर्बी में उनकी कोठी को जला दिया गया जो वर्तमान में जली कोठी के नाम से मशहूर है.

इसके बाद हिंदू जमीदारों पर नियंत्रण करना एक कठिन कार्य बन गया. बरेली से खान बहादुर खान के कमांडर मरदान अली खान एक विशाल सेना के साथ शाहजहांपुर आया, जिसका हिंदुओं से संघर्ष हुआ. अनेक हिंदू मारे गए. हिंदुओं के सर काटकर किले के दरवाजे पर लटकाए गए, और उनकी संपत्ति लूट ली गई. इसके बाद 1859 में जो होली मनाई गई उसमें अंग्रेज अधिकारियों के उकसाने पर हिंदुओं ने अपना रोष नवाबों को अपमानित करके व्यक्त किया. इसी का विकृत रूप लाट साहब जुलूस के रूप में आज भी है. 1930 के दशक में होली के नवाब के साथ हाथी घोड़े और ऊंट भी निकालते थे. मुसलमानों ने इस पर आपत्ति की. उनके घर नीचे हैं जिससे बेपर्दगी होती है. इसके बाद सरकार ने ऊंची सवारी के साथ नवाब निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया.

अब ऐसे निकलता है जुलूस

इसके फल स्वरुप नबाब साहब/लाट साहब के जुलूस में बदलाव किया गया जो वर्तमान में भैंसा गाड़ी पर ही नवाब यानी लाट साहब का जुलूस निकाला जाने लगा. चौक से निकलने वाले लाट साहब के जुलूस को कोतवाली के अंदर सलामी दी जाती है. उसके बाद नवाब यानी लाट साहब कोतवाली पहुंचते हैं, जहां पूरे वर्ष का लेखा-जोखा कोतवाल से मांगा जाता है. इस दौरान कोतवाल द्वारा लाट साहब को नजराना पेश किया जाता है. इसके बाद जुलूस की शुरुआत होती है. वर्तमान में होली पर चौक से बड़े लाट साहब तथा सरायकाईयां से छोटे लाट साहब के जुलूस सहित, अजीजगंज और बहादुरगंज में भी जुलूस निकाले जाते हैं.

रंग पंचमी के दिन निकलता है जुलूस

एक समय था जब चौक के नवाब साहब को किले के आसपास के मोहल्लों के नवाब सलाम पेश करके अपने मोहल्ले में नवाब का जुलूस निकालते थे. इसी तरह जिले के पुवायां थाना क्षेत्र के बड़ा गांव में गधे पर बैठकर छोटे लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है. विकासखंड खुदागंज में परंपरा है कि होली के बाद रंग पंचमी के दिन गधे पर लाट साहब को गलियों में घुमाया जाता है और जनता इसी जुलूस के साथ रंग खेलती है. आज के समय में जिला प्रशासन के लिए शांतिपूर्वक लाट साहब का जुलूस संपन्न कराना एक चुनौती का कार्य है. यहां तक की शाहजहांपुर के लाट साहब के जुलूस का सबक आईएएस की ट्रेनिंग में भी सिखाया जाता है.

जिले में निकलते हैं 18 जुलूस

शाहजहांपुर पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने कहा कि जिले में बड़े और छोटे लाट साहब जुलूस को मिलाकर कुल 18 जुलूस होली पर निकाले जाते हैं. सभी जुलूसों को लेकर जिले के जिम्मेदार लोगों के साथ पिछले 2 महीने से लगातार पीस मीटिंग की जा रही हैं. इसके अतिरिक्त बड़े और छोटे लाट साहब जुलूस मार्ग पर पड़ने वाले सभी धार्मिक स्थलों को ढककर बैरिकेडिंग का काम किया जा रहा है. जनपद में होली पर निकलने वाले बड़े लाट साहब और छोटे लाट साहब के जुलूस सहित अन्य जुलूसों को सकुशल संपन्न करवाने के लिए 10 डीएसपी रैंक के अधिकारियों सहित 30 एसएचओ 300 सब इंस्पेक्टर और लगभग 1 हजार कॉन्स्टेबल तैनात किए जा रहे हैं.

होली पर रंग नहीं यहां ‘लाट साहब’ को पड़ते हैं जूते, शहर भर में घुमाकर होती है पिटाई; अनोखी है परंपरा





देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY

Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News